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सुल्ताना डाकू के नाम से मशहूर नजीबाबाद के किला पत्थर गढ़ की कहानी

मु रादाबाद-सहारनपुर रेल मार्ग पर एक रेलवे जंकशन है - नजीबाबाद। जब भी आप इस रेलमार्ग पर यात्रा कर रहे हों तब नजीबाबाद के पूर्व में लगभग तीन किलोमीटर और रेलवे लाइन के उत्तर में लगभग 200 मीटर दूरी पर एक विशाल किला देख सकते हैं। सुल्ताना डाकू के नाम से मशहूर यह किला रहस्य-रोमांच की जीति जागती मिसाल है। अगर आपने यह किला देखा नहीं है, तो सदा के लिए यह रहस्य आपके मन में बना रहेगा कि एक डाकू ने इतना बड़ा किला कैसे बनवाया ? और यदि आपसे कहा जाए कि यह किला किसी डाकू ने नही, बल्कि एक नवाब ने बनवाया था। तब भी आप विश्वास नहीं करेंगे, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति आपको बताएगा कि इस किले में कभी सुल्ताना नामक डाकू रहा करता था। बात सच भी है। भाँतू जाति का यह डाकू काफी समय तक इस किले में रहा। तब बिजनौर, मुरादाबाद जनपद का हिस्सा होता था और यहां यंग साहब नाम के एक पुलिस कप्तान तैनात थे, जिन्होंने सुल्ताना डाकू को काँठ के समीपवर्ती रामगंगा खादर क्षेत्र से गिरफ्तार कर इस किले में बसाने का प्रयास किया था। उन दिनों देश में आजादी के लिए देशवासी लालायित थे। जगह-जगह अंगे्रजों से लड़ाइयां चल रही थीं। बिजनौर में भी अंग्र

बहादुर शाह ज़फ़र की यऔमएं पैदाइश पर कांग्रेस की ओर से ख़िराजे हकीकत पेश की गई,

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 रिपोर्ट-मुस्तकीम मंसूरी  कितना बदनसीब है तू ऐ ज़फर दफ़न के लिये  दो गज़ ज़मीं भी ना मिली कूए यार मे-क़मर ग़नी  फरीदपुर, जनपद बरेली में उत्तर प्रदेश काँग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के सम्मानित चेयरमैन जनाब शाहनवाज आलम के निर्देशानुसार मुगल साम्राज्य के अंतिम शासक बहादुर शाह जफर की यौमे पैदाइश पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर भावपूर्ण स्मरण एवं खिराज ए अकीदत पेश किये गये । यह कार्यक्रम अल्पसंख्यक काँग्रेस के  फरीदपुर कार्यालय पर आयोजित किया गया। इस अवसर पर बहादुर शाह ज़फर को याद करते हुये अल्पसंख्यक काँग्रेस के जिलाध्यक्ष क़मर ग़नी ने कहा कि 1857 मे देश की आजा़दी के लिये अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह मे अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह ज़फर के नेतृत्व मे सभी क्रांतिकारियों ने एक जुट होकर भारत की आजा़दी की लड़ाई लड़ी आखिर मे उनको अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया एवं उनको रंगून की जेल मे डाल दिया वहीं उन्होने आखिरी सांस ली  वे एक शासक के साथ एक शायर भी थे उन्होने आखिरी वक्त मे यह शेर कहे थे  बुलबुल को बागबां से ना सय्याद से गिला  किस्मत मे क़ैद लिक्खी थी फ़स्ल ए बहार मे।  कितना है बदनसीब ऐ  ज़फर दफ़्न के

गूर्जर समाज की एक बड़ी सभा समाजवादी पार्टी के बहेड़ी कार्यालय में पूर्व मंत्री अताउर्रहमान के आवाहन पर नत्थू सिंह गूर्जर की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई

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 बेताब समाचार एक्स्प्रेस के लिए बहेड़ी से अनीता देवी की रिपोर्ट  बहेड़ी, समाजवादी पार्टी कार्यालय बहेड़ी पर क्षेत्र के तमाम सम्मानित गुर्जर समाज के लोगों की एक बड़ी सभा हुई। जिस के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री श्री अताउर्रहमान जी रहे और सभा की अध्यक्षता पूर्व प्रधान श्री नत्थू सिंह गुर्जर जी ने की।    पूर्व मंत्री श्री अताउर्रहमान जी ने कहा कि गुर्जर समाज एक मार्शल कौम है। क्योंकि सबसे अधिक गुर्जर समाज के नौजवान फौज में जाकर देश की रक्षा करने का काम करते हैं। इस भाजपा के शासन में सबसे ज्यादा हमारे फौजी भाइयों की शहादत हुई है‌। महंगाई आसमान छू रही है। किसानों को फसलों का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। नौजवान बेरोजगार घूम रहा है। अब उत्तर प्रदेश की जनता इस भाजपा के शासन से त्रस्त हो चुकी है।अब हम आप सब मिलकर 2022 के चुनाव में राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय अखिलेश यादव जी के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने का काम करें तभी उत्तर प्रदेश का चहुंमुखी विकास होगा।    मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड के विधानसभा अध्यक्ष गुरजीत सिंह गुर्जर ने कहा कि पिछली बार गुर्जर समाज ने भाजपा को भारी तादाद में वोट दिया

यात्रा वृतांत : मेघालय का एक गांव कॉन्गथोंग

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जतिन भारद्वाज मेघालय आने के बाद यहाँ स्थित एक ऐसे गाँव में जाना हुआ जो भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में अपनी एक अलग संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है और यह गाँव मेघालय से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।जिसका नाम है *कॉन्गथोंग*।जिसे विस्लिंग विलेज के नाम से भी जाना जाता है। *कॉन्गथोंग* गाँव की बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ जब कोई लड़का या लड़की का जन्म होता है तो मां उसके लिए अर्थात नाम के संबोधन के लिए एक खास तरीके का धुन तैयार करती है जिसे जिंगरवाई यावबेई (अर्थात माँ के द्वारा तैयार किया गया धुन) कहा जाता है और विशेष बात यह भी है कि यह धुन गाँव में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए निर्मित है और गाँव में रहने वाले लगभग 700 लोगों के लिए अलग-अलग धुन तैयार की गई है। खास बात यह भी है कि जिसके लिए जो धुन बनाई गई है वैसी धुन किसी अन्य के लिए नहीं होती है।इस बात को कहने में कोई गुरेज नहीं कि जब से राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने इस गाँव के विकास की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है और 30 जुलाई 2019 को राज्यसभा में इस गाँव को सांस्कृतिक धरोहर घोषित करने की आवाज उठाई तभी से यह गांव अपनी सांस्कृतिक वैशिष्ट्य अ

जंगे आजादी के मतवाले मौलाना याहिया अली और काले पानी की सजा़

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भारत देश को अंग्रेजों से आजादी यूं ही नहीं मिली इसके लिए बहुत लोगों ने अपना बलिदान दिया है  बहुत लोग गिरफ्तार हुए, जेलों में रहे और यातनाएं झेली। कितनी भयानक और वीभत्स थी काले पानी की सजा। कुछ दिनों में ही आदमी बीमार होकर मर जाता था। ऐसे ही एक मौलाना के बारे में  हम आज आपको बता रहे हैं  जिन्होंने जंगे आजादी की खातिर  अपनी जान न्योछावर कर दी।  मौलाना याहिया अली  बहुँत अच्छे इंसान थे । अल्लाह के बडे नेक बंदे थे। तहज्जुद गुजा़र थे। अंबाला षड्यंत्र केस में काले पानी की सजा हुई थी। जब वह 11 जनवरी 1866 को अंडमान पहुंचे तो उनको सैयद अकबर जमा हेड क्लर्क ने लिपिक के कार्य पर लगा दिया। ये भी सरकारी कार्य में छुट्टी के बाद कुरान और हदीस की शिक्षा एवं अच्छे कार्य करने की दीक्षा देते थे।2 वर्ष ही बीते थे कि उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। डॉक्टरी इलाज होने लगा,बीमारी की स्थिति चिंताजनक नहीं थी, एक दिन 4:00 बजे अचानक जीभ में हकलापन उत्पन्न हुआ, डॉक्टर ने दवा दी , मगर गले के नीचे नहीं उतरी,पानी दिया मगर वह भी गले से नीचे नहीं उतरा,उस पर भी अल्लाह अल्लाह कह रहे थे और होश में थे। मौलाना अब्दुल रहीम ने उनका

नये छोटे दलो को काँग्रेसी EVM देवता कभी उभरने नही देगा*

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जहरीला नोट:--मेरे जैसे हरामी काँग्रेसी EVM देवता यंत्र का इशारा MUSLIM SC ST OBC शूद्र कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले लोगो कब समझोगे बे:--बंगाल मे BSP आदि कोई तीसरी पार्टी न फैलने पावे तभी काँग्रेस-BJP अंदरूनी साँठ-गाँठ करके ममता बनर्जी को बंगाल देकर व बिहार मे ओवैशी महराज प्रभु कि पार्टी AIMIM को 5-सीट देकर और दिल्ली मे BSP को रोकते हुए वगैर संगठन वाली आम आदमी पार्टी कि पूर्ण बहुमत कि सरकार बनाकर व BSP को डूबाने के लिए नोटबंदी करके तथा वगैर तैयारी किये लाँकडाऊन लगाना 3743 OBC जनगणना रोकना तथा बाहुबली को षड्यंत्र के तहत ओवैशी कि पार्टी मे सामिल करवाना तथा U.P मे ओवैशी को करीब 50-सीट के अंदर मेरे जैसे इस नालायक EVM-यंत्र के बल पर जीतवाना व U.P मे BSP को सरकार बनाने से रोकना आखिर काँग्रेस-BJP कि असली चाल कोई क्यों नही समझ पा रहा है काँग्रेस-BJP का मुख्य मकसद यही है कि देश से BSP को कैसे मिटाया जाय बहुजन हसरत पार्टी कि बात पर भीमवादी-हसरत मोहानीवादी बनकर तर्क करो गलत लगे तो माफ करो 9819316944* *1)--नोट:--माननीया बहन जी:-- बहुजन हसरत पार्टी BHP ने देश के लोगो का अंदरूनी सर्वे करने के बाद आपक

सपा के पूर्व मंत्री अताउर रहमान का गांव नौला में सरदार जरनैल सिंह खैरा के निवास पर किया जोरदार स्वागत।

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सपा के पूर्व मंत्री अताउर रहमान का गांव नौला में सरदार जरनैल सिंह खैरा के निवास पर किया जोरदार स्वागत। बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए बहेड़ी से अनीता देवी की  रिपोर्ट बहेड़ी, के गांव नौला में स.जरमल सिंह खैरा ने समाज वादी पार्टी के पूर्व मंत्री अताउर्रहमान को अपने निवास पर आमंत्रित कर भव्य स्वागत किया।और गांव नौला, रतनगढ़, हथमना, उत्तम नगर के तमाम लोगों ने भाजपा को छोड़कर समाज वादी पार्टी का दामन थामा।    इस मौके पर पूर्व मंत्री अताउर्रहमान ने कहा कि भाजपा की सरकार में किसानों का उत्पीड़न हो रहा है किसान अपनी बात कहना चाहता है लेकिन यह भाजपा सरकार सुनने को तैयार नहीं है किसानों को लाठियां मारी जा रही है।किसानों को फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है।पेट्रोल, डीजल, गैस, सरसों के तेल तथा हर वस्तु पर मंहगाई बढ़ गई हैं।कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। नौजवान बेरोजगार घूम रहे हैं। विकास के नाम पर यह सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है। 2012 में सपा की सरकार थी हमनें बहेड़ी में रोड़वेज, बहेड़ी बरेली फोरलेन, मेघाफूड प्लांट, शेरगढ़, शीशगढ़, रिछा जहानाबाद रोड चौड़ीकरण करके बनवाये।फरीदपुर में पावर हाउस व हास्पि

आजादी के मतवाले फैयाज उद्दीन

आजादी के मतवाले (94) 270+130   131 :- फैयाजउद्दीन आत्मज मसीहुद्दीन जन्म 1912 निवासी मुरादाबाद  ।असहयोग आंदोलन में भाग लेने के अपराध में 19 जुलाई 1932 को 2 माह की सजा हुई ।  132 :- फैयाज अहमद आत्मज अली अहमद जन्म  1890 निवासी दिल्ली।  15 नवंबर 1930 को असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण 6 माह की सजा हुई।   133 :-  फैय्याज अली हाशमी आत्मज नियाज अली जन्म 1914 निवासी दिल्ली।  1941 के सत्याग्रह में भाग लिया और भारत छोड़ो आंदोलन में गिरफ्तार हुए । 5 मई 1943 को 3 माह की सजा हुई। दिल्ली जेल और फिरोजपुर जेल में बंद रहे।    134 :- फजल मोबीन आत्मज हमीदुद्दीन जन्म 1920 निवासी दिल्ली । 9 मई 1944 को 3 माह की सजा हुई।  135:- फजल उद्दीन जन्म 1899 असहयोग आंदोलन में भाग लिया । इसके कारण 12 जनवरी 1922 को छह माह की सजा हुई ।  136 :-फजलुर रहमान आत्मज मोहम्मद याकूब अली जन्म 1910 निवासी कोलकाता । 12 जनवरी 1933 में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण 2 माह की सजा हुई ।  137 :- फजलुर रहमान जन्म 1910 निवासी बिहार ( छात्र ) 12 दिसंबर 1932 को 2 साल की सजा हुई।असहयोग आंदोलन में भाग लिया था।   138 :- फिरोज आत्मज अलादि

डॉ राम मनोहर लोहिया ने गोवा की आजादी का सिंहनाद किया था

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मुंबई १५ अगस्त, १९४७ को हिंदुस्थान अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया था लेकिन गोवा इसके बाद भी करीब १४ वर्षों तक पुर्तगालियों का गुलाम ब ना रहा। डॉ. राममनोहर लोहिया ने गोवा की आजादी का सिंहनाद किया था, जिसके बाद एक व्यापक आंदोलन की शुरुआत हुई। १९ दिसंबर १९६१ को हिंदुस्थानी सेना ने सशस्त्र ऑपरेशन शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप गोवा को पुर्तगाल के आधिपत्य से मुक्त कराकर हिंदुस्थान में मिला लिया गया इसलिए १९ दिसंबर को गोवा मुक्ति संग्राम, गोवा मुक्ति आंदोलन या गोवा मुक्ति संघर्ष के रूप में मनाया जाता है। गोवा का प्रथम वर्णन रामायण काल में मिलता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सरस्वती नदी के सूख जाने के कारण उसके किनारे बसे हुए ब्राह्मणों के पुनर्वास के लिए परशुराम ने समंदर में शरसंधान किया। ऋषि का सम्मान करते हुए समंदर ने उस स्थान को अपने क्षेत्र से मुक्त कर दिया। ये पूरा स्थान कोकण कहलाया और इसका दक्षिण भाग गोपपुरी कहलाया जो वर्तमान में गोवा है। हिंदुस्थान के लिए गोवा बेहद अहम था। अपने छोटे आकार के बावजूद यह बड़ा ट्रेड सेंटर था और मर्चेंट्स, ट्रेडर्स को आकर्षित करता था। प्राइम लोकेशन की वजह

आजादी के मतवाले अशरफ खान सुपुत्र अब्दुल्ला खान जन्म 1903

आजादी के मतवाले  270 +111  अशरफ खान सुपुत्र अब्दुल्ला खान जन्म 1903 । दुकानदार । असहयोग आंदोलन में भाग लेने की वजह से 30 नवंबर 1921 को छह माह की सजा हुई।  112 :- असलम सुपुत्र कलंदर खान जन्म 1910 ।  22 जनवरी 1931 को 6 माह की सजा हुई।  113:- अजीम बख्श सुपुत्र अबीर बख्श जन्म 1899 निवासी दिल्ली। 13 दिसंबर 1921 को छह माह की सजा हुई ।  114 :-अजीज अहमद सुपुत्र वजीर उद्दीन जन्म 1888 निवासी दिल्ली भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। 22 सितंबर 1942 को 6 माह की सजा हुई ।  115:-  अजीजुल्लाह जन्म 1911 निवासी दिल्ली ।  असहयोग आंदोलन में भाग लिया । अगस्त 1930 को छह माह की सजा हुई।   116 :-बदलू सुपुत्र नवाजी जन्म 1921 निवासी आगरा। भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। 22 जनवरी 1943 को छह माह की सजा हुई ।  117 :- बरकतुल्लाह सुपुत्र अजमतउल्लाह जन्म 1893 निवासी दिल्ली।  1921 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया। 13 दिसंबर 1921 को छह माह की सजा हुई।  118 :-बशीर सुपुत्र नाजिर जन्म 1912 । 16 अक्टूबर 1930 को 6 माह की सजा हुई।   119 :-बोस्तान खान सुपुत्र  सुपुत्र शेरखान जन्म 1904 । असहयोग आंदोलन में भाग लेने पर 22 फरवरी 1932

आजादी के मतवाले अनवर खान सुपुत्र मोहम्मद उमर खान जन्म 1908

आजादी के मतवाले  270 + 110  101 :- अनवर खान सुपुत्र मोहम्मद उमर खान जन्म 1908 निवासी दिल्ली असहयोग आंदोलन में भाग लिया 11 जुलाई 1930 को छह माह की सजा हुई।   102 :- आरिफ हंसवी मौलाना सुपुत्र अब्दुल खालिक जन्म 1888। पत्रकार। दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख सदस्य रहे । ऑल इंडिया कमेटी के सदस्य रहे। खिलाफत कमेटी के सेक्रेटरी थे।  1920 में 3 माह की सजा हुई। एक समारोह में भाषण करने के जुर्म में 2 साल की सजा हुई। उन्होंने यह भाषण आगरा में दिया था इसके बाद 12 अक्टूबर 1932 को छह माह की सजा हुई। 1932 में देहांत हुआ  ।  103 :- अरुणा आसफ अली  पत्नी श्री आसिफ अली जन्म 1906 ।  30 अक्टूबर 1930 को 1 साल की सजा हुई । 1932 में 7 माह की सजा हुई।  9 अगस्त 1932 में मुंबई के ग्वालियर टैंक मैदान में कांग्रेस का झंडा फहराया उसके बाद वह भूमिगत हो गई उनकी गिरफ्तारी के लिए ₹5000 का इनाम रखा गया।  सरकार की गुप्तचर पुलिस भी इनकी गिरफ्तारी में नाकाम रही । 26 जुलाई 1946 को जब इनकी गिरफ्तारी का वारंट खत्म हो गया तो जनता के बीच आ गई।  104 :- आसिफ अली सुपुत्र अहसन  अली  जन्म  18 88 निवासी दिल्ली  ।    कांग्रेस के प्रमुख सदस्

आजादी के मतवाले इल्म शाह पुत्र सुलेमान शाह

आजादी के मतवाले (270 +91)  इल्म शाह सुपुत्र श्री सुलेमान शाह जन्म अट्ठारह सौ बहत्तर निवासी पेशावर । असहयोग आंदोलन में भाग लिया 17 फरवरी 1932 को साढे 4 माह की सजा हुई । 92:-  अली अहमद सुपुत्र नजीर अहमद जन्म 1926 भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया । 18 दिसंबर 1942 को छह माह की सजा हुई ।  93 :- अली बख्श सुपुत्र कोनु भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया 24 दिसंबर 1942 को डेढ़ साल की सजा हुई ।  94 :- अली दाद सुपुत्र खालिक दाद जन्म  1924 निवासी दिल्ली।  1942 में जीत की खुशी मे विरोध प्रदर्शन किया 7 जून 1942 को 4 माह की सजा हुई।  सेंट्रल जेल और रोहतक जेल में रहे ।  95 :-अली हुसैन जन्म 1910 निवासी दिल्ली 29 जुलाई 1930 को 5 माह की सजा हुई ।  96 :- अली हुसैन  सुपुत्र सादिक हुसैन जन्म 1914 ।  निवासी दिल्ली । भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के फल स्वरूप  25 सितंबर 1942 को छह माह की सजा हुई । 97 :- अंसार अली अनवर सुपुत्र श्री नियाज अहमद जन्म 1907  निवासी मुरादाबाद । 22 अगस्त 1930 को असहयोग आंदोलन में भाग लिया और छह माह की सजा हुई ।  98 :-अब्दुल अजीज अंसारी सुपुत्र अब्दुल हकीम अंसारी जन्म 1889 doctor अंसारी के

आजादी के मतवाले दिल्ली के स्वतंत्रा सेनानी अहमद अली सुपुत्र विलायत अली

आजादी के मतवाले  दिल्ली के स्वतंत्रता सेनानी  71:-  अहमद अली सुपुत्र विलायत अली जन्म अट्ठारह सौ 91 असहयोग आंदोलन में भाग लिया और फल स्वरूप 17 दिसंबर 1921 को छह माह की सजा हुई । 72  :-  अहमद हसन सुपुत्र मोहम्मद हुसैन जन्म 1903 निवास दिल्ली । 17 अगस्त 1921 में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के फल स्वरुप 15 माह की सजा हुई ।  73 :-  अहमद मोहम्मद सुपुत्र मोहम्मद शफी जन्म 1908 निवासी बनारस असहयोग आंदोलन में भाग लिया था, 12 अप्रैल 1932 को छह माह की सजा हुई।  74 :-  मोहम्मद अहमद सुपुत्र अब्दुल अजीज जन्म 1901 निवासी दिल्ली ।असहयोग आंदोलन में भाग लेने पर 11 जुलाई 1930 को छह माह की सजा हुई।   75 :- अहमद शाह पुत्र अहमद हुसैन शाह निवासी पेशावर जन्म 1881 असहयोग आंदोलन में भाग लेने के अपराध में 30 नवंबर 1930 को 9 महीने की सजा हुई।   76 :- अहमद उल्लाह खान सुपुत्र अब्दुल समद खान जन्म 1912 निवासी शाहजहांपुर असहयोग आंदोलन में भाग लेने पर 30 नवंबर 1923 को छह माह की सजा हुई।  77 अहमद अली सुपुत्र फैयाज अली असहयोग आंदोलन में भाग लेने पर 17 दिसंबर 1921 को छह माह की सजा हुई।   78 :- अहमद लईक सुपुत्र नूर इलाही जन्म

आजादी के मतवाले अब्दुल रहमान सुपुत्र छन्नू जन्म 1913 निवासी गुड़गांव हरियाणा

आजादी के मतवाले   51 :- अब्दुल रहमान सुपुत्र छन्नू जन्म 1913 निवासी गुड़गांव हरियाणा 19 अक्टूबर 1930 को साढे 4 माह की सजा हुई।   52 :- अब्दुल रहमान सुपुत्र हिम्मत उल्लाह जन्म 1914 भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया 20 नवंबर 1942 को छह माह की सजा हुई  53 :- अब्दुल सत्तार सुपुत्र अब्दुल गफूर जन्म 1912 निवासी कटरा निजाम उल मुल्क दिल्ली । सत्याग्रह में भाग लिया और 1 मार्च 1942 को 2 साल की सजा हुई ।  54  :-  अब्दुल सत्तार सुपुत्र खालिक जन्म 1921 भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया 26 नवंबर को 1 माह की सजा हुई ।   55 :-   अब्दुल शकूर सुपुत्र हिम्मत खान जन्म 1901 निवासी दिल्ली असहयोग आंदोलन में भाग लिया। 13 दिसंबर 1921 को छह माह की सजा हुई ।  56 :- अब्दुल वाहिद सुपुत्र अब्दुल अजीज जन्म 1900 निवासी दिल्ली 29 जुलाई 1930 को 5 माह की सजा हुई  । 57 :- अब्दुल वाहिद सुपुत्र मोहम्मद यासीन जन्म 1900 दिल्ली 15 दिसंबर 1921 को 3 माह की सजा हुई ।  58 :-अब्दुल वाहिद सुपुत्र अब्दुर रहीम जन्म 1904 निवासी दिल्ली 13 दिसंबर 1921 को 3 माह की कैद ।  59 :-अब्दुल बशीर जन्म 1912 निवासी मुरादाबाद 24 जुलाई 1930 को छह माह की कै

आजादी के मतवाले अब्दुल रहमान सुपुत्र मोहम्मद फजल जन्म 1899

आजादी के मतवाले   41 :- अब्दुल रशीद सुपुत्र अब्दुल अजीज जन्म 1880 निवासी दिल्ली 1921 के आंदोलन में भाग लिया ।  13 दिसंबर 1921 को छह माह की सजा हुई  ।  42:-  अब्दुल रशीद सुपुत्र अब्दुल माजिद जन्म 1910 निवासी दिल्ली नवंबर 1930 को छह माह की सजा हुई । लाहौर जेल में भेज दिया गया   43:- अब्दुल रशीद सुपुत्र अब्दुल गफूर । जन्म 1917 निवासी सहारनपुर।  भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया 25 दिसंबर 1942 को छह माह की सजा हुई ।  44 :-अब्दुल रजाक सुपुत्र अब्दुल रहमान 1942 में 6 माह की सजा, लाहौर जेल भेज दिए गए । 45:- अब्दुल रहमान doctor जन्म 5883  खिलाफत आंदोलन और असहयोग आंदोलन में भाग लिया।  25 दिसंबर 1921 को 1 साल की सजा हुई । 40 :- अब्दुल रहमान सुपर मोहम्मद फजल जन्म 1899 असहयोग आंदोलन में 17 दिसंबर 1921 को छह माह की सजा हुई ।  47 :- अब्दुर्रहमान सुपुत्र तौला खाँ जन्म 1907 निवासी दिल्ली । भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया । 20 नवंबर 1942 को छह माह की सजा हुई । 48 :- अब्दुल रहमान सुपुत्र अब्दुल करीम जन्म 1911 निवासी दिल्ली ।अक्टूबर 1930 को साढे 4 माह की सजा हुई।   6 फरवरी 1931 को छह माह की सजा हुई । दिल्ली

आजादी के मतवाले अब्दुल माजिद सुपुत्र अब्दुल गनी

आजादी के मतवाले  दिल्ली के स्वतंत्रता सेनानी  31 :-अब्दुल माजिद सुपुत्र अब्दुल गनी 1921 के असहयोग आंदोलन में भाग लिया 7 जनवरी 1922 को 1 साल की सजा हुई।  32 :- अब्दुल कादिर सुपुत्र शिबग़तुल्लाह मुल्क जन्म 1905 असहयोग आंदोलन में भाग लिया 8 अक्टूबर 1930 को साढे 4 माह की सजा हुई ।  33:- अब्दुल कादिर सुपुत्र अब्दुल रब 1910 निवासी पेशावर 12 अक्टूबर 1932 को आंदोलन में भाग लिया और उन्हें 3 माह की सजा हुई ।  34:-अब्दुल कदीर मुंशी सुपुत्र मोहम्मद दीन निवासी दिल्ली 19 जुलाई 1932 को 2 माह की कैद व 12 अक्टूबर 1932 को साढे 7 माह की सजा' 21 अगस्त 1942 को गिरफ्तार हुए और 25 सितंबर 1942 को 5 माह की सजा हुई । दिल्ली सेंट्रल जेल और अंबाला की जेल में रहे।  35 :- अब्दुल कव़ि जन्म 1910 असहयोग आंदोलन में भाग लिया 24 जुलाई 1910 को छह माह की सजा हुई।  36 :-   अब्दुल कयूम सुपुत्र फैयाज हुसैन उन्नीस सौ छह निवासी पहाड़ी इमली ,दिल्ली असहयोग आंदोलन में भाग लिया । 13 दिसंबर 1921 को छह माह की सजा हुई। 37 :- अब्दुल रब सुपुत्र अब्दुल हकीम जन्म 1906 असहयोग आंदोलन में में भाग लिया, 11 जुलाई 1930 को छह माह की सजा हुई

आजादी के मतवालों फैजुल्ला काज़ी निवासी दिल्ली

आजादी के मतवाले  266 :- फैजुल्ला काजी़ निवासी दिल्ली मगर कश्मीरी थे। क्रांतिकारी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया 27 जनवरी 1858 को फांसी के तख्ते पर लटका दिए गए।  267  :- फखरुद्दीन निवासी दिल्ली  । महल में फौजी अफसर थे मिलट्री कमिश्नर के आदेश पर 27 फरवरी 1858 को फांसी की सजा सुनाई गई  । 268 फतेह अली I निवासी खीर कली गुडगांवा नंबरदार डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 10 नवंबर 1857 को फांसी की सजा सुनाई गई । 269:- फौजदार खाँ  पिता हिदायत खां पठान निवासी हुसैनपुर गुड़गांव क्रांतिकारी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया 23 जनवरी 1858 को डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर फांसी की सजा दी गई।  270  :- फैयाज अली निवासी शाहदरा दिल्ली । 27 फरवरी  1858 को फांसी की सजा सुनाई गई। प्रस्तुति ऐसे बेताब संपादक बेताब समाचार एक्सप्रेस हिंदी मासिक पत्रिका एवं यूट्यूब चैनल

आजादी के मतवाले अजीम बेग पिता मोहम्मद बेग

आजादी के मतवाले   246 :- अजीब बेग पिता मोहम्मद बेग निवासी सोहना हरियाणा 12 दिसंबर 1857 को डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर फांसी की सजा हुई।   247 :- अजीमुल्लाह पिता फैजू शेख  झरसा : क्रांतिकारी आंदोलन में हिस्सा लिया । चीफ कमिश्नर दिल्ली ले ₹200 जुर्माना किया।   248 :- अजीमुल्ला खां निवासी दिल्ली।  संपादक  " पैगाम ए आजादी "  विद्रोह करने के कारण इनको फांसी की सजा दी गई  ।  249 :- अजीजुद्दीन निवासी दिल्ली। मुगल शहजादा ।अंग्रेजी फौज का डटकर मुकाबला किया।  1857 को कमिश्नर के आदेश पर फांसी की सजा हुई 250 निवासी फांसी की सजा हुई ।  250 :- अजीमुल्लाह बिरजा निवासी गुडगांवा डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर फांसी की सजा हुई। 251:-  अजीमुल्ला सय्यद निवासी दिल्ली । मिलिट्री कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 15 दिसंबर 1857 को फांसी हुई ।  252 :- बदलू शेख निवासी लाडो सराय दिल्ली  ।अंग्रेजी फौज का मुकाबला किया 20 जनवरी 1857 को मिलिट्री   कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर फांसी की सजा हुई।   253 :- भाई कासिम देवासी कूचा सेठ दिल्ली मिलिट्री कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 27 दिसंबर 1857 को फांसी दी गई  । 254 :-

आजादी के मतवाले अलाउद्दीन निवासी दिल्ली

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आजादी के मतवाले 236 :- अलाउद्दीन निवासी दिल्ली  ।डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 15 दिसंबर 1857 को फांसी दी गई ।   237 :- अहमद दाद निवासी गुड़गांव डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 15 दिसंबर 1857 को फांसी दी गई  ।  238 :- अली बहादुर:  निवासी गुड़गांव0 । डिप्टी कमिश्नर दिल्ली के आदेश पर 15 दिसंबर 1857 को फांसी दी गई।   239 :- अली बख्श शेख : से 1857 के क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लिया ।  मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर 18 नवंबर 18 57 को फांसी दी गई ।  240 : - अली गौहर:  निवासी गुडगांव । अंग्रेजी फौज ने इनको बंदी बना लिया 15 दिसंबर को 1857 डिप्टी कमिश्नर  दिल्ली के आदेश पर  फांसी दी गई।   241 :- अकबर खाँ  पिता बाज खाँ  निवासी,:  गुड़गांव क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लिया अंग्रेजी फौज का बहुत वीरता से सामना किया 13 जनवरी 1858 को डिप्टी  कमिश्नर दिल्ली ने इन्हें फांसी का आदेश दिया ।  242 :- असालत खाँ  पिता नजीब खाँ स्वार :  क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लिया अंग्रेजी फौज का बहुत वीरता से सामना किया 18 जून 1858 को डिप्टी कमिश्नर दिल्ली ने फांसी का आदेश दिया।  243 :-   निवासी होशियारपुर अंग्रेजी फौज का

आजादी के मतवाले अली खान पिता खान

आजादी के मतवाले  226 :- अली खान पिता ईसा खान निवासी झज्जर, हरियाणा पहले अंग्रेजी फौज में भर्ती थे इस को छोड़कर क्रांतिकारियों के दल में शामिल हो गए 22 अक्टूबर अट्ठारह सौ 58 को चीफ कमिश्नर दिल्ली द्वारा 3 साल की सजा सुनाई गई ।  227 :- अली बख्श  पिता लुत्फुल्लाह खान:  निवासी बादशाहपुर गुड़गांव बहादुर शाह जफर की फौज में शामिल थे अंग्रेजी फौजी सिपाहियों ने इन्हें बंदी बना लिया और स्पेशल कमिश्नर के आदेश पर 1 अप्रैल 1858 को फांसी दी गई । 228 :- अल्लाह बख्श शेख निवासी दिल्ली।  क्रांतिकारी आंदोलन में हिस्सा लिया । अंग्रेजी फौज ने इनको पकड़ लिया 3 अक्टूबर 1857 को मिलिट्री कमिशनर ने  इनको फांसी की सजा सुनाई ।  229 :- अलाउद्दीन शेख निवासी दिल्ली । क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लेने के कारण 18 नवंबर 1857 को मिलिटरी  कमिश्नर के आदेश पर फांसी दी गई ।  230 :- अल्लाह  बख्श शेख निवासी दिल्ली । 18 नवंबर 1857 को  मिलिट्री कमिश्नर के  आदेश पर फांसी दी गई।   231 :- अमान अली सैयद निवासी सराय रोहिल्ला दिल्ली अंग्रेजी फौज का वीरता के साथ मुकाबला किया। गिरफ्तार हुए ,1 फरवरी 1858 को मिलिट्री कमिश्नर के आदेश पर फां