समाजवाद का मुखौटा किस्त नंबर (6) मुस्तकीम मंसूरी

मुस्तकी़म मंसूरी  

.....कोई भी पार्टी, इतनी सीटें नहीं ला सकी जिससे वह सरकार बना पाती, तभी प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया दौराने राष्ट्रपति शासन सभी कथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियां काफी प्रयासरत रही, की प्रदेश में एक सेकुलर सरकार का गठन हो जाए, मगर समाजवाद के अलमबरदार ने इस पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जानते हैं क्यों? क्योंकि कई दलों ने यह प्रस्ताव रखा था कि किसी मुस्लिम को मुख्यमंत्री बना दिया जाए और सारे दल मिलकर उसका समर्थन करें इस पर भी बसपा सुप्रीमो का तुरंत बयान आया कि हम तैयार हैं, 
कांग्रेस एवं जनता दल नेताओं ने तो कुछ नाम भी सुझाए जिसमें सरे फेहरिस्त मोहम्मद आजम खान, सलीम शेरवानी, मोहसिना किदवई, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, आदि के नाम उछले जैसे ही यह नाम सामने आए इस समाजवाद के ठेकेदार को मानो सांप सूंघ गया और अपनी फितरत के अनुसार तुरंत फरारी अख्तियार कर खामोशी लाद ली, उसके काफी दिनों बाद बसपा सुप्रीमो मायावती जी का एक बयान आया कि अगर भाजपा ब्रह्मदत्त द्विवेदी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए, तो बसपा समर्थन दे सकती है यह बयान का आना की राजनीतिक भूचाल आ गया एक सप्ताह भी नहीं गुजरा होगा की ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या हो गई, जैसे ही हत्या हुई पहले ही दिन से लोगों की जुबान पर कल्याण सिंह, और साक्षी महाराज का नाम आ गया जिले एवं प्रदेश में ही नहीं देश भर में एक ही गूंज कि कल्याण सिंह ने हत्या करवा दी, कहीं खुदा ( ईश्वर ) ना करें अगर यह अफवाह फैल जाती कि मारने वाला कोई मुसलमान था, तो प्रदेश ही नहीं देश में भयानक हिंदू मुस्लिम दंगे हो गए होते, क्योंकि उस समय भी मंदिर मस्जिद मुद्दा अपने चरम पर था, और ब्रह्मदत्त जी अयोध्या के प्रभारी थे, हत्या होने के कुछ दिन ही गुजरे होंगे कि भाजपा द्वारा आनन-फानन में मायावती को सशर्त समर्थन देकर बसपा सरकार बनवा दी गई, बसपा सरकार भाजपा ने कोई बसपा या मायावती की मोहब्बत में नहीं बनवाई थी बल्कि भाजपा का जो शीर्ष नेतृत्व ब्रह्मदत्त जी की हत्या के बाद सवालों के घेरे में आ गया था, और भाजपा में बगावत के सुर उठने लगे थे, उसी सुरों को दबाने और शीर्ष नेतृत्व को बचाने की ग़रज़ से आनन-फानन में बसपा की सरकार बनवाई गई थी उसके बाद जहां एक भाजपा का बड़ा खेमा विरोध में था वही उपचुनाव में ब्रह्मदत्त जी की पत्नी प्रभा द्विवेदी को भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता का सरकार में काबीना मंत्री बनाकर उस बगावत को भी दबाने का काम किया गया, अब मायावती सरकार को बने मात्र एक से डेढ़ महा गुजरा होगा,  की समाजवाद के अलमबरदार  माननीय मुलायम सिंह जी ने बसपा सरकार के खिलाफ जोरदारी से धरने प्रदर्शन शुरू कर दिए मायावती के नेतृत्व में तीन चार बार भाजपा के समर्थन एवं एक बार 2007 में पूर्ण बहुमत से बनी बसपा सरकार के दौरान तथाकथित समाजवादी अलमबरदार  के धरने प्रदर्शन की सूची उठाकर देख लीजिए और भाजपा सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन की सूची उठा कर देख लीजिए सारी सच्चाई खुद ब खुद सामने आ जाएगी, की बसपा सरकार में प्रदेश स्तर से लेकर जनपद मुख्यालय पर हर महा जबरदस्त धरने प्रदर्शन और भाजपा सरकार में इस कथित समाजवादी का धरना प्रदर्शन नदारद पता नहीं भाजपा सरकार मे इस समाजवादी अलमबरदार  के विरोध की आवाज को  लक़वा क्यों मार जाता है? खैर सब छोड़िए और 2017 से प्रदेश में बनी भाजपा सरकार का रिकॉर्ड देख लीजिए कि जब से योगी के नेतृत्व में सरकार बनी है कितनी मर्तबा मुलायम सिंह यादव या अखिलेश यादव ने धरना प्रदर्शन किया है? और केंद्र में 2014 से 2019 और 2019 से 2021 इन सात, आठ  वर्षों में केंद्र सरकार के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने कितने धरने प्रदर्शन किए,
सारी सच्चाई सामने आ जाएगी, यह है समाजवादी के कथित अलमबरदार का असली चेहरा, मुलायम सिंह के पिछले 30 वर्षों का इतिहास यही बताता है कि उनके अधिकार धरने प्रदर्शन या तो केंद्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ हुए या प्रदेश में बसपा सरकार के खिलाफ हुए जिसका जीता जागता सबूत 2007 से 2012 तक का रिकॉर्ड उठाकर देख लीजिए सच्चाई सामने आ जाएगी सपा द्वारा किए गए अथा प्रदर्शनों की सूची मिल जाएगी, 2017 से लेकर अब तक भाजपा सरकार का रिकॉर्ड उठाकर देख लीजिए और ज़हन पर जोर देकर याद कीजिए इस समाजवादी ठेकेदार ने कितने धरने प्रदर्शन भाजपा सरकार में किए, यहां तक की सी ए ए, एन आर सी आंदोलन में कांग्रेस पार्टी तो सड़क पर आई किंतु सपा कहीं दूर दूर तक नहीं नजर आई ऐसा लगता था कि सपा नाम की कोई पार्टी उत्तर प्रदेश में है भी या नहीं आपको याद होगा 2004 में बसपा सरकार से भाजपा ने समर्थन वापस लेकर सरकार गिराई फिर भाजपा के अप्रत्यक्ष समर्थन से बनी सपा सरकार जिसमें कल्याण सिंह की मंजूरे नज़र कुसुम राय एवं कल्याण सिंह के पुत्र राजीव सिंह उर्फ राजू काबीना मंत्री बने जिस की दावेदारी में मुलायम के साथ कल्याण सिंह, अमर सिंह, आजम खान, आदि राज्य पाल महोदय के यहां दावा पेश करने गए थे, यहां यह बताना भी जरूरी है कि सरकार बनाने के बाद (आर एस एस) प्रमुख को मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने विशेष दावत पर मुख्यमंत्री आवास पर भी बुलाया था, सच तो यह है माननीय नेता जी द्वारा सजातीय लोगों के बाद संघ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को पार्टी में उच्च स्थान ही नहीं दिया 

बल्कि उनको सांसद मंत्री जैसे पदों से नवाजा जैसे बुलंदशहर का प्रताप सैनी बाबरी मस्जिद की ईटों को लेकर पूरे शहर में घुमा यह कहता हुआ कि इसको मैं अपनी लैट्रिन में लगवा लूंगा, बाद में मुलायम सिंह ने उसे लोकसभा का टिकट दिया और वह सांसद बना ठीक इसी तरह फर्रुखाबाद के चंद्र भूषण सिंह मुन्नू बाबू जो कांग्रेस के नेता हुआ करते थे बाबरी मस्जिद की शहादत के बाद नरसिम्हा राव के उस ब्यान से की मस्जिद का पुनर्निर्माण होगा बहुत दुखी हुए थे, और कहा कि जैसे तैसे तो टूटी है अब वे  पुन निर्माण करिये, यह कहकर कांग्रेस छोड़ दी, माननीय मुलायम सिंह जी ने उन्हें भी लोकसभा का टिकट दिया वह भी सांसद बने इसके अलावा बहुत से ऐसे नाम हैं जिनका कि आगे उल्लेख करूंगा, ---शेष------ अगली किस्त में

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