*जमीयत उलमा-ए-हिंद का 34वां महाधिवेशन हुआ संपन्न, रामलीला मैदान में जुटी भारी भीड़।*
*माना गया कि धार्मिक घृणा और सांप्रदायिकता पूरे देश के लिए हानिकारक और गंभीर ख़तरा है।* *विभाजनकारी और फासीवादी ताकतों का राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर मुकाबला करना चाहिए : मौलाना महमूद मदनी * मौलाना अरशद मदनी के बयान से असंतुष्ट होकर मंच छोड़ भागे जैन मुनि * नई दिल्ली ( जमीअत उलमा न्यूज़ ) जमीअत उलमा-ए-हिंद के 34 वें आम महाअधिवेशन के तीन दिवसीय सम्मेलन के आज अंतिम दिन राष्ट्र के नाम संदेश में मज़हबी घृणा और सांप्रदायिकता को पूरे देश के लिए हानिकारक और गंभीर ख़तरा माना गया तथा हिंदू, मुस्लिम,सिख,ईसाई, बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के बीच मित्रता और बंधुत्व का संदेश दिया गया। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि सभी न्याय प्रिय दलों व राष्ट्र प्रेमियों को विभाजनकारी और फासीवादी ताकतों का राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर मुकाबला करना चाहिए। इसी से देश में आपसी भाईचारा क़ायम हो सकेगा। दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मौलाना मुफ़्ती अबुल क़ासिम नौमानी ने औपचारिक रूप से घोषणा पत्र पेश किया, जिसे शब्द-दर-शब्द दोहराया गया और सारे जनसमूह ने इसका समर्थन किया। लोगों ने संकल्प लिया कि वे