किसान संगठनों ने बिजली के निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन को दिया समर्थन

आजमगढ़ 6 जून 2025.आजमगढ़ के किसान संगठनों ने संयुक्त रूप से सिधारी हाईडिल, आजमगढ़ में बिजली के निजीकरण करने के विरोध में में चल रहे धरने में पहुंचकर समर्थन दिया. इस मौके पर कवि और साहित्यकार भी शामिल हुए.  पूर्वांचल किसान यूनियन, सोशलिस्ट किसान सभा, किसान एकता समिति, राष्ट्रीय बांस शिल्पी महासंघ, एनएपीएम, भारतीय किसान यूनियन, खेती किसानी मंच ने समर्थन दिया.


किसान नेताओं ने कहा कि निजीकरण देश के लिए अभिशाप है. निजीकरण होने से सर्वजनिक क्षेत्र की नौकरियां देश के बड़े पूजीपतियों के हवाले कर दी जाएंगी. देश के निर्माण में किसानों, नौजवानों समेत मेहनतकश आवाम ने जो त्याग किया है उस पर कंपनियां ऐश करेंगी. देश का नौजवान, मजदूर निजी क्षेत्र में अपना श्रम बेचने को मजबूर होगा. सरकार बताए कि सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण करने के बाद वह कैसे


बेरोजगारों को रोजगार देगी. रोजगार का सीधा अर्थ सरकारी नौकरी. देश को इसलिए आज़ाद नहीं कराया गया कि कंपनियां देश पर राज करें.किसान नेताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता पहले से ही महंगी बिजली खरीदने को मजबूर है. स्मार्ट मीटर के जरिए स्मार्ट तरीके से जनता को कम्पनियों द्वारा लूटा जाएगा. बिजली निजीकरण सरकार ने नहीं रोका तो गांव-गांव सम्पर्क संवाद और यात्राएं करते हुए जनता को आंदोलन में जोड़कर जन आंदोलन बनाया जाएगा. 

धरने को पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव, सोशलिस्ट किसान सभा महासचिव राजीव यादव, राष्ट्रीय बांस शिल्पी महासंघ अध्य्क्ष संतोष कुमार धरकार, खिरिया बाग आंदोलन के नन्दलाल यादव, किसान एकता समिति के महेन्द्र यादव, मास्टर दिनेश यादव, साहेबदीन, सोशलिस्ट किसान सभा मेंहनगर प्रभारी हीरालाल यादव, एनएपीएम अधिवक्ता विनोद यादव, हरेंद्र, भारतीय किसान यूनियन अवधेश यादव ने सम्बोधित किया.



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