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आजादी के मतवाले इमाम शेख गुड़गांव निवासी

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96 :- इमाम शेख गुड़गांव के निवासी 4 दिसंबर 1857 को उपायुक्त दिल्ली ने फांसी दी।  97 :- इमामुदीन आत्मज चाँद खाँ : पलवल गुड़गांव के निवासी उपायुक्त दिल्ली के आदेश पर फांसी दी गई।  98 :- इशतियाक आत्मज अब्बास अली : रसूलपुर गुड़गांव के निवासी उपायुक्त दिल्ली के आदेश पर 15 जनवरी 1858 को फांसी दी गई । 99 :- जाफर हुसैन आत्मज कादिर हुसैन : रसूलपुर गुड़गांव के निवासी उपायुक्त दिल्ली के आदेश पर 13 जनवरी 1858 को  फांसी दी गई।  100 :-करीमुल्लाह :रसूलपुर गुड़गांव के निवासी  16 जनवरी 1858 को उपायुक्त दिल्ली के आदेश पर  फांसी की सजा दी गई।  101 :- करीम बख्श दिल्ली के निवासी।  मिलिटरी कमिश्नर के आदेश पर 7 दिसंबर 1857 को फांसी की सजा दी गई  । 102 :- करीम बख्श आत्मज बहाउल्लाह : हुसैनपुर गुड़गांव के निवासी उपायुक्त दिल्ली के आदेश पर 2जनवरी 1858 को फांसी दी गई । 103 :- करीम बख्श दिल्ली के निवासी मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 22फरवरी 1858 को  फांसी दी गई।  104 :-करीम बख्श मुगल :दिल्ली के निवासी मिलिट्री कमिशनर के आदेश पर 27फरवरी 1858 को फांसी दी गई ।  105 :- करीम बख्श शेख : दिल्ली के निवासी मिलिट्री कमिश्नर क

आजादी के मतवाले हुसैन अली रेवाड़ी गुड़गांव

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आजादी के मतवाले (63) 86 :-  हुसैन अली रेवाड़ी गुड़गांव के निवासी उपायुक्त दिल्ली के आदेश पर 6 मई 1858 को फांसी दी गई। राव तुला राव की कमांड में अं ग्रेजी सेना का मुकाबला किया।  87 :-  हुसैन बख्श लाल किला दिल्ली के निवासी 27 फरवरी 1858 को मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर फांसी दी गई।  88:- हुसैन बख्श लाल किला दिल्ली के निवासी 27 फरवरी 1858 को मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर फांसी दी गई ।  89 :- हुसैन बख्श शेख नजफगढ़ दिल्ली के निवासी मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 28 जनवरी 1858 को फांसी की सजा दी गई। 90 :- हुसैन खाँ दिल्ली के निवासी 28 जनवरी 1858 को फांसी दी गई ।  91:- हुसैन खाँ आत्मज शेख अहमद फरूख नगर गुडगांव के निवासी ,विद्रोही गतिविधियों में भाग लिया और 14 वर्ष की सजा हुई ।  92 :-  हयात खाँ  आत्मज खाँ विद्रोही गतिविधियों में शामिल थे 25 मई को 3 साल की सजा हुई।   93 :- अलीमुदीन मुगल दिल्ली के निवासी 18 नवंबर 1857 को  फांसी दी गई।   94 :-   इमाम अली आत्मज वजीर अली सोहना गुड़गांव के निवासी 27 नवंबर 1857 को उपायुक्त दिल्ली ने फांसी की सजा दी ।  95 : - इमाम शेख मारूफल्लाह सुलतानपुर गुड़गांव के निवासी

कयामत के दिन अल्लाह हर मुसलमान से इसका सवाल करेगा

01. दीनी इल्म (इस्लामी ज्ञान) हासिल करना : अल्लाह के रसूल (ﷺ) का इर्शाद है, "पहुँचा दो मेरी तरफ से, अगरचे एक आयत ही क्यूँ न हो ।' () इस फरीज़े को शहादते अलन्नास (लोगों के सामने दीने इस्लाम की गवाही) कहा गया है. कयामत के दिन अल्लाह तआला हर मुसलमान से इसके बारे में सवाल करेगा. कुरान करीम में सबसे पहले अल्लाह तआला ने अपने नबी (ﷺ) पर ये आयतें नाज़िल कीं, "पढो, अपने रब के नाम से जिसने हर चीज़ की रचना की. जिसने इन्सान को खून के लोथडे से पैदा किया. पढो कि तुम्हारा रब बडा ही करम वाला है. जिसने कलम के ज़रिये (इल्म/ज्ञान) सिखाया. जिसने इन्सान को वह सिखाया, जो वो नहीं जानता था.' (सूरह अलक : 1-5) इस्लाम की दा'वत (आमंत्रण) : सूरह अलक की इन पाँच आयतों के नुज़ूल (अवतरण) के बाद काफी दिनों तक कुरान नाज़िल होने का सिलसिला रूका रहा. फिर अल्लाह तआला ने सूरह मुद्दस्सिर नाज़िल की और अपने नबी (ﷺ) से इर्शाद फर्माया, "ऐ कपडा ओढकर सोने वाले! खडे हो जाओ और (लोगों) को खबरदार करो. और अपने रब की तक्बीर (महिमा) बयान करो.' (सूरह मुद्दस्सिर : 1-3) अब हम इन दोनों को एक क्रम में रखकर सोचें

गलतफहमिया और उनका निदान

कुछ लोगों के मन में इस्लाम के बारे में गलतफहमियाँ हैं; जिनको दूर किया जाना ज़रूरी है. गलतफहमियाँ और उनका इज़ाला (निवारण) : गलतफहमियाँ दो किस्म की होती हैं, 01. नेगेटिव (नकारात्मक) विचारधारा के लोगों द्वारा इस्लाम के बारे में फैलाई गई सोच : वे लोग  जिनके मन में इस्लाम के प्रति खुन्नस है लोग सहीह बात सुनना और समझना ही नहीं चाहते; उनके द्वारा फैलाई गई गलतफहमियों का इतना ठोस व तर्कसंगत जवाब दिया जाना चाहिये कि वे दूसरे लोगों को गुमराह न कर सकें. 02. इस्लाम के बारे में पहले से बनाई हुए नज़रिये (पूर्वाग्रह) के कारण इस्लाम के प्रति गलत विचार रखना :  ऐसे लोगों को जब हकीकत का पता चलता है तो वे सच को कुबूल करते हुए अपनी सोच बदल भी लेते हैं. हर मुस्लिम की ज़िम्मेदारी क्या है? कई लोग ऐसे होते हैं जो एक पक्ष जानने के बाद दूसरा पक्ष भी जानना चाहते हैं. ऐसे लोग हमेशा हक की तलाश में रहते हैं. अगर उनके पास हक बात पहुँचा दी जाए तो न सिर्फ उनकी जिज्ञासा शांत होती है बल्कि वे लोग दूसरों की गलतफहमियों को भी दूर करने में मददगार षाबित होते हैं. आज के दौर में हर मुस्लिम की दो अहम (महत्वपूर्ण) ज़िम्मेदारियाँ ह

हां मैं बाबर बोल रहा हूं

_*491 साल 7 महीने 12 दिन के बाद आज अदालत ने बाबर को बा इज़्ज़त बरी किया........*_ मैं बाबर हूँ ... हाँ वही "शहंशाह ज़हीर उद्दीन मुहम्मद बाबर" जिसने 21 अप्रैल 1526 ई० को पानीपत के मैदान में इब्राहिम लोदी को हराया था और हिन्दुस्तान में मुग़लिया सलतनत की नीव रखी थी. 1530 ईo में 26 दिसम्बर का दिन था. आगरा में मौत ने मेरे ऊपर हमला किया. मैं ज़िन्दगी की जंग हार गया. मुझे काबुल में दफन किया गया और यह जगह बाग़-ए-बाबर के नाम से मशहूर हुई. मैं कब्र में सुकून से सो रहा था तभी अचानक एक दस्तक ने मेरी आँख खोल दी. हिन्द से आये एक सफीर ने बताया कि मेरे ऊपर इल्ज़ाम है कि मैनें अयोध्या में राम मन्दिर तोड़ा है. मैं बेचैेन हो गया, मुझे याद ही नहीं कि मैने किस मन्दिर को तोड़ा था. मैने अपने सिरहाने से तूज़ुक-ए-बाबरी उठाई, यह मेरी किताब थी. इसको पढ़ना शुरू किया :::::----- "मेरा अवध में एक गवर्नर था शैख़ बायज़िद ... उसनेे मुझसे बग़ावत की थी ... मैं 28 मार्च 1528 ई० को बग़ावत ख़त्म करने के लिए अवध पहुँचा था ... अयोध्या शहर से 8 मील दूर मैनें कैम्प किया और मेरे फौजी दस्तों ने सरयू के किनारे से बायज़िद को

आजादी के मतवाले गुलाम नसीरुद्दीन शेख

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आजादी के मतवाले (62) 76 :- गुलाम नबी : गुड़गांव में बादशाहपुर के निवासी, उपायुक्त दिल्ली के आदेश पर 1858 को फांसी दी गई।  77 :- गुलाम नसीरुदीन शेख : दिल्ली के निवासी।  military commissioner  दिल्ली के आदेश पर फांसी 18 नवंबर 1857 को फांसी दी गई।  78 :- गुलाम शाह शेख :- दिल्ली के हो गया निवासी। विद्रोही कार्यक्रम में सक्रिय रहे और अंग्रेजी फौज का मुकाबला किया। deputy commissioner Delhi के आदेश पर 18 जनवरी 1858 को फांसी दी गई। 79 :-  गयासुद्दीन मिर्जा गुडगांव के निवासी उपायुक्त ने उनके लिए फांसी का हुक्म  दिया ।  80 :-  हबीब शेख दिल्ली के निवासी विद्रोही आंदोलन में सक्रिय भाग लिया, अंग्रेजी फौजों से मुकाबला किया बन्दी बनाऐ गए   और मिलिट्री कमिश्नर के आदेश से 7 दिसंबर 1857 को फांसी की सजा हुई।   81 हैदर आत्मज हैदर मिओ गुडगांव के निवासी 24 मार्च 1858 को मुख्य  आयुक्त ने उनको फांसी का आदेश दिया। 82 :-  हाजी मोहम्मद बख्श शेख  दिल्ली के निवासी मिलिट्री कमिश्नर के आदेश से 13 अक्टूबर 1857 को फांसी की सजा हुई ।  83 :- हमीरा दिल्ली के निवासी  पेशे से नाई थे 20 नवंबर 18 57 को मिलट्री कमिश्नर के हुक

वतन की खातिर जो मर मिटे

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आजादी के मतवाले  66 : - मिर्जा मोमीन मुगल दिल्ली के रहने वाले 22 फरवरी 1858 को फांसी दी गई ।  67 :- मिर्जा  मौला बक्स आत्मज मिर्ज़ा रहीम बख्श स्पेशल कमिश्नर दिल्ली के हुक्म पर फांसी हुई ।  68  :- मिर्ज़ा मुबारक आत्मज मिर्ज़ा  मंझले : स्पेशल कमिश्नर दिल्ली के हुक्म पर  फांसी हुई ।  69 :-  मिर्जा मुगल: बहादुर शाह जफर के पुत्र विद्रोही आंदोलन में सक्रिय भाग लिया मुगल फौज के कमांडर थे। कैप्टन हडसन ने हुमायूं के मकबरे से गिरफ्तार किया। लाल किला लाते हुए दिल्ली गेट के बाहर कैप्टन हडसन ने 22 सितंबर 1857 अपनी गोली का  निशाना   बना डाला ।  70 :- मिर्जा मुगल साकिन लाल किला 22 फरवरी 1858 को फांसी दे दी गई।  71 :- मिर्ज़ा मुशीरुदीन आत्मज मिर्जा कादिर बख्श  मुगल शहजादा विद्रोही आंदोलन में सक्रिय भाग लिया स्पेशल कमिश्नर के  हुक्म पर फांसी दी गई ।  72 :- मिर्ज़ा मुसलहुदीन आत्मज मिर्ज़ा  हुसैन बख्श आजीवन कारावास की सजा हुई। छूटने के बाद रंगून में नजरबंदी का जीवन बिताया  73 :- बिरजा ताहिर बख्श आत्मज मिर्जा इक्तदार बख्श मुख्य आयुक्त के आदेश पर फांसी की सजा हुई । 74 :-  गुलाम मोहिउद्दीन शेख गुडगांव के न

अंग्रेजों की साजिश को कर दिया नाकाम/ ऐसे सपूतों को हम करते हैं सलाम

अंग्रेजअपनी साजिश  में कामयाब हो जाते और गांधी जी को 1917 में ही मौत की नींद सुला दिया जाता। लेकिन बत्तख मियां अंसारी की वजह से 31 साल तक गांधीजी और जिए। आज गांधी जी को मारने वाले नाथूराम गोडसे को तो सब लोग जानते हैं  कुछ लोग तो गांधी जी को गोली मारने का मंचन करते हैं नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाते हैं उसकी पूजा करते हैं क्या गांधी जी को बचाने वाले  बत्तख मियां अंसारी की याद में कोई लाइब्रेरी कोई स्मारक  या कोई यादगार  सड़क  कोई ऐसी ऐतिहासिक चीज आपको कहीं नजर आती है शायद नहीं यह  इतिहास के प्रति हम सब लोगों की लापरवाही है । लेकिन गांधीजी को बचाने वाले वक्त में अंसारी के बारे में कितने लोग जानते हैं ऐसे बत्तख मियां अंसारी को हम  सलाम पेश करते हैं। जब बत्तख मियां ने गाँधी को ज़हर मिला हुआ सूप पीने से रोक दिया था।जब गांधी एक अंग्रेज़ की कोठी में डिनर कर रहे थे तो बत्तख मियां के हाथ में सूप का कटोरा था, सूप में जहर मिला हुआ था। बत्तख मियां ने सूप का कटोरा तो गांधी को थमा दिया, मगर साथ ही यह भी कह दिया की इसे न पिये, इसमें जहर मिला है।2अक्टूबर को हम गांधी जयंती मनाते हैं और गांधी जी को याद कर

जिन पर नाज़ है हिंद को

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आजादी के मतवाले  56 मिर्जा करीम बख्श आत्मज मिर्जा मक्खू मुगल शहजादा स्पेशल कमिश्नर के  हुकुम पर फांसी हुई।   57 :-  मिर्जा खिजिर सुल्तान बहादुर शाह जफर के पुत्र कैप्टन हडसन ने उनको हुमायूं के मकबरे से गिरफ्तार किया और दिल्ली गेट के बाहर फांसी पर लटका दिया।  ( 58) मिर्जा खुदा बख्श आत्मज मिर्ज़ा बाबू उम्रकैद कराची ,अलीपुर, आगरा और कानपुर की जेलों में बंदी रहे ,रिहाई के बाद नजर बंदी का आदेश हुआ । (59) मिर्ज़ा खुदाबख्श आत्मज मिर्जा हैदर बख्श उम्र कैद की सजा हुई ।भारत की विभिन्न जेलों में रहे ,रिहाई के बाद नजर बद रहे ।  (60) मिर्ज़ा महारूख बेग  खां गिरफ्तार हुए और फिर फांसी की सजा हुई ।  (61)  मिर्जा महारुख 18 नवंबर को 1857 को मिलिट्री कमिश्नर के हुक्म पर फांसी हुई ।  (62) मिर्ज़ा माहरुख बेग:18 जनवरी 18 258 को फांसी का आदेश जारी किया गया ।   (63)  मिर्जा मुहम्मद  बख्श आत्मज मिर्जा एजाज़  बख्शी दिल्ली के रहने वाले स्पेशल कमिश्नर के हुक्म पर फांसी दी गई। (64) मिर्जा मोहम्मद उस्मान आत्मज मिर्जा गुलाम फखरुद्दीन उम्र कैद की सजा हुई कैद के दिनों में ही देहांत हो गया  (65) मिर्जा मोइनुद्दीन आत्मज

2 गज जमीन भी न मिली कूचे ए यार मे

  जब मुगलों ने पूरे भारत को एक किया तो इस देश का नाम कोई इस्लामिक नहीं बल्कि "हिन्दुस्तान" रखा , हाँलाकि इस्लामिक नाम भी रख सकते थे , कौन विरोध करता ? जिनको इलाहाबाद और फैजाबाद चुभता है वह समझ लें कि मुगलों के ही दौर में "रामपुर" बना रहा तो "सीतापुर" भी बना रहा। अयोध्या तो बसी ही मुगलों के दौर में। आज के वातावरण में मुगलों को सोचता हूँ , मुस्लिम शासकों को सोचता हूँ तो लगता है कि उन्होंने मुर्खता की। होशियार तो ग्वालियर का सिंधिया घराना था , होशियार मैसूर का वाडियार घराना भी था और जयपुर का राजशाही घराना भी था तो जोधपुर का भी राजघराना था। टीपू सुल्तान थे या बहादुरशाह ज़फर सब बेवकूफी कर गये और कोई चिथड़े चिथड़ा हो गया तो किसी को देश की मिट्टी भी नसीब नहीं हुई और सबके वंशज आज भीख माँग रहे हैं। अँग्रेजों से मिल जाते तो वह भी अपने महल बचा लेते और अपनी रियासतें बचा लेते , वाडियार , जोधपुर , सिंधिया और जयपुर राजघराने की तरह उनके भी वंशज आज ऐश करते। उनके भी बच्चे आज मंत्री विधायक बनते। यह आज का दौर है , यहाँ "भारत माता की जय" और "वंदेमातरम" कहने

14 नवंबर बाल दिवस के रूप में मनाते हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन

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  आज 14 नवंबर है आज 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है  भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु बच्चों से बहुत प्यार करते थे इसीलिए उनको चाचा नेहरू कहते हैं और 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में बनाते हैं । स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री का पद सँभालने के लिए कांग्रेस द्वारा नेहरू निर्वाचित हुएँ, यद्यपि नेतृत्व का प्रश्न बहुत पहले 1941 में ही सुलझ चुका था, जब गांधीजी ने नेहरू को उनके राजनीतिक वारिस और उत्तराधिकारी के रूप में अभिस्वीकार किया। प्रधानमन्त्री के रूप में, वे भारत के सपने को साकार करने के लिए चल पड़े। भारत का संविधान 1950 में अधिनियमित हुआ, जिसके बाद उन्होंने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के एक महत्त्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की। मुख्यतः, एक बहुवचनी, बहु-दलीय लोकतन्त्र को पोषित करते हुएँ, उन्होंने भारत के एक उपनिवेश से गणराज्य में परिवर्तन होने का पर्यवेक्षण किया। विदेश नीति में, भारत को दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय नायक के रूप में प्रदर्शित करते हुएँ, उन्होंने गुट-निरपेक्ष आन्दोलन में एक अग्रणी भूमिका निभाई। नेहरू के नेतृत्व में, कांग्रेस राष्ट्

आजादी के मतवाले मिर्जा तुराबशाह

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  आजादी के मतवाले  मिर्जा तुराब शाह 36:-मिर्जा तुराब शाह आत्मज मिर्जा  शहाबुद्दीन दिल्ली के रहने वाले मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर नजरबंदी की सजा हुई । फिर उनको रंगून में नजरबंद कर दिया गया । 37:- मिर्जा वली  शिकोह आत्मज मिर्जा बुलंद मुगल शहजादा स्पेशल कमिश्नर के आदेश से फांसी की सजा हुई। 38:- मिर्जा जहीरूद्दीन आत्मज मिर्जा  शकूरा 30 जुलाई 1857 को लोनी गांव के तहसीलदार ने गिरफ्तार किया उम्र कैद की सजा हुई । हिंदुस्तान की विभिन्न जेल मे रहे । उसके बाद उन्हें रंगून की जेल में नजरबंद कर दिया गया। 39 मिर्जा जमुर्रदशाह दिल्ली के रहने वाले 18 नवंबर  1857 को फांसी दी गई। 40 मिर्जा मोहब्बत शाह पुराना किला दिल्ली के रहने वाले  military कमिश्नर के आदेश से 11 फरवरी 1858 को फांसी हुई । मोहम्मद अब्दुल हक हकीम आत्मज मोहम्मद हसन बख्श दिल्ली के रहने वाले मुगल दरबार में बल्लभगढ़ के राजा के प्रतिनिधि थे ।मुगल दरबार के एसीडी थे।  400 मुगल सिपाहियों के साथ अंग्रेजी फौजो  से गंभीर मुकाबला किया। झज्जर में अंग्रेजी सिपाहियों ने गिरफ्तार किया 1857 में उन्हें फांसी देने का आदेश हुआ।  42 :- मोहम्मद अली खान शेरज

फांसी और उम्र कैद पाने वाले दीवाने

  आजादी के मतवाले ,फांसी और उम्रकैद पाने वाले दीवाने    26 :- मिर्जा गुलाम फखरुद्दीन आत्मज मिर्जा खुर्रम बख्श : मुगल शहजादा गिरफ्तार कर लिए गए। स्पेशल कमिश्नर ने फांसी का हुक्म दिया । 27 :- मिर्जा गुलाम इमामुद्दीन आत्मज  मिर्जा अली बख्शी  उम्र कैद की सजा हुई । कैद के दौरान ही उनका देहांत हो गया ।  28:-  मिर्जा नन्हे आत्मज मिर्जा करीमुद्दीन दिल्ली के रहने वाले।  स्पेशल कमिश्नर   के  हुकुम पर फांसी दी गई।   29 :- मिर्जा नजमुद्दीन  आत्मज  मिर्जा बहादुर दिल्ली के रहने वाले। बहादुर शाह जफर के भतीजे। उम्रकैद अलीपुर ,कानपुर, कराची की जेल से छूटने के बाद बंद कर दिया गया ।  30 :-  मिर्जा  नूरुद्दीन आत्मज मिर्जा बहादुर :ब्रिटिश फौजों के हमले के दौरान शाही फौज के साथ मिलकर लड़े ।बंदी बना लिए गए स्पेशल कमिश्नर के आदेश से फांसी की सजा हुई ।  31:- मिर्जा कादिर बख्श आत्मज मिर्जा बख्श  मुगल शहजादा । शाही फौज के साथ मिलकर अंग्रेजी फौज से  जमकर मुकाबला किया गिरफ्तार हुए और स्पेशल कमिश्नर के आदेश से फांसी दे दी गई।  32:-  मिर्जा कुतुबुद्दीन आत्मज मिर्जा कादिर बख्श मुगल शहजादा इंकलाबी मुहिम में अंग्रेजी फ

आजादी के मतवाले मिर्जा अहमद जान

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  ॰  आजादी के मतवाले(56)  15 :- मिर्जा अहमद जान वल्द मिर्जा खुर्रम बख्त भारत की इंकिलाबी मुहिम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उम्र कैद की सजा हुई इसी बीच कुछ दिनों बाद उनका देहांत हो गया।  16:- मिर्जा अहमद शेख आत्मज मिर्जा मोहम्मद शेख विद्रोहियों की टोली में शामिल होने के कारण उम्र कैद की सजा हुई। आगरा, कानपुर, कराची और अलीपुर की जेलों में कैद रहे। छूटने के बाद नजर बंदी का आदेश दिया गया। 17 :-  मिर्जा बाबर आत्मज मिर्जा शाहरुख : अंग्रेजी सेना ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उम्र कैद की सजा हुई कानपुर अलीपुर और कराची की जेलों में कैद का जीवन बिताया ।फिर नजर बंद कर दिए गए।  18:-  मिर्जा बाबर शेख आत्मज मिर्जा हुसैन बख्श अंग्रेजी सिपाहियों द्वारा गिरफ्तार किए गए और मुकदमे की सुनवाई के बीच ही उनका देहांत हो गया।   19:- मिर्जा बहादुर आत्मज मिर्जा बुलंद इंकलाबी मुहिम में शामिल हुए। गिरफ्तार हुए और स्पेशल कमिश्नर दिल्ली के आदेश से फांसी दे दी गई।  20  :- मिर्जा बहादुर आत्मज मिर्जा मन्नान: उम्र कैद की सजा हुई । जेल ही में कुछ दिनों के बाद स्वर्गवास हो गया।   21 :-  मिर्जा बुलंद आत्मज मिर्जा मुकर्रम : भ

यह तो पहले से होता आया है

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बहुत इंतजार के बाद बाबरी मस्जिद का फैसला आ गया । आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना ही दिया। सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम है। अब फैसला जो भी आए आप उससे संतुष्ट हो या असंतुष्ट हो इसके बाद भारत में कोई दूसरी अदालत नहीं । सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानना होगा ।जब फैसला नहीं आया था तो कुछ लोग जो यह कहते थे कि वह सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं मानेंगे । फैसला आने से पूर्व  कुछ लोग एक माहौल तैयार करने में लग गए । यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो भी आए हम सबको सद्भाव बनाए रखना है । प्यार मोहब्बत से रहना है ,किसी तरह का कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करना है ।जगह-जगह शांति मीटिंग  होने लगी और जो शांति के लिए प्रशासन के कहने पर काम करते हैं वह सब लोग उसमें लग गए। उत्तर प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई। दंगा फसाद रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के अन्य राज्यों को भी हाई अलर्ट पर रखा गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बिल्कुल शांति है ,बराबर शांति बनी हुई है, जैसी धारा 370 को कश्मीर में हटाए जाने के बाद शांति बनी हुई है वह भी धारा 370 हटने के बाद लोग शांति से रह रह

आजादी के मतवाले ,जिन्हें फांसी पर लटकाया गया

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  आजादी के मतवाले  - 10      4 :- फैयाज अली दिल्ली वासी क्रांतिकारी संघर्ष में भाग लिया जिसके कारण उन्हें 12 मार्च 1858 में फांसी दे दी गई।  5:- गुलाम अशरफ पठान करनाल हरियाणा वासी इंकलाबी संघर्ष में सक्रिय भाग लिया। अंग्रेजों के एक बंगले में आग लगा दी (यह आग संबलपुर में लगाई गई थी) विद्रोह में सम्मिलित होने के कारण 4 फरवरी 1858 को उन्हें फांसी दे दी गई । 6 :- गुलाम कुतुबुद्दीन शेख दिल्लीवासी 18 नवंबर 1857 में मिलिट्री कमिश्नर ने उन्हें फांसी की सजा का हुक्म दिया।  7 :-  मौलाना फजलुल हक आत्मज मौलाना फजल इमाम खैराबादी सरिश्तादार जन्म 1797 दिल्ली में रेजीडेंसी में सरिश्तेदार के पद पर स्थापित थे। इस पद से इस्तीफा दिया और विद्रोह में खुलकर भाग लिया । स्वतंत्र भारत के नियम बनाए । जनता को उत्तेजित किया कि वह मुगल बादशाह की सहायता करें और अंग्रेजी सरकार के खिलाफ संघर्ष में सम्मिलित हो। दिल्ली का विद्रोह समाप्त होने पर खैराबाद चले गए। अंग्रेजों की फौज ने उन्हें गिरफ्तार किया और अंडमान दीप में कैद कर दिया जहां 1861 में उनकी मृत्यु हो गई। 8 :- खान बहादुर खाँ: का  जन्म 1781 हाफिज रहमत खान के पोते

आजादी के मतवाले बहादुर शाह जफर

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आजादी के मतवाले 1857 के स्वतंत्रता सेनानी  बहादुर शाह (अबू ज़फर सिराजुद्दीन मुहम्मद अहमद शहंशाह अकबर शाह)  जनम 1775. अंतिम मुगल सम्राट माता का नाम बेग लाल बाई । फारसी के दिग्गज  ज्ञाता उर्दू के कवि उनका तखल्लुस ज़फर था। हिंदू मुस्लिम एकता के नेता अपने समय में उन्होंने" फूलवालों की सैर" का मेला शुरू किया। इंकलाबी मुहिम के बीच उन्होंने इन उन मुहिमो की बागडोर अपने अपने हाथों में ली और उसका नेतृत्व किया। 14 मई 1857(अट्ठारह सौ सत्तावन) को राष्ट्रीय प्रशासन की बुनियाद डाली । उन्होंने अपने फरमान में जागीरदारों और धनी लोगों से अपील की कि वे अंग्रेजों के खिलाफ इस मुहिम में सम्मिलित हो जाए। अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई 14 सितंबर 1857 तक जारी रही। 84 वर्षीय बहादुर शाह जफरअंग्रेजो के मुकाबले के लिए लाल किला दिल्ली से बाहर आकर लडे। अंग्रेज अपने इस मंसूबे में सफल हुए तब बादशाह बहादुर शाह जफर ने हुमायूं के मकबरे में शरण ली ।  20 सितंबर 1857 को अंग्रेज किले पर अधिकार करने के बाद   हुमायूं के मकबरे की तरफ चले । अंग्रेजी फौज के कमांडर Hudson ने बहादुरशाह जफर और उनकी बेगम को लाल किले में कैद कर ल

कैलाश मानसरोवर और चीन

कैलाश मानसरोवर जो शिव जी का वास है वो चीन के कब्ज़े में है.. आज़ादी के बाद चीन ने "कैलाश पर्वत व कैलाश मानसरोवर" और अरुणाचल प्रदेश के बड़े भूभाग पर जब कब्ज़ा कर लिया तो देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी UNO पहुंचे की चीन ने ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा कर लिया है, हमारी ज़मीन हमें वापस दिलाई जाए। इस पर चीन ने जवाब दिया कि हमने *भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं किया है बल्कि अपना वो हिस्सा वापस लिया है जो हमसे भारत के एक शहंशाह ने 1680 में चीन से छीन कर ले गया था।* *यह जवाब UNO में आज भी ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में मौजूद है।* जानते हैं चीन ने किस शहंशाह का नाम लिया था ?  *"औरंगज़ेब" का...* दरअसल चीन ने पहले भी इस हिस्से पर कब्ज़ा किया था, जिस पर औरंगज़ेब ने उस वक़्त चीन के चिंग राजवंश के राजा "शुंजी प्रथम" को ख़त लिख कर गुज़ारिश की थी कि कैलाश मानसरोवर हिंदुस्तान का हिस्सा है और हमारे हिन्दू भाईयों की आस्था का केन्द्र है, लिहाज़ा इसे छोड़ दें। लेकिन जब डेढ़ महीने तक किंग "शुंजी प्रथम" की तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो *औरंगजेब ने चीन पर चढ़ाई कर दी जिसमें औरंगजेब ने

आजादी के मतवाले सन 1857

आजादी के मतवाले  सन1857 ( 2) जून का महीना अंग्रेजों के लिए बड़ा कठिन था। जून की गर्मी और लू वह सहन नहीं कर सकते थे। सब्जी मंडी पुरानी जीतगढ़ पर अंग्रेजों से बड़ा गंभीर युद्ध हुआ।  9 जून को इस युद्ध में 270 लोग मारे गए।  25 जून को चीफ कमिश्नर दिल्ली श्री ए ब्रान्डर्थ द्वारा सचिव स्टेट ऑफ इंडिया को यह सूचित किया गया कि विद्रोही फौजों ने अपनी शक्ति फिर से इकट्ठा कर ली है। जालंधर ब्रिगेड नसीराबाद और अवध से भारी संख्या में विद्रोही फौजी यहां पहुंच गए हैं ।ग्वालियर और बरेली की भारतीय फौजों ने भी विद्रोह कर दिया है । इस सेना के कमांडर जमादार बख्त थे। अंग्रेजी फौज के दो व्यक्ति विद्रोहियों से आ मिले। उन्होंने यह बताया कि अंग्रेजी फौज घटकर मात्र दो हजार रह गई है। ( रोजनामचा अब्दुल लतीफ ) फारसी पृष्ठ 87 उर्दू 153  उसमें विद्रोही सिपाहियों की संख्या 25 थी। परंतु कमांडरों में दक्षता एवं अनुभव की कमी के कारण उन्हें सफलता नहीं मिल सकी ।जनरल विल्सन अपनी सेना लेकर दिल्ली आ पहुंचा । सब्जी मंडी और ईदगाह का सराय में मोर्चाबंदी की गई। जुलाई के पहले सप्ताह में जमादार बख्त खां जो बख्तावर के नाम से प्रसिद्ध

आजादी के मतवाले, सांडर्स की हत्या की रिपोर्ट

आजादी के मतवाले   सांडर्स की हत्या की रिपोर्ट  निम्नलिखित पंक्तियों में सांडर्स की हत्या की रिपोर्ट प्रस्तुत है जिसकी हत्या के षड्यंत्र में हिंदू विद्यार्थी के साथ मुस्लिम विद्यार्थी भी एक समान सम्मिलित रहे।हत्या  की संक्षिप्त रिपोर्ट इस प्रकार है-  पत्र नंबर 1696 लाहौर तिथि 14 जनवरी 1929  द्वारा - सेक्रेटरी (ग्रह )पंजाब  बनाम सेक्रेटरी (गृह) भारत सरकार  विषय सांडर्स की मृत्यु की रिपोर्ट नंबर 12/ 17 17 दिसंबर संध्या 4:20 पर मिस्टर सांडर्स मोटरसाइकिल पर जिला पुलिस ऑफिस से रवाना हुआ। ऑफिस के सामने वाले फाटक के पास पहुंचा ही था  कि उसे उसके रेडर हेड क्लर्क हवलदार चंदन सिंह तेजू ने चाबियां देने के लिए  दरवाजे पर रोका मिस्टर सांडर्स ने उससे चाबियां ले ली और सवार होकर गेट से बाहर सड़क पर आ गया। उसके सड़क पर आते ही दो व्यक्तियों ने उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे उस पर गोलियां चलाई । मिस्टर सांडर्स चोट खाकर मोटरसाइकिल  समेत गिर पड़ा ।इतने में हत्यारे भाग निकले। हवलदार ने पीछा किया वह डीएवी कॉलेज के फाटक  जो  पुलिस ऑफिस के सामने है के अंदर चले गए ।वहां उपस्थित एक व्यक्तिने  चुन्नन  सिंह को बुरी तरह घ