क्या है इस्लाम में जात-पात का सिस्टम ?

आपने आप को इस्लाम के हर उसूल पर चलने वाला बताने वाले अधिकतर मुसलमान (ख़ासकर भारतीय उपमहाद्वीप के  मुसलमान) जब जात और बिरादरी की बात आती है तो इस्लाम के बताये हुए सारे उसूल भूल जाते हैं !!
और जाति प्रथा के कट्टर समर्थक बन जाते हैं !!
मैं सभी मुसलमानों की बात नहीं करता पर ऐसे लोगों की संख्या अधिक है जो जात और बिरादरी का समर्थन करते मिल जायेंगे !!
जाति प्रथा के मामले में हिन्दू और मुस्लिम समाज में एक ही फ़र्क़ है (ध्यान रहे कि मैं हिन्दू और इस्लाम धर्म की बात नहीं कर रहा हूँ बल्कि हिन्दू और मुस्लिम समाज की बात कर रहा हूँ) कि हिन्दू ना तो नीची जात कहे जाने वाले लोगों के साथ खाना पसंद करते हैं और न शादी-विवाह के सम्बन्ध, पर हाँ मुस्लिम समाज खाना तो खाता है अपने से नीची कही जाने वाली बिरादरियों के साथ पर आज भी वह शादी-विवाह के मामले में अपनी बिरादरी में ही देखता है कि लायक लड़का और लड़की मिल जाये !!
अगर आपने ग़लती से यह सवाल कर लिया कि आप शादी दूसरी बिरादरी वाले से क्यों नहीं करते तो आपको सुनने को मिल जायेगा- “मियाँ तौबा करो,  समाज को देख कर और उसको साथ लेकर चलना ही पड़ता है !!
हम ऐसा कर के बिरादरी से पंगा नहीं ले सकते !!
ज़्यादा पढ़ने-लिखने से तुम्हारा सर तो नहीं फिर गया मियाँ !!
और अगर इनको इस्लाम में कहे गए उसूल याद दिलाएं तो सुनने को मिलेगा कि हाँ यह तो आप सही कह रहे हैं, पर जाने कितने सवालिया निशानों की बौछार आप पर होगी जिसका आप अनुमान भी नहीं लगा सकते ? 
इसके बाद एक लम्बी स्पीच बिरादरी के समर्थन में सुनने को मिल जाएगी !!
मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि जब यह सब लोग ऐसा सोचते हैं तो कहीं मैं हीं ग़लत तो नहीं हूँ !!
पर थोड़ा गौर करने पर इस नतीज़े पर पहुँचता हूँ कि नहीं मैं तो ग़लत नहीं हूँ क्यों कि इस्लाम तो जाति-प्रथा के खिलाफ पुरज़ोर तरीके से बोलता है !!
पर इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम समाज के लोग ही हैं जो इस पर अमल नहीं करना चाहते !!
और फिर सच तो सच ही रहेगा, चाहे कोई उसे पसंद करे या न करे !!


वाह रे मुसलमान, आपने तो ग़ज़ब कर दिया ?
आप उस जाति-प्रथा के समर्थक बन बैठे जिसका विरोध #मोहम्मद_ए_अरबी_सल्लल्लाहु_अलैहि_वसल्लम 1400 साल पहले किया !!
इतने सालों बाद भी समाज में ऊँच-नीच ख़त्म नहीं हुई ...


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