अल्पसंख्यकों की नहीं ओबीसी की अनदेखी की बात राहुल गांधी ने स्वयं स्वीकार की तो फिर कहने को क्या बनता है, मुस्तकीम मंसूरी

पीलीभीत, अखिल भारतीय मंसूरी समाज के प्रदेश अध्यक्ष मुस्तकीम मंसूरी ने कहा कि कांग्रेस ने सवर्ण कही जाने वाली जातियों को बहुत कुछ दिया, राजनीति में भागीदारी दी, आर्थिकी का तो लगभग मालिक ही बना दिया। प्रशासन में भागीदारी दी।दलितों और धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी बहुत कुछ दिया। सच तो यह है कि कांग्रेस सभी समुदायों को साथ लेकर चली, लेकिन 19-20 हो जाता है।


फिर दलित, अल्पसंख्यक और सवर्ण कांग्रेस के वोट बैंक बन गए तो ओबीसी की अनदेखी शुरू हुई।अल्पसंख्यकों की नहीं,ओबीसी की अनदेखी की बात राहुल गांधी ने स्वयं स्वीकार की तो फिर कहने को क्या बचता है।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा फिर समय बदला और एक झुंड रामनामी दुपट्टा ओढ़कर आया और बोला, जय जय श्री राम। और सवर्ण अपना अच्छा बुरा भूलकर उस झुंड में शामिल हो गए।इससे कांग्रेस कमजोर हुई और झुंड मजबूत हुआ। फिर झुंड ने दलितों अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले तेज किए, लिहाजा इन समुदायों को जहां सुरक्षा का आश्वासन मिलता दिखा, वहीं चले गए जिससे कांग्रेस और कमजोर हुई।

मतलब, कांग्रेस की कमजोरी का कारण सवर्ण कही जाने वाली जातियों की कृतघ्नता है, अहसान फरामोशी है।

धर्म के नशे में घुत होकर सवर्णों ने कांग्रेस का साथ ही नहीं छोड़ा, और भी बहुत कुछ किया।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा आज अगर कोई व्यक्ति किसी परिचर्चा, बातचीत में या फिर किसी सोशल मीडिया मंच पर महात्मा गांधी की हत्या को सही बता रहा हो।

नेहरू को मुसलमान बता रहा हो, इंदिरा जी, राजीव गांधी को मुसलमान बता रहा हो, सोनिया गांधी को बार वाला बता रहा हो, राहुल गांधी को पप्पू कह रहा हो।

वह व्यक्ति किसी सवर्ण कही जाने वाली जाति का होगा, लिख लीजिए इसको और जहां मौका मिले, जांच कर लीजिए।

मेरी बात अगर सही न निकले तो आप स्वयं आकलन लगा लीजिए,

यह आकलन हालांकि एकाध प्रतिशत दाएं बाएं हो सकता है, क्योंकि संविधान की कृपा से शूद्रत्व से मुक्त हो चुकी एक दो ओबीसी जातियों के बच्चे भी बहक गए हैं।

ऐसे में राहुल गांधी को सवर्णों की बात क्यों करनी चाहिए?

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा  कि राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना का मुद्दा बहुत समझदारी से उठाया है। हो सकता है कि कांग्रेस को इसका तत्काल फायदा न मिले, लेकिन 1972--73 के बाद से कांग्रेस और पिछड़ों में जो दूरी बढ़ना शुरू हुई थी, वह नजदीकी में बदलेगी।बहुत से मित्रों को लगता है कि मोदी जी ने ऐलान जरूर कर दिया है लेकिन वे जातिगत जनगणना कराएंगे नहीं। यह आकलन ठीक नहीं  है, मोदी जी शेर पर सवार हो गए हैं। उसकी पीठ से उतरने का कोई रास्ता नहीं है। हिंदू मुस्लिम, हिंदू मुस्लिम, भारत पाकिस्तान, भारत पाकिस्तान के अलावा मोदी जी को और कुछ नहीं आता।


मुस्तकीम मंसूरी ने कहा कि ज्यादातर ओबीसी सवर्णों की तरह पोंगा नहीं हैं कि वे हिंदू मुस्लिम में उलझे रहेंगे।

सो न केवल जातिगत जनगणना होगी, बल्कि आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा भी 

 टूटेगी,निजी क्षेत्रों में आरक्षण होता भी दिखाई देगा।

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