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आजादी के मतवाले अहमद बख्श निवासी लाल किला 27 फरवरी 18 57 को फांसी की सजा हुई

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आजादी के मतवाले  216 :-  अहमद बख्श निवासी लाल किला 27 फरवरी 1857 को फांसी की सजा हुई 217. अहमद खान निवासी शाहदरा दिल्ली पकड़े गए तथा मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 27 फरवरी 1858 को फांसी दी गई  218:-अहमद  मिर्जा नवाब दिल्ली निवासी दिल्ली क्रांतिकारी थे फांसी की सजा हुई  219:- अहमद पठान निवासी दिल्ली अंग्रेजी फौज द्वारा बंदी बनाए गए इसके पश्चात 3 अक्टूबर 1857 को फांसी दी गई । 220:- अहमद अली जन्म 1823 निवासी फर्रुखाबाद क्रांतिकारियों की पैसे और फौज से मदद की अपनी फौज को पूरा परगना भेजा। 3 नवंबर 1857 को पकड़े गए 23 जनवरी 1858 को फांसी दी गई। दरगाह बाकी बिल्ला के कब्रिस्तान में दफन हुए। 221:- अहमद खान निवासी दिल्ली अंग्रेजी फौज से मुकाबला किया मगर जब आप अपने काम में असफल हो गए तो जयपुर चले गए। सवाई माधोपुर में हिंडन के मुकाम पर पकड़े गए और वहीं फांसी दी गई। 222:- अहमद मिर्जा नवाब निवासी गुडगांव हुकूमत के अपराधी कराए गए और इस अपराध के कारण डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर उनको फांसी हुई0। 223:-  अमजद अली काजी निवासी मेहरौली दरगाह कुतुब साहब सेवक। 15 जनवरी 1857 को फांसी की सजा हुई। 224:-अजमेर

आजादी के मतवाले नाजिम अली निवासी फर्रुखनगर गुडगांव डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 24 जनवरी 1857 को फांसी दी गई

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आजादी के मतवाले  206 :-  नाजिम अली निवासी फर्रूखनगर गुड़गांव डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 24 जनवरी 1857 को फांसी की सजा दी गई।   207  :- नाजिम शाह पिता शहंशाह मोहम्मद अकबर शाह निवासी दिल्ली सितंबर 1857 में पकड़े गए आजीवन कारावास का दंड दिया गया । आगरा कानपुर बर्मा की जेल में रहे इसके पश्चात रंगून में स्थानबद्ध रखे गए।   208 :- इंतजा़मउद्दीन निवासी रेवाड़ी हरियाणा तुलाराम के साथ संग्राम के दौरान गोरी फौजो से युद्ध लड़े तत्पश्चात पकड़े गए 10 फरवरी 1858  को डिप्टी कमिश्नर के आदेश पर फांसी दी गई।   209 :-  नूर बख्श निवासी नागली नूह गुड़गांव डिप्टी कमिश्नर के आदेश पर 9 फरवरी 1858 को फांसी हुई।  210 :-  नूर खान निवासी दिल्ली गौरी फौजों से  मुकाबला किया।  यह हिंडन सवाई माधोपुर राजस्थान में पकड़े गए । आगरा जेल में कैद रहे और आगरा जेल में ही इनको फांसी दे दी गई ।  211 :- निम्मू  निवासी दिल्ली।  मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 8 दिसंबर 1857 को फांसी दी गई ।  212 :- नसीरुद्दीन मूल निवासी शाही महल 27 फरवरी 1858  को फांसी दी गई।   213  नक्कू : निवासी दिल्ली।  मिलिट्री कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर फांस

आजादी के मतवाले मोहम्मद सादात बख्श निवासी शाहदरा दिल्ली

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आजादी के मतवाले। ( 74)  196 :-  मोहम्मद सादात बख्श निवासी शाहदरा दिल्ली।  डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 15 दिसंबर 1857 को फांसी दी गई ।  197 :- मोहम्मद शेख निवासी दरियागंज दिल्ली मिलिट्री कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 29 फरवरी 1858 को फांसी दी गई ।  198 :- मोहम्मद यार बिल्लोच निवासी बहादुरगढ़ रोहतक मिलिट्री कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 29 दिसंबर 1857 को फांसी दी गई ।  199 :- मोहम्मद यार खान पठान निवासी  कूचा चेलान दिल्ली अंग्रेजी सिपाहियों के द्वारा बंदी बनाए गए और मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 22 फरवरी 1857 को फांसी दी गई।  200  :- मोहम्मद यूसुफ निवासी गुड़गांव डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 15 दिसंबर 1857 को फांसी दी गई।   201  :- मेहरा नंबरदार निवासी गुड़गांव हरियाणा डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 7 दिसंबर 1857 को फांसी दी गई ।  202  :-मोइनुद्दीन निवासी शाही दरबार । मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 27 फरवरी 1858 को फांसी दी गई।   203  :- मुजफ्फरुददौला नवाब निवासी गुड़गांव हरियाणा डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 15 दिसंबर 1857 को फांसी दी गई ।  204  :-नबी बख्श निवासी पलवल हरियाणा अंग्रेजी

आजादी के मतवाले मोहम्मद बख्श शेख निवासी दिल्ली मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 18 नवंबर अट्ठारह सत्तावन को फांसी दी गई

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आजादी के मतवाले  186 :- मोहम्मद बख्श शेख निवासी दिल्ली मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 18 नवंबर 1857 को फांसी दी गई ।  187 :-  मोहम्मद बख्श निवासी लाडो सराय 20 जनवरी 1858 को फांसी दी गई।   188  :- मोहम्मद बाक़ी (मौलाना ) निवासी दिल्ली ।सिया मुज्तहिद (विद्वान )उन्होंने छोटा बाजार कश्मीरी गेट में खजूर वाली मस्जिद की स्थापना की।  उर्दू अखबार के संपादक थे जिसको उन्होंने 1836 में निकाला  ।  1857 के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।  जिहाद के नाम से एक पंपलेट छापा।   जनता को अंग्रेज सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए उकसाया । जनरल हडसन ने उन्हें पकड़ा और गोली का निशाना बना दिया ।  189 :- मोहम्मद बख्श  निवासी फरुखनगर गुड़गांव डिप्टी कमिश्नर के आदेश पर 24 नवंबर 1857  को फांसी दी गई।   190  :- नवाब मोहम्मद हसन खान  नवाब पिता  इर्तजा खान निवासी दिल्ली मुगल दरबार से पेंशन पाते थे। नवाब वजीर सुभान के खास भरोसे वाले लोगों में से थे हिंडन और बादली में मुग़ल फौज के सिपाहियों की कमांड की । नवाब झज्जर के इलाके में पकड़े गए 1857मे फांसी की सजा हुई ।  191:- मोहम्मद इब्राहिम निवासी गुड़गांव ।  डिप्टी कमिश्नर के आदेश

क्या है इस्लाम में जात-पात का सिस्टम ?

आपने आप को इस्लाम के हर उसूल पर चलने वाला बताने वाले अधिकतर मुसलमान (ख़ासकर भारतीय उपमहाद्वीप के  मुसलमान) जब जात और बिरादरी की बात आती है तो इस्लाम के बताये हुए सारे उसूल भूल जाते हैं !! और जाति प्रथा के कट्टर समर्थक बन जाते हैं !! मैं सभी मुसलमानों की बात नहीं करता पर ऐसे लोगों की संख्या अधिक है जो जात और बिरादरी का समर्थन करते मिल जायेंगे !! जाति प्रथा के मामले में हिन्दू और मुस्लिम समाज में एक ही फ़र्क़ है (ध्यान रहे कि मैं हिन्दू और इस्लाम धर्म की बात नहीं कर रहा हूँ बल्कि हिन्दू और मुस्लिम समाज की बात कर रहा हूँ) कि हिन्दू ना तो नीची जात कहे जाने वाले लोगों के साथ खाना पसंद करते हैं और न शादी-विवाह के सम्बन्ध, पर हाँ मुस्लिम समाज खाना तो खाता है अपने से नीची कही जाने वाली बिरादरियों के साथ पर आज भी वह शादी-विवाह के मामले में अपनी बिरादरी में ही देखता है कि लायक लड़का और लड़की मिल जाये !! अगर आपने ग़लती से यह सवाल कर लिया कि आप शादी दूसरी बिरादरी वाले से क्यों नहीं करते तो आपको सुनने को मिल जायेगा- “मियाँ तौबा करो,  समाज को देख कर और उसको साथ लेकर चलना ही पड़ता है !! हम ऐसा कर के

ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को हुआ था और निधन 28 नवंबर 1890 को हुआ

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ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को हुआ था और निधन 28 नवंबर, 1890 को हुआ था। उनका पूरा नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले था। महात्मा ज्योतिबा फुले के पिता गोविंद राव एक किसान थे और पुणे में फूल बेचते थे। जब ये छोटे थे इनकी मां का देहांत हो गया था। ज्योतिबा फुले समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक और क्रांतिकारी के रुप में जाने जाते हैं। महात्मा ज्योतिबा फुले ने जाति भेद, वर्ण भेद, लिंग भेद, ऊंच नीच के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी। यही नहीं उन्होंने न्याय व समानता के मूल्यों पर आधारित समाज की परिकल्पना प्रस्तुत की। वे महिला शिक्षा की खूब वकालत करते थे। यही वजह है कि 1840 में जब इनका विवाह सावित्रीबाई फुले से हुआ तो, उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को पढऩे के लिए प्रेरित किया। सन 1852 में उन्होंने तीन स्कूलों की स्थापना की, लेकिन 1858 में फंड की कमी के कारण ये बंद कर दिए गए। सावित्रीबाई फुले आगे चलकर देश की पहली प्रशिक्षित महिला अध्यापिका बनीं। उन्होंने लोगों से अपने बच्चों को शिक्षा जरूर दिलाने का आह्वान किया। यहां पढ़ें उनके प्रेरणादायक विचार:  बेचते थे। जब ये छोटे थे इनकी मां का देहांत हो गया था।

जानिए गारे (गुफा)हिरा के बारे में

वही गुफा हिरा के बारे में 6 हकीक़तें हर मुसलमान को जानना चाहिए ✨=============✨ ग़ारे हिरा यानि एक गुफा जिसका नाम हिरा था एक बहुत ही अहम् और बा बरकत जगह जिसका हमारे नबी(ﷺ) से बड़ा गहरा ताल्लुक़ है या अगर ये कह लीजिये तो गलत न होगा कि इस्लाम हो कुरान हो या नुबुव्वत सभी की शुरुआत के लिए इसी जगह को चुना गया | तो चलिए इस गुफा मेरा मतलब है ग़ारे हिरा के बारे में कुछ ऐसे फैक्ट्स की बात करें जो हर मुसलमान को जानना चाहिए, और हकीक़त में ये बहुत ही दिलचस्प तथ्य हैं जो आपकी इस्लामी मालूमात में इज़ाफ़ा करेंगे । ग़ारे हिरा से जुड़ी कुछ हक़ीक़तें 1. गुफा हिरा को जबल-ए-नूर के नाम से भी जाना जाता है काबा शरीफ़ से दो मील दूर एक पहाड़ है जिसका नाम हिरा है । इसे जबल-ए-नूर और जबल-ए-हिरा के नाम से भी जाना जाता है। जबल-ए-नूर का मतलब है “रोशनी का पहाड़ या रौशनी वाला पहाड़”। मक्का मुकर्रमा जाने वाले हज़रात इस मक़ाम की जियारत को जाते हैं । 2. गुफ़ा में जगह कितनी है हिरा गुफा एक छोटी सी गुफा है जिसकी लंबाई 4 मीटर और चौड़ाई 1.5 मीटर है। 500 मीटर की ऊँचाई पर बनने वाले इस पहाड़ में 380 मीटर की ढलान है। और इस गुफ़ा का आकार बिलकुल ऊंट क

रटौल गांव की सीमा में क्यों बदल गया था श्रवण कुमार का मस्तिक

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बागपत जिले के  गांव रटौल (मेरठ की बागपत) तहसील के निकट स्थित गांव है रटोल जिसका संबंध भी अनुश्रुतियो के अनुसार रामायण काल से जुड़ा हुआ है। इस स्थान के बारे में प्रचलित है कि त्रेता में श्री राम के पिता दशरथ के द्वारा अनजाने में हत्या हो जाने से पूर्व श्रवण कुमार अपने वृद्ध और अंधे माता पिता को उनकी नेत्र ज्योति पुनः प्राप्त कराने के उद्देश्य से उन्हें तीर्थ स्थलों का भ्रमण कर आता हुआ जब इस गांव में पहुंचा तो वह माता पिता के प्रति अब तक के अपने समर्पण भाव को व्यर्थ समझकर उनके प्रति उपेक्षा पूर्ण असामान्य व्यवहार जैसी बातें उच्चारित करने लगा था ।उसने यही पर अपने अंधे माता पिता से अपनी सेवा का मूल्य मांगा था और इस व्यवहार से उसके  वृद्ध और अंधे माता-पिता बड़े आश्चर्य में पड़ गए ।उन्होंने  श्रवण कुमार से कहा कि इस गांव की सीमा से बाहर पहुंचाने पर वे उसे उसकी सेवा का मूल्य चुकाएंगे ।किंतु उस सीमा से बाहर आने पर अकस्मात  ही श्रवण कुमार पुनः अपना पूर्व सामान्य व्यवहार करने लगा और उसकी बुद्धि पुनः पहले जैसी हो गई तथा उसने अपने असामान्य व्यवहार के प्रति चिंता व्यक्त की अपराध बोध वश अपने माता पि

आजादी के मतवाले मिर्जा इलाही बख्श

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आजादी के मतवाले 176 :- मिर्जा इलाही बख्श  पिता मिर्जा शुजाउद्दीन उम्र कैद की सजा हुई कुछ दिनों के बाद इनकी मृत्यु हो गई।  177 :- मिर्जा इमाम पिता अली बख्श उम्र कैद की सजा।  अलीपुर, कराची की जेल में रहे इसके बाद रंगून में स्थानांतरित कर दिए गए ।  178  :- मिर्जा इमाम सुल्तान पिता मुइज्जुद्दीन उम्र कैद कुछ ही दिनों में मृत्यु हो गई ।  179:- मिर्जा इनायत हुसैन पिता मिर्जा इफ्तदार बख्श  निवासी दिल्ली। शहजादा ।स्पेशल कमिश्नर के  हुक्म पर फांसी हुई।   180 :- मिर्जा कादिर बख्श  पिता मिर्जा जान : उम्र कैद।  बंदी बनाए जाने के कुछ ही दिनों बाद मृत्यु हो गई ।  181  :- मिर्जा खबीरूद्दीन पुत्र मिर्जा कुतुबुद्दीन : स्पेशल कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर फांसी दी गई।   182 :- मिर्जा कादर बख्श  पिता मिर्जा जान : उम्र कैद के कुछ दिनों बाद ही उनकी मृत्यु हो गई ।  183  :- मोहम्मद बख्श  दिल्ली निवासी : डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 24 नवंबर 1857 को फांसी दी गई।   184  : मोहम्मद बखश  दिल्ली निवासी 24 दिसंबर 1857 को मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर फांसी दी गई।   185  :- मोहम्मद बख्श निवासी शाहीमल 27 फरवरी 1858 को म

आजादी के मतवाले वजीर खां डॉक्टर जनरल बख्त

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आजादी के मतवाले  166 :- वजीर खाँ डॉक्टर जनरल बख्त निवासी नागली गुडगांव फरवरी 185 8 को फांसी दी ग ई ।  167:- जबरदस्त खाँ  पठान निवास दिल्ली 1 फरवरी 1858 को फांसी दी गई।   168 :-  जफर खान निवासी गुड़गांव 8 फरवरी 1858 को फांसी दी गई ।   169:-  जफर खान पिता बारात खान निवासी गुदराना  गुडगांव 8 जनवरी 1858 को फांसी दी गई ।  170 :- जालिम अली पिता नुसरत अली निवासी सुलतानपुर गुड़गांव 13 जनवरी 1858 को फांसी दी गई।   171 :- जियाउद्दीन शेख पुत्र दारोगा शेखबख्श  निवासी दिल्ली अंग्रेजी फौज ने इनको और इनके पिता को बंदी बनाया और विद्रोह के अपराध में फांसी दी गई ।  172  :- मिर्जा हाजी मुग़ल निवासी दिल्ली मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 18 नवंबर 1857 को फांसी दी गई ।  173 मिर्जा हुसैन बख्श पिता अली बख्श निवासी दिल्ली उम्र कैद करके  रिहाई हुई, फिर बंद कर दिए गए ।  174  :- मिर्जा हुसैन पिता रज़ा संगी बंदी  बनाए जाने के दिनों में ही इनकी मृत्यु हो गई ।  175 :-  मिर्जा हुसैन बख्श पिता कादिर बख्श  स्पेशल कमिश्नर के आदेश पर फांसी दी गई।  प्रस्तुति: एस ए बेताब  (संपादक बेताब समाचार एक्सप्रेस) हिंदी मासिक पत्रिका एव

राजगुरु आजादी के मतवाले

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शिवराम हरि राजगुरु  का जन्म भाद्रपद के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी सम्वत् १९६५ (विक्रमी) तदनुसार सन् १९०८ में पुणे जिला के खेडा गांव में हुआ था। ६ वर्ष की आयु में  पिता का निधन हो जाने से बहुत छोटी उम्र में ही ये वाराणसी विद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने आ गये थे। इन्होंने हिंदू धर्म-ग्रंन्थों तथा वेदो का अध्ययन तो किया ही लघु सिद्धान्त कौमुदी  जैसा क्लिष्ट ग्रन्थ बहुत कम आयु में कण्ठस्थ कर लिया था। इन्हें कसरत (व्यायाम) का बेहद शौक था और छत्रपति  शिवाजी की छापामार युद्ध-शैली के बड़े प्रशंसक थे। Varanasi में विद्याध्ययन करते हुए राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तिकारियों से हुआ। चन्द्रशेखर आजाद से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उनकी पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी  से तत्काल जुड़ गये। आजाद की पार्टी के अन्दर इन्हें  रघुनाथ  के छद्म-नाम से जाना जाता था; राजगुरु के नाम से नहीं। पण्डित चंद्रशेखर आजाद सरदार भगत सिंह और यतीन्द्रनाथ दास आदि क्रान्ति कारी इनके अभिन्न मित्र थे। राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज भी थे। साण्डर्स का वध करने में इन्होंने भगत सिंह तथा सुखदेव का पूरा साथ दिया था जबकि  चंद

शहीद भगत सिंह आजादी के मतवाले

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भगत सिंह संधु का जन्म २८ सितंबर १९०७ को प्रचलित है परन्तु तत्कालीन अनेक साक्ष्यों के अनुसार उनका जन्म १९ अक्टूबर १९०७ ई० को हुआ था। उनके पि ता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। यह एक जाट [{सिक्ख}] परिवार था। उनका परिवार पूर्णतःआर्य समाजी था।अमृतसर में १३ अप्रैल १९१९ को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिये नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी। काकोरी काण्ड में राम प्रसाद बिस्मिल सहित ४ क्रान्तिकारियों को फाँसी व १६ अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि पण्डित चन्द्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी ॰ हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड गये और उसे एक नया नाम दिया हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन इस संगठन का उद्देश्य सेवा, त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले नवयुवक तैयार करना था। भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर १७ दिसम्बर १९२८ को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अधिकारी जे० पी० सांडर्स को मारा था। इस कार्रवाई में क्रान्तिकारी चन्द्

हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का आखिरी खुतबा

इस्लाम मजहब के आखरी पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा  सल्लल्लाहो वाले वसल्लम  । रसूलुल्लाह का आखिरी हज का खुत्बा  मैदान-ए-अरफ़ात(मक्काह) में 9 ज़िल्हिज्ज् ,10 हिजरी को मोहम्मद सल.अलैहि वसल्लम ने हज का आखरी ख़ुत्बा दिया था। बहोत अहम संदेश दिया था। गौर से पढे हर बात बार बार पढे सोचे कि कितना अहम संदेश दिया था  1. ऐ लोगो ! सुनो, मुझे नही लगता के अगले साल मैं तुम्हारे दरमियान मौजूद हूंगा, मेरी बातों को बोहत गौर से सुनो, और इनको उन लोगों तक पहुंचाओ जो यहां नही पहुंच सके।  2. ऐ लोगों ! जिस तरह ये आज का दिन ये महीना और ये जगह इज़्ज़त ओ हुरमत वाले हैं, बिल्कुल उसी तरह दूसरे मुसलमानो की ज़िंदगी, इज़्ज़त और माल हुरमत वाले हैं। ( तुम उसको छेड़ नही सकते ) 3. लोगों के माल और अमानतें उनको वापस कर दो।  4. किसी को तंग न करो, किसी का नुकसान न करो, ताकि तुम भी महफूज़ रहो।  5. याद रखो, तुम्हे अल्लाह से मिलना है, और अल्लाह तुम से तुम्हारे आमाल के बारे में सवाल करेगा।  6. अल्लाह ने सूद(ब्याज) को खत्म कर दिया, इसलिए आज से सारा सूद खत्म कर दो। (माफ कर दो ) 7. तुम औरतों पर हक़ रखते हो, और वो तुम पर हक़ रखती है, जब वो अपने हुक़

आजादी के मतवाले शफात अली कठोर गुड़गांव निवासी

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आजादी के मतवाले 156 :-  शफाअत अली निवासी कठोर  गुड़गांव 30 दिसंबर 1858 को फांसी दी गई।   157:-  शाहाबेग निवास नांगली गुडगांव ।  डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 9 फरवरी  1858 को फांसी दी गई ।  158 :- शहाबुद्दीन निवासी गुड़गांव 25 दिसंबर 1857 को डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर फांसी हुई।   159  :- शेख करीम निवास दिल्ली।  दिल्ली में अंग्रेजी फौज से बहादुरी से लड़े और फिर जयपुर चले गए। सवाई माधोपुर में गिरफ्तार हुए आगरा जेल में बंदी रहे और उसी जेल में फांसी दी गई   160  :- सुल्तान बख्श शेख :   डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 24 मार्च 1858 को फांसी दी गई।  161  :- सुल्तान रमजान सुपुत्र रमजान निवास:  पलवल तुलाराम की कमान में अंग्रेजी फौज से मुकाबला किया 24 मार्च 1858 को फांसी दी गई।   162ः-  उस्ताद मिओ : निवासी नांगली गुडगांवा। फरवरी 1858 को फांसी दी गई।   163 वली  शिकोह मिर्जा सुपुत्र मिर्जा बुलंद: निवास स्थान दिल्ली मुगल शहजादा 1857 को फांसी दी गई।   164 :-  वजीर खां निवास गुड़गांव जनवरी  1858 को फांसी दी गई।   165  :- वजीर खाँ  डॉक्टर:  जनरल बख्त के अधीन आगरा सूबे के गवर्नर रहे । अपने

आजादी के मतवाले कादिर बख्श दिल्ली के निवासी अंग्रेजी फौज में सूबेदार थे

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आजादी के मतवाले  136 :- कादिर बख्श  दिल्ली के निवासी अंग्रेजी फौज में सूबेदार थे सक्रिय विद्रोही थे 1857 में फांसी की सजा हुई   137:-  कादिर बख्श दिल्ली के निवासी 27 फरवरी 1858 को फांसी दी गई।  138:-  कादिर बख्श गुड़गांव के निवासी 22 मई 1858 को फांसी हुई ।  139 :- कादिर बख्श आत्मज इशरत अली नजफगढ़ के निवासी अंग्रेजी फौज में द्वितीय रेजीमेंट में शामिल थे 22 मई 1858  को उपायुक्त के आदेश पर फांसी हुई ।  140:-  कमरुद्दीन गुडगांव के रहने वाले 18 मार्च 1858 को फांसी हुई ।  141:- कमरुद्दीन पिता का नाम शेख करीम बख्श  हुसैनपुर गुड़गांव के निवासी 2 जनवरी 1858 को डिप्टी कमिश्नर के हुक्म पर फांसी हुई ।  142 रहमतुल्लाह (मौलाना) पिता का नाम नजीबुल्लाह जन्म  1858 अंग्रेजों को देश से निकालने की कोशिश में जी जान से लगे रहे । इनको पकड़ने की अंग्रेजों ने बहुत कोशिश की मगर वह भागकर सऊदी अरब चले गए और वहीं उनका देहांत हो गया।   143 :- रहीम बख्श दिल्ली निवासी मिलिट्री कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 30 नवंबर 1857 को फांसी दी गई   144 रहीम बख्श  बल्लीमारान दिल्ली के निवासी मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 22 फरवरी 1858

आजादी के मतवाले खुदा बख्श शेख दिल्ली के निवासी

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आजादी के मतवाले (67 )  126 :-  खुदा बख्श शेख :  दिल्ली के निवासी मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 3 अक्टूबर 1857 को फांसी दी गई ।  127 : -  खुदाबख्श शेख : दिल्ली के निवा सी मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 2  दिसंबर 1857 को फांसी दी गई  ।   128:-   खुदा बख्श:  पलवल के निवासी।  अंग्रेजी फोजो का मुकाबला किया विद्रोह के आरोप में 4 फरवरी 1857 को मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर फांसी दी गई ।   129  129 :- खुर्रम मिर्जा : गुडगांव के निवासी।  उपायुक्त दिल्ली के आदेश पर 15 दिसंबर 1857 को फांसी हुई   130 :-  खुर्रम बख्त:  गुडगांव के निवासी उपायुक्त दिल्ली के आदेश पर 15 दिसंबर 1 858 को फांसी हुई।   131:-  खुर्रम बख्श:  गुड़गांव के निवासी।  उपायुक्त दिल्ली के आदेश पर 10 नवंबर 1858 को फांसी हुई।   132 : -  महफूज अली आत्मज अमानत अली : हसनपुर गुड़गांव के निवासी उपायुक्त दिल्ली के आदेश पर 13 जनवरी 1858 को फांसी दी गई ।  133 :- मीरू भट्ट : दिल्ली के निवासी । मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 12 मार्च 1858 को फांसी हुई ।  134:-  महबूब बख्श आत्मज रोशन पठान हुसैनपुर गुड़गांव के निवासी । 2 जनवरी 185 8 को उपायुक्त दिल्ली के आ

आजादी के मतवाले अब्दुल्ला बख्श आत्मज अली बेग

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॰  आजादी के मतवाले( 66) 116 :- अब्दुल्लाह बख्श  आत्मज अली बेग अंग्रेजी फौज की नौकरी छोड़ दी ₹200 जुर्माने की सजा हुई ।  117  :- नवाब अब्दुर्रहमान खान  नवाब झज्जर इनकी सेना ने अंग्रेजी सेना से मुकाबला किया ।मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर इनको 23 दिसंबर 1857 को फांसी की सजा हुई ।चांदनी चौक कोतवाली के सामने फांसी पर लटका दिया गया फिर एक गड्ढे में फेंक दिया गया और उनकी विरासत को अपने कब्जे में कर लिया।   118:-  हजूर सुल्तान:  मुगल शहजादा । अंग्रेजों के किले में प्रवेश पर रुकावट पैदा की । गिरफ्तार हुए। मिलिट्री आयुक्त के आदेश पर 18 जनवरी 1858 को फांसी हुई।   119ः-खिजिरूदीन : गुडगांव के निवासी 15 दिसंबर 1857 को उपायुक्त के आदेश पर फांसी की सजा दी गई।   120 :- खुदा बख्श शेख लाहौरी गेट के निवासी । अंग्रेजी  फौजों का मुकाबला किया ।  18 जनवरी 1858  मिलिट्री कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर फांसी की सजा हुई।   121:-  खुदा बख्श :  दिल्ली के निवासी अंग्रेजों फौजो का मुकाबला किया । मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर फांसी की सजा हुई।   122 :- खुदा बख्श : गुडगांव के निवासी 1857 में उपायुक्त के आदेश पर फांसी हुई।   12

मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर 157 वी पुण्यतिथि मनाई गई

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हिंदुस्तान की स्वतंत्रता संग्राम के महानायक मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की 157वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें याद करते हुए जंगे आजादी का महान योद्धा करार दिया गया और भारत के इतिहास में न उनको कभी भुलाया जा सकता है और न कभी हटाया या मिटाया जा सकता है और जो लोग इस तरह का प्रयास कर रहे हैं वह वास्तव में देश के इतिहास के हितेषी नहीं बल्कि विरोधी हैं। दरसगाह मुगल शहंशाह बहादुर शाह जफर के नेतृत्व में गालिब एकेडमी निजामुद्दीन नई दिल्ली में हुए एक दिवसीय आयोजन में अनेक स्वतंत्रता से जुड़े सेनानियों के वंशजों ने भाग लिया और बहादुर शाह जफर को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए देश की वर्तमान स्थिति पर चिंता और चर्चा व्यक्त की।सम्राट बहादुर शाह जफर के वंशज नवाब शाह मोहम्मद शोएब खान ने कहा कि आज विश्व स्तर पर कई तरह की समस्याएं और साजिशें हमारे सामने खड़ी हैं जिनका मुकाबला हम सभी लोग आपस में एकजुट होकर भाई चारे के साथ कर सकते हैं और राजनीतिक व्यवस्था, सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और हिंसा जैसी समस्याओं से हम संघर्ष कर सकते हैं। इस अवसर पर अच्छे काम करने वालों तथा समाज में एक दूसरे के प्रति तथा अपने बड़

धोबी के बेटे का माजरा

हजरत निजामुद्दीन औलिया अक्सर एक जुमला कहा करते थे कि हमसे तो धोबी का बेटा ही खुशनसीब निकला हमसे तो इतना भी ना हो सका फिर गश खाकर गिर जाते। एक दिन उनके मुरीदो ने पूछ लिया हजरत यह धोबी के बेटे वाला क्या माजरा था आप ने फरमाया एक धोबी के पास महल से कपड़े धुलने आया करते थे और वह मियां बीवी कपड़े धोकर प्रेस करके वापस महल पहुंचा दिया करते थे उनका एक बेटा था जो जवान हुआ तो कपड़े धोने में वालीदैन का हाथ बंटाने लगा       कपड़ों में शहजादी के कपड़े भी थे जिनको धोते-धोते वह शहजादी के ना दीदार इश्क में मुब्तिला हो गया मोहब्बत के इस जज्बे के जाग जाने के बाद उसके तेवर तब्दील हो गए वह शहजादी के कपड़े अलग करता उन्हें खूब अच्छी तरह धोता और उन्हें प्रेस करने के बाद एक खास निराले अंदाज में तय करके रखता      सिलसिला चलता रहा आखिर वालीदा ने इस तब्दीली को नोट किया और धोबी के कान मे खुसर पुसर की कि लगता है यह तो सारे खानदान को मरवाएगा ये तो शहजादी के इश्क में मुब्तिला हो गया है वालिद ने बेटे के कपड़े धोने पर पाबंदी लगा दी इधर जब तक लड़का महबूब के जेरे असर मेहबूब की कोई खिदमत बजा लाता था। मोहब्बत का बुखार निकल

आजादी के मतवाले करीम बख्श शेख

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आजादी के मतवाले (65) 106 : - करीम बख्श शेख : दिल्ली के निवासी मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 13 नवंबर 1857 को फांसी दी गई । 107 : - करीम बख्श शेख : बल्लभगढ़ गुड़गांव के निवासी मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 15 दिसंबर 1857 को फांसी हुई ।  108 :- करीम बख्श :  सोनीपत गुडगांव के निवासी बादशाह के साथ विद्रोही षड्यंत्र में सक्रिय भाग लिया जिसके कारण 24 दिसंबर 1857 को फांसी की सजा हुई।  109 : खैराती खां: दिल्ली के निवासी 27 फरवरी 1857 को मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर फांसी हुई ।  110 :- खैराती मिओ: नागली गुड़गांव के निवासी गिरफ्तारी के बाद उपायुक्त दिल्ली के आदेश पर 18 जनवरी 1857 को फांसी दी गई।  111 :-  खैराती शंख  नार नागली दिल्ली गुडगांव के निवासी डिप्टी कमिश्नर के आदेश पर फांसी दी गई। 112:- अब्बास हाजी पूर्ण नाम अब्दुल अब्बास हाजी आत्मज मसीता व्यवसाय कुन्दाकारी एवं नक्काशनिगारी  18 57 के विद्रोह में भाग लिया। फरार रहे, फिर 18 61 में बंदी बनाए गए फरवरी 1862 मे फांसी दे दी गई। 113:-  अब्दुल्लाह  शेख दिल्ली के निवासी विद्रोह के आरोपी आयुक्त के आदेश पर 18 नवंबर1857 को फांसी की सजा दी गई ।  114 :- अद