जानिए गारे (गुफा)हिरा के बारे में

वही गुफा हिरा के बारे में 6 हकीक़तें हर मुसलमान को जानना चाहिए
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ग़ारे हिरा यानि एक गुफा जिसका नाम हिरा था एक बहुत ही अहम् और बा बरकत जगह जिसका हमारे नबी(ﷺ) से बड़ा गहरा ताल्लुक़ है या अगर ये कह लीजिये तो गलत न होगा कि इस्लाम हो कुरान हो या नुबुव्वत सभी की शुरुआत के लिए इसी जगह को चुना गया |


तो चलिए इस गुफा मेरा मतलब है ग़ारे हिरा के बारे में कुछ ऐसे फैक्ट्स की बात करें जो हर मुसलमान को जानना चाहिए, और हकीक़त में ये बहुत ही दिलचस्प तथ्य हैं जो आपकी इस्लामी मालूमात में इज़ाफ़ा करेंगे ।


ग़ारे हिरा से जुड़ी कुछ हक़ीक़तें


1. गुफा हिरा को जबल-ए-नूर के नाम से भी जाना जाता है
काबा शरीफ़ से दो मील दूर एक पहाड़ है जिसका नाम हिरा है । इसे जबल-ए-नूर और जबल-ए-हिरा के नाम से भी जाना जाता है। जबल-ए-नूर का मतलब है “रोशनी का पहाड़ या रौशनी वाला पहाड़”। मक्का मुकर्रमा जाने वाले हज़रात इस मक़ाम की जियारत को जाते हैं ।


2. गुफ़ा में जगह कितनी है
हिरा गुफा एक छोटी सी गुफा है जिसकी लंबाई 4 मीटर और चौड़ाई 1.5 मीटर है। 500 मीटर की ऊँचाई पर बनने वाले इस पहाड़ में 380 मीटर की ढलान है। और इस गुफ़ा का आकार बिलकुल ऊंट के कूबड़ से मिलता जुलता है। ये पहाड़ लगभग 5.2 वर्ग मीटर क्षेत्र को कवर कर रहा है।


3. नबी (ﷺ) का इस गुफ़ा में इबादत करना
नुबुव्वत के ऐलान से पहले नबी (ﷺ) दुनिया भर की गंदगियों से पाक इस गुफा में जाकर एतकाफ फरमाते और अल्लाह की इबादत करते, खाने पीने का सामान ले जाते और कई कई दिनों तक अल्लाह की बंदगी में लगे रहते |


4. पहली वही और कुरान का नाज़िल होना
यहाँ यानि इसी ग़ार ( गुफ़ा ) में पहली बार कुरान शरीफ़ की कुछ आयतें पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) पर नाज़िल की गई , और ये साल 610 ईसवीं था और रमज़ान का महीना था ।


वही किसे कहते हैं ?
यहाँ पर एक बात क्लियर कर दूं कि हज़रत जिबराइल (अलैहि सलाम) नबी (ﷺ) पर अल्लाह के हुक्म से जो कुरान लेकर आते थे उसको वही कहते हैं यानि कुरान के उतरने को वही कहते हैं |


5. फ़रिश्ते जिबरइल (अलैहि सलाम). इस गुफा में आए
एक रात, तहज्जुद के वक़्त एक फ़रिश्ता आदमी की शक्ल में आया और नबी (ﷺ) से कहा, “पढ़िए”, जिस पर नबी (ﷺ) ने कहा कि “मैं पढ़ा हुआ नहीं हूँ” । फ़रिश्ते ने पढ़ने के लिए फिर दूसरी बार और फिर तीसरी बार कहा, लेकिन हर बार नबी (ﷺ) ने फ़रमाया “मैं पढ़ा हुआ नहीं हूँ”, । आखिर में, फ़रिश्ते जिबरइल (अलैहि सलाम) ने क़ुरआन की कुछ आयतें पढ़ कर कहा पढ़िए ;


इकरअ बिस्मि रब्बिकल लज़ी खलक


खलाक़ल इन्सान मिन अलक़


इकरअ व रब्बुकल अकरम


अल्लज़ी अल्लमा बिल्क़लम


अल्लमल इन्सान मालम यअलम


तर्जुमा :


पढ़िए उस रब के नाम से जिसने पैदा किया,


उसने इंसान को खून के लोथड़े से पैदा किया,


पढ़िए आपका रब बहुत ही करम करने वाला है


जिसने क़लम के ज़रिये तालीम दी,


इंसान को उन चीज़ों की तालीम दी जिसको वो नहीं जानता था


ये क़ुरआन की वो आयतें हैं जो सब से पहले नाजिल हुईं


6. पैगंबर की शुरुआत
फ़रिश्ते की आवाज़ आई ” ए मुहम्मद, आप अल्लाह के नबी हैं, और मैं जिबराइल हूँ ” इस पहली वही के साथ , मुहम्मद (ﷺ) के नुबुव्वत की शुरुआत हुई थी।


कुरान 22 साल, 5 महीने और 14 दिनों में पूरी तरह से नाज़िल हुआ ।


अल्लाह आपका और हमारा हामी व मददगार हो आमीन अमजद हुसैन घोसी के जी एन परफ्यूमर्स अजमेर


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