किसने संवैधानिक प्रतिनिधित्व (आरक्षण) नहीं दिया और कौन नहीं चाहता आपके बच्चे सरकारी नौकरियां नहीं करें? (भाग-१)

रिपोर्ट-मुस्तकीम मंसूरी वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसमें मोरारजी देसाई ब्राह्मण थे। जिनको जयप्रकाश नारायण द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया गया था। चुनाव के समय जनता पार्टी ने वचन दिया था, कि यदि उनकी सरकार बनती है, तो वह काका कालेकर कमिशन (ओबीसी कमिशन) लागू करेंगे, जब उनकी सरकार बनी तो ओबीसी का एक प्रतिनिधि मंडल मोरारजी देसाई से मिला और काका कालेकर कमीशन लागू करने के लिए मांग की मगर मोरारजी देसाई ने कहा कि काका कालेकर कमीशन की रिपोर्ट पुरानी हो चुकी है, इसलिए अब बदली हुई परिस्थिति में नई रिपोर्ट की आवश्यकता है। यह एक शातिर ब्राह्मण की ओबीसी को ठगने की एक चाल थी। प्रतिनिधि मंडल इस पर सहमत हो गया और बीपी मंडल जो बिहार के यादव थे उनकी अध्यक्षता में मंडल कमीशन बनाया गया। बीपी मंडल और उनके कमीशन ने पूरे देश में घूम-घूम कर 3743 जातियों को ओबीसी के तौर पर पहचान किया जो 1931 की जाति आधारित जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 52% थे। मंडल कमीशन द्वारा अपनी रिपोर्ट मोरारजी देसाई सरकार को सौंपते ही, पूरे देश में बवाल खड़ा हो गया। उसे समय जनसंघ के 98 सांसदों के समर...