हिंदू युवाओं में बढ़ती सांप्रदायिकता

सिकंदर हयात खान एडवोकेट दिल्ली हाई कोर्ट यह अत्यंत चौंकाने वाला है कि हमारे कुछ हिंदू भाई-बहन हाल के कुछ वर्षों में साम्प्रदायिक शक्तियों से प्रभावित हो गए हैं। इसके परिणामस्वरूप, वे अपने मुस्लिम भाइयों और बहनों के प्रेम, स्नेह, करुणा, सह-अस्तित्व, सहयोग, समर्पण और बलिदान को भूलते जा रहे हैं — जो उन्होंने न केवल उनके लिए बल्कि देश की प्रगति के लिए भी किया है और लगातार करते आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा प्रमाण भारत के विभाजन के समय देखने को मिला। उस समय अविभाजित भारत के मुसलमानों के सामने पाकिस्तान को चुनने का विकल्प था। जो लोग पाकिस्तान जाना चाहते थे, वे चले गए, लेकिन जो मुसलमान भारत में रह गए, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने कभी भी अलग देश की मांग नहीं की, न ही भारत छोड़ने की कोई इच्छा दिखाई। बल्कि, उन्होंने यह दोहराया कि वे अपने हिंदू भाइयों और बहनों के साथ सदियों से जिस तरह एकता और सौहार्द्र के साथ रह रहे थे, उसी प्रकार हमेशा यहीं रहना चाहते हैं। इसके बावजूद, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज कुछ हिंदू भाई-बहन इन भारतीय मुसलमानों की भावना, बलिदान और उनके प्रेम को भूलते जा रह...