डॉ मोहम्मद फ़ाज़िल सर्जन से मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी की मुलाक़ात मोदी के पसमांदा मिशन का हिस्सा तो नहीं?
रिपोर्ट-मुस्तकीम मंसूरी
बरेली, दानिश आज़ाद अंसारी अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ और हज राज्यमंत्री का डॉक्टर मोहम्मद फ़ाज़िल सर्जन के आला हजरत सर्जिकल ट्रॉमा सेंटर में आना यह कोई इत्तेफाक नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पसमांदा समाज के एजेंडे का हिस्सा भी हो सकता है, यह मानना है राजनीतिक रणनीतिकारों का क्योंकि डॉक्टर मोहम्मद फ़ाज़िल अपने आप में मंसूरी समाज की बड़ी शख्सियतों में गिने जाने वाला नाम है। यूं तो मंसूरी समाज के चल रहे कई संगठनों के नेता मंसूरी समाज को अपना राजनीतिक क़द बढ़ाने और राजनेताओं को अपनी हैसियत दिखाने के लिए मंसूरी समाज का इस्तेमाल करते रहे हैं, लेकिन डॉक्टर मोहम्मद फ़ाज़िल की छवि उन तमाम नेताओं से हटकर मंसूरी समाज में उनके सामाजिक कार्यों और समाज के प्रति उनके समर्पण ने उनको मज़बूत जनाधार वाला बरेली मंडल का चेहरा बना दिया है। शायद डॉक्टर मोहम्मद फ़ाज़िल को इस बात का एहसास ना हो। परंतु राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है की बरेली ही नहीं पीलीभीत बदायूं और शाहजहांपुर की हर विधानसभा सीट पर डॉक्टर मोहम्मद फ़ाज़िल राजनीतिक समीकरण बनाने और बिगड़ने की हैसियत रखते हैं। यही वजह है कि कांग्रेस, बसपा, आजाद समाज पार्टी के लोग काफी लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन डॉक्टर
मोहम्मद फ़ाज़िल पिछले 10 वर्षों से सपा में रहकर अपने समाज को संगठित करने का कार्य कर रहे हैं। परंतु वर्ष 2022 से लगातार पार्टी के लोग उन्हें महत्वहीन समझ कर नजरअंदाज कर रहे हैं शायद उन्हें भी डॉक्टर मोहम्मद मोहम्मद फ़ाज़िल के क़द और उनके समाज में उनकी क्या हैसियत है इसका अंदाजा नहीं है। वैसे तो डॉक्टर मोहम्मद फ़ाज़िल फिलहाल सपा में बने हुए हैं। लेकिन मंत्री दानिश आजाद अंसारी से मुलाक़ात के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं के बाज़ार गर्म है। वही एक सपा के बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिला संगठन की गुटबाजी और फर्जी जनाधार वाले नेताओं के चंगुल में फंसे संगठन के कुछ पदाधिकारी अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए 2027 में बरेली में सपा का सुपड़ा साफ करवाने में लगे हैं, अगर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने बरेली पर ग़ौर नहीं किया तो 2027 में बहेड़ी और भोजीपुरा भी सपा के हाथ से निकल जाएगा। वही राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर डॉक्टर मोहम्मद फ़ाज़िल ने सपा को अलविदा कहा तो इसका बरेली मंडल में सपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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