एनपीआर को लेकर लालू ने कही बड़ी बात






बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर हो रहे विरोध पर आज कहा कि विपक्ष एनपीआर पर जानबूझकर विवाद कर रहा है। मोदी ने यहां 'राष्ट्रवादी कुशवाहा परिषद' की ओर से भाजपा एमएलसी स्व. डॉ. सूरजनन्दन कुशवाहा की प्रथम प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान वर्ष 2010 में एनपीआर बनाने का काम शुरू हुआ था, तब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव सरकार में शामिल थे। 01 अप्रैल से 30 सितंबर, 2010 तक एनपीआर का काम पूरा हुआ। 2021 की जनगणना के पूर्व अब इसे केवल अपडेट करना है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी राज्यों ने इसके लिए गजट अधिसूचना कर दी है। उन्होंने कहा कि अधिसूचना जारी होने के बाद कांग्रेस, राजद सहित तमाम विपक्षी पार्टियां जानबूझ कर विवाद पैदा कर रही है। भाजपा नेता ने सवालिया लहजे में कहा कि जब संप्रग सरकार एनपीआर बनाने पर काम कर रही थी, तब यादव ने इसका विरोध क्यों नहीं किया। अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह स्पष्ट कर चुके हैं कि एनपीआर का राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) से कोई संबंध नहीं है, एनपीआर बनाने के दौरान किसी से न कोई दस्तावेज मांगा जायेगा, न पहचान का प्रमाण देना है, तब यादव समेत कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी पार्टियां समाज के एक वर्ग को गुमराह क्यों कर रही है। यदि विकास की योजनाएं बनाने के लिए एनपीआर बनाना संप्रग सरकार के दौरान सही था, तब यही काम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के समय गलत कैसे है। मोदी ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध पर विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब बिहार, उत्तर प्रदेश में एक भी शरणार्थी नहीं है तो फिर यहां हिंसक विरोध क्या राजनीति से प्रेरित नहीं है। दुनिया के किसी भी मुल्क में धर्म के आधार पर सताए गए लोग चाहे वे यहूदी, पारसी, बहायी या बौद्ध हों, भारत ने न केवल उन्हें पनाह दिया बल्कि गले भी लगाया। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि विरोध करने वाले बतायें कि पाकिस्तान, बंग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताडऩा के शिकार होकर आए हिन्दू सहित अन्य लोग कहां जाएं। इन देशों से 31 दिसम्बर, 2014 के पहले तक आए अल्पसंख्यकों को ही नागरिकता देने के लिए यह कानून लाया गया है। यहां रहने वाले किसी भी धर्म-सम्प्रदाय के लोगों पर इसका कोई असर नहीं पडऩे वाला है। फिर इसका विरोध क्यों किया जा रहा है



 


 


 


 


 








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