न्यूरोपैथी से इलाज

जयपुर। ईश्वर द्वारा निर्माण किए इस मानव शरीर की पीड़ा और उसमें उत्पन्न होने वाले रोगों का इलाज ही संपूर्ण रूप से स्वस्थ करने की पद्धति को न्यूरोपैथी कहते हैंl अखिल भारतीय न्यूरो थेरेपिस्ट के अधिवेशन के दूसरे दिन देशभर से आए न्यूरो थेरेपिस्टों का यह मत था कि न्यूरोपैथी के माध्यम से कमर दर्द, गर्दन दर्द, मनको की बीमारी, साइटिका दर्द, घुटनों का दर्द, जोड़ों का दर्द, सिर दर्द, पेट दर्द, त्वचा रोग, चक्कर एवं फिट्स आना, मंगोल बच्चे और मंदबुद्धि बच्चों का इलाज न्यूरोपैथी के माध्यम से सरलता से किया जा सकता है।हमारा शरीर एक प्रणाली की तरह काम करता है इसमें विविध ग्रंथियों और रसानको का संतुलन बिगड़ने से शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है और विविध प्रकार के रोग निर्माण होने लगते हैं इन रोगों का इलाज न्यूरोपैथी के माध्यम से बहुत ही अच्छे ढंग से होता है।इस अवसर पर "फ्रीडम फोर इलनेस बाई न्यूरो थेरेपी" पुस्तक का विमोचन किया गया। जिसकी लेखक गौरी भानु शाली है। इस पुस्तक का विमोचन कृष्ण मुरारी, श्रीनिवास मूर्ति, मनदीप सिंह , अजय गांधी, रामगोपाल परिहार, वीरेंद्र प्रसाद ने किया।अधिवेशन के अन्य सत्र में सेंटर यूनिवर्सिटी अजमेर, के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर काशीनाथ एवं चंडीगढ़ के डॉक्टर अक्षय आनंद, प्रोफ़ेसर न्यूरो साइंस, PGI चंडीगढ़, ने रिसर्च पेपर कैसे लिखा जाए इसकी जानकारी दी।

सत्र में महाराष्ट्र के नागेश राव कुंबले ने बताया कि न्यूरोथेरेपी के लिए हिमाचल और राजस्थान में आदिवासी प्रशिक्षण शिविर लगाए जाएंगे, उसमें आदिवासियों को इस इलाज की जानकारी दी जाएगी और उन्हें स्वावलंबी भी बनाया जाएगा।
राष्ट्रीय कैंप इंचार्ज सुमित महाजन ने बताया कि 26 जनवरी को प्रातः 12:00 बजे इस तीन दिवसीय अखिल भारतीय न्यूरो थेरेपी अधिवेशन का समापन सत्र होगा, इसमें न्यूरो थेरेपी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले चयनित न्यूरो थेरेपिस्टों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। अधिवेशन में देशभर से आए 400 से अधिक न्यूरो थेरेपिस्ट भाग ले रहे हैं।


 


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