समाजवाद का मुखौटा*

 *क़िस्त नंबर (02)*

 *मुस्तकीम मंसूरी* https://youtu.be/GSk8Bgn5hwI

इसके बावजूद भी लेफ्ट इन पर भरोसा करता रहा और इनको धर्मनिरपेक्षता का अलंबरदार मानता रहा और उत्तर प्रदेश में इनका नेतृत्व स्वीकार करता रहा, इसके पीछे लेफ्ट की क्या लालच थी यह लेफ्ट ही जाने बरहाल यह समाजवाद का अलंबरदार धर्मनिरपेक्षता की आड़ में भाजपा को पानी की जगह दूध पिलाता रहा और धर्मनिरपेक्ष जनता, विशेष तौर से मुसलमानों को भाजपा का खौफ दिखाकर वोट बटोरता रहा, नहीं तो क्या कारण है कि जब जब मुलायम सिंह सत्ता में आते हैं, तब तब भाजपा मजबूत होती है, पिछले 30 वर्षों का रिकार्ड उठाकर देख ले सारी सच्चाई सामने आ जाएगी, मुझे अच्छी तरह याद है, 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय बीपी सिंह के संरक्षण में जनमोर्चा का गठन हुआ था, जिस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज बब्बर जी हुआ करते थे, एक बड़ी रैली का आयोजन जनमोर्चा ने किया था, 
जिसमें लेफ्ट भी जनमोर्चा के साथ था, अब इसे इत्तेफ़ाक़ कहें या षड्यंत्र कि भाजपा की रैली भी उसी दिन हो गई, मुलायम सिंह यादव ने सारे भाजपा नेताओं को स्टेट गेस्ट हाउस से लेकर वीआईपी गेस्ट हाउस, वीवीआइपी गेस्ट हाउस व अन्य सरकारी गेस्ट हाउसों में रूम उपलब्ध कराए थे, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय बीपी सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री होने के बाद भी इन सुविधाओं से महरूम रहे, और अपने पुत्र अजय सिंह के यहां ठहरे और तो और मुलायम सिंह पर जान निछावर करने वाले  लेफ्ट के किसी भी नेता को किसी भी गेस्ट हाउस में कोई रूम नहीं दिया गया था, यहां तक के कम्युनिस्ट पार्टी के सुप्रीमो एबी बर्धन तक को कोई रूम आवंटित नहीं किया गया वह भी इस सुविधा से महरूम रहे, यह है स्वयंभू समाजवादी का चाल चरित्र और असली चेहरा डॉ राम मनोहर लोहिया की माला जपने और समाजवाद का चोला पहनकर धर्मनिरपेक्षता को दफ़न करने और मुसलमानों को तबाह बर्बाद करने का जो घिनौना खेल मुलायम सिंह यादव विगत 30 वर्षों से खेल रहे हैं, वह अपने आप में एक इतिहास है। हर मर्तबा मुलायम सिंह सरकार में हिंदू-मुस्लिम खतरनाक दंगे होते रहे हैं, यह अलग बात है, की 2012 में बनी सरकार में दंगों की पराकाष्ठा हो गई, भयानक दंगों से मुसलमानों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़े, जबकि 2012 से 2013 तक एक साल सपा की विभाग सरकार चली, मगर मुलायम की फितरत और एजेंडे में दंगा कराना हो तो कैसे दंगे ना हों, बड़ा सवाल यह है 2013 में अशोक सिंघल से मुलाकात के तुरंत बाद मुलायम सिंह का बयान आया कि हम परिक्रमा नहीं होने देंगे दूसरे दिन विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल एवं भाजपा सहित तमाम सांप्रदायिक संगठनों का बयान आना शुरू हो गया कि हम परिक्रमा जरूर करेंगे, अब सवाल यह पैदा होता है की 2007 से लेकर 2012 तक बसपा सरकार में कौन सा ऐसा धार्मिक काम था, हिंदु या मुसलमानों का जो ना हुआ हो, क्या 2007 से 2012 तक परिक्रमा नहीं हुई ? या जलाभिषेक नहीं हुआ? यही नहीं 2012 में बनी सपा सरकार, 2012 से 2013 तक क्या जल अभिषेक नहीं हुआ? या परिक्रमा नहीं हुई? तो फिर अचानक मुलायम का यह बयान देना कि हम परिक्रमा नहीं होने देंगे का क्या मतलब ? क्या यह बयान सांप्रदायिकता को बढ़ावा नहीं देता? मैंने उसी वक्त लिखा था कि मुलायम ने 1990 वाली भाषा बोलना शुरू कर दी है, अब उत्तर प्रदेश में दंगे होना शुरू हो जाएंगे, मुश्किल से एक सप्ताह गुजरा होगा, और भयानक दंगे शुरू हो गए, जिसमें मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत आदि जनपदों में भयानक दंगे हुए जिसका परिणाम एक तरफा मुसलमानों को भुगतना पड़ा, उसके बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत से केंद्र में भाजपा आई और 2017 में उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत से भाजपा ने सरकार बनाई सत्य तो यह है, मुलायम ने,

शेष--------अगली किस्त में

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