दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन अत्यंत महत्वपूर्ण पर रोग उन्मूलन के लिए काफ़ी नहीं
तीस साल के निरंतर शोध के बाद आख़िरकार , दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन , “ आटीएस , एस ”, को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों में उपयोग के लिए संस्तुति दे दी। इस मलेरिया वैक्सीन टीके से बच्चे सबसे घातक क़िस्म की मलेरिया से बचेंगे जो मलेरिया कीटाणु , " प्लैज़्मोडीयम फ़ेलकीपेरम" , के कारण रोग ग्रस्त होते हैं। यह मलेरिया टीका अत्यंत लाभकारी तो है परंतु मलेरिया नियंत्रण और उन्मूलन के लिए कदापि पर्याप्त नहीं है। कीटनाशक से युक्त मच्छरदानी , साफ़ - सफ़ाई और मच्छर निवारक छिड़काव , सभी के लिए मलेरिया रोग की बिना विलम्ब जाँच और सही इलाज आदि , ऐसे ज़रूरी प्रभावकारी कदम हैं जो इस मलेरिया टीके के साथ सभी जगह लागू होने चाहिए। पर असलियत बहुत गम्भीर है क्योंकि मलेरिया अनेक लोगों को रोग ग्रस्त कर रहा है और कमजोर स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के चलते अनेक लोगों के लिए प्राणघातक रोग बना हुआ है। मलेरिया रोकथाम के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ जरूरतमंद लोगों तक समय से नहीं पहुँच रही हैं इसीलिए वैश्विक स्तर पर , मलेरिया से एक साल में 22.90 करोड़ लोग रोग ग्रस्त हुए और 4.09 लाख मृत। मल