अखिलेश यादव का गुप्त एजेंडा,पीडीए के नाम पर अब्दुल पैसा खर्च करेगा, अब्दुल मंच पर नहीं चढ़ेगा,अब्दुल भिड़ जुटाए, दरियां बिछाए....

बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट, 

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को मुसलमानों के वोट तो चाहिए, लेकिन मंच पर ना तो मुस्लिम विधायक ना ही मुस्लिम नेता, फिर भी मुस्लिम नौजवान अखिलेश भैया पर कुर्बान, आखिर क्यों?

लखनऊ,सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने गुरुवार को आजमगढ़ में अपने आवास का उद्घाटन किया जिसका नाम सपा ने पीडीए रखा, इस कार्यक्रम के दौरान कार्यकर्ताओं ने अखिलेश यादव को फूलमाला पहनाकर उनका स्वागत किया, लेकिन तभी अखिलेश यादव के स्वागत मंच पर कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद सपा पर बड़े पर सवाल उठने लगे हैं, अखिलेश यादव के मंच पर धर्मेंद्र यादव के बगल में खड़े यूपी के सबसे ईमानदार 93


वर्षीय वरिष्ठ मुस्लिम विधायक आलम बदी आज़मी भी मौजूद थे, लेकिन माला पहनने के दौरान जो घटना घटी उसने अखिलेश यादव और उनके गुप्त एजेंडे को बेनकाब कर दिया। क्योंकि माला पहनने के दौरान धर्मेंद्र यादव के बगल में खड़े वरिष्ठ विधायक आलम बदी आज़मी को धकेल कर पीछे कर दिया गया, यह सब अखिलेश यादव की मौजूदगी में होना किसी शायर के उस शेर की हक़ीक़त को बयां करता है, 

तेरी महफिल से उठाता ग़ैर मुझको उसकी क्या मजाल, देखा मैंने इशारा तूने ही किया था। बात यहीं खत्म हो जाती तो कोई ग़म नहीं था, वही अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा के स्टेट पर भाजपा की मुखालफ़त 

 करना जैसे ही जावेद आब्दी ने शुरू किया तुरंत शिवपाल यादव ने जावेद आब्दी को धक्के मार कर अलग कर दिया। यह दोनों घटनाएं अखिलेश यादव की मौजूदगी में होना अखिलेश यादव और उनके पीडीए पर कई तरह के सवाल खड़े कर रही


है। वही अखिलेश यादव के गुप्त एजेंडे पीडीए के नाम पर अब्दुल पैसा खर्च करेगा,अब्दुल मंच पर नहीं चढ़ेगा,अब्दुल भीड़ जुटाएगा और दरियां बिछाएगा, इस पर मुसलमानों को ग़ौर करना चाहिए कि एक यादव का अपमान किया गया तो अखिलेश यादव मैदान में आ गए, आंदोलन की बात करने लगे, लेकिन पिछले 8 सालों में मदरसों पर कार्रवाई हुई, मुसलमानों की माॅव लिंचिंग हुई, लव जिहाद के नाम पर अत्याचार हुआ, आज़म खांन साहब जेल में है, लेकिन अखिलेश यादव ने कभी मुसलमानों के सम्मान की बात नहीं की आखिर क्यों? लेकिन जब आज़म खांन की पत्नी तंजीन फ़ातिमा ने आज़म खांन के मामले में अखिलेश यादव से ना उम्मीदी जताते हुए मीडिया के ज़रिए मुसलमानों को जो इशारा दिया, की मुसलमान सपा के

लिए केवल वोट बैंक हैं हमें सपा से उम्मीद नहीं, कि वह आजम खांन की मदद करेंगे? तंज़ीन फातिमा के सवाल के जवाब में अखिलेश यादव बोले-हम क्या कर सकते हैं... अखिलेश यादव ने कहा कि उनके पास तो बस तीन विकल्प हैं, हम क्या कर सकते हैं, यूपी में बीजेपी की सरकार उन पर अन्याय कर रही है, उन पर मुकदमे लगाए जा रहे हैं तो ऐसे में सरकार बदलने पर ही आज़म खांन को राहत मिल सकती है, तो आप सब मिलकर सरकार बदलें, अखिलेश यादव ने कहा कि दूसरा रास्ता अदालत का है, उन्हें कोर्ट से इंसाफ मिल सकता है, और तीसरा विकल्प तो भगवान है, मतलब ऊपर वाला ही उनका निगेहबान है। दरअसल अखिलेश यादव पीडीए की परिभाषा परिस्थितियों के अनुसार पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक का  राग मुसलमानों के बीच अलापते हैं,तो कहीं पर पिछला दलित और आधी आबादी (महिलाएं) और कहीं पर पिछड़ा दलित और अगड़ो का नाम लेकर पीडीए को परिभाषित करते हैं, अब सवाल यह उठता है कि जब इटावा में कथावाचक यादव और ब्राह्मण का मामला सामने आया तो अखिलेश यादव खुल कर ब्राह्मणों के विपरीत यादव समाज के साथ खड़े दिखे, मुसलमानों के मामले में मौन धारण करने वाले अखिलेश यादव को आज़म खांन, आलम बदी आज़मी, जावेद आब्दी के ताजा मामलों ने बे नक़ाब कर दिया है। अब प्रदेश के मुसलमान को जज़्बातों से निकलकर ग़ौर करना पड़ेगा 2022 के विधानसभा चुनाव में 95% मुसलमानों के वोट लेने के बाद भी  सपा सरकार नहीं बन पाई, बक़ौल अखिलेश यादव के 2027 में सपा अपने कार्यकाल के किए गए कामों के बल पर दोबारा सत्ता में आएगी, तो मुसलमानों को सपा नेताओं से यह सवाल पूछना चाहिए कि आपको सत्ता से बाहर करके भाजपा को सत्ता कैसे मिली? भाजपा तो विपक्ष में थी,आप सत्ता में थे, यह प्रश्न बड़ा विचारणीय है, मतलब साफ़ है कि मुसलमान ने पूरी बफादारी के साथ 95% वोट आपको देकर सत्ता के द्वार तक पहुंचाने का कार्य किया, परंतु आपका अपना समाज आपको छोड़कर भाजपा के साथ चला गया, यही कारण है कि आज इस समाज को अपने साथ लाने के लिए आप कथावाचक यादव समाज के साथ खड़े होकर ब्राह्मण समाज को भाजपा के पाले में भेजने का कार्य कर रहे हैं, परंतु मुसलमानों के मामलों पर आपकी ख़ामोशी अख़्तियार कर लेने का रवैया जग ज़ाहिर हो चुका है। क्योंकि की आजमगढ़ में आलम बदी आज़मी धर्मेंद्र यादव के बगल में खड़े थे, स्वागत के दौरान वो आगे आना चाहते थे लेकिन, धर्मेंद्र यादव ने उन्हें आगे नहीं आने दिया उन्होंने फिर आगे बढ़ने की कोशिश की तो विधायक संग्राम यादव ने उन्हें किनारे ढकेल दिया, यह सब अखिलेश यादव की आंखों के सामने पार्टी के वरिष्ठ नेता वरिष्ठ मुस्लिम विधायक की उपेक्षा हुई, जिसके बाद अखिलेश यादव के रवैये को लेकर सवाल उठने लगे हैं, लोग सवाल कर रहे हैं कि जिस नेता ने अपना सारा जीवन सपा के लिए खपा दिया उसी के साथ मंच पर इस तरह धक्का मुक्की हुई,वो जितने वरिष्ठ विधायक हैं उन्हें तो वैसे ही आगे जगह देनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा करने की बजाय उन्हें पीछे धकेल दिया गया क्या यही सपा की पीडीए है, सपा में मुस्लिमों की बस यही स्थिति बची है, घटना के बाद बड़े मुस्लिम धर्मगुरुओं और मुस्लिम नेताओं में काफी नाराजगी देखने को मिल रही है, नाम न छापने की शर्त पर एक बड़े सपा मुस्लिम नेता ने कहा कि 22% वाला मुसलमान सपा में  सिर्फ दरी बिछाने का काम कर रहा है, जबकि 7% वाला यादव प्रदेश का नेतृत्व कर रहा है, मुसलमानों को अपनी सोच बदलनी होगी, नहीं तो मुसलमान सिर्फ दरी बिछाएगा और अखिलेश यादव के लिए अपनी जवानी क़ुर्बान करेगा, आज आलम बदी के साथ जो हुआ उससे आजमगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का मुसलमान आहत है, उन्हें अपमानित होना पड़ा जो घोर निंदनीय है।

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