मुलायम के नक्शे कदम पर चलकर मुस्लिम नुमाइंदगी पार्लियामेंट में खत्म कर रहे हैं अखिलेश यादव?
बरेली, समाजवाद के अलमबरदार मुलायम सिंह यादव जिसने चंद्रशेखर के साथ जिंदगी भर साथ न छोड़ने की क़सम खाकर अपनी सरकार ही नहीं बचाई थी बल्कि भाजपा के लिए पूरा माहौल भी तैयार कर दिया था, 91 के चुनाव में उन्हीं की पार्टी समाजवादी जनता पार्टी के बैनर तले एवं सजपा के चुनाव चिन्ह चक्र में हल धरे किसान पर ही चुनाव लड़ा, Mustaqim Mansoori चुनाव में जहां केंद्र में कांग्रेस सरकार बनी वहीं उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बन गई, क्योंकि मुलायम सिंह चाहते भी यही थे, उत्तर प्रदेश से कांग्रेस को दूर रखना और खुद को स्थापित करने के लिए इसके अलावा कोई और रास्ता था ही नहीं, मुलायम सिंह के करीबी या ज्यादा जो साथ रहे हैं, वह सब जानते हैं मुलायम का कहना था या तो हम या भाजपा, क्योंकि अगर कोई और पार्टी आई तो हम 15 साल पिछड़ जाएंगे, इसी के तहत मुलायम की राजनीति सांप्रदायिकता के इर्द-गिर्द घूमती रहती थी, इसका सीधा-सीधा फायदा या तो भाजपा को होता था या फिर सपा को यही कारण है कि सपा सरकार में दंगों का रास्ता खुला रहता था, और एक तरफ खुली छूट होती थी, 1990 से लेकर अब तक का रिकॉर्ड तो यही बताता है, चंद्रशेखर और उनकी पार