दरोगा भुता ने रंजिश में लिखा पत्रकार पर मुकदमा बोला वादी थानाध्यक्ष बताएंगे घटना का समय

Report Anita Devi 

बरेली। कप्तान प्रभाकर चौधरी के कार्यभार ग्रहण करते ही पत्रकारों पर फर्जी मुकदमों की बाद आ गई है। इस बार भुता से पत्रकार ने दरोगा की अवैध खनन पर कबरेज कर 3 अप्रैल को ट्वीट किया जिसके बाद उच्च अधिकारियों के संज्ञान लेने पर थानाध्यक्ष को मजूबर होकर ट्रैक्टर ट्राली सीज करना पड़ी क्षेत्र के पत्रकारों की जुबानी पर यकीन करें तो थानाध्यक्ष कई महीने से पत्रकार के खिलाफ मुकदमा लिखने की फिराक में थे। कई बार उन्होने तहरीर लेकर आने वालों से कहा भी की पत्रकार का नाम बढ़ा दें परंतु कोई तैयार नहीं हुआ। मंगलवार को इधर भुता से डेटलाइन से सभी अखबार ने एक सुर में खनन की खबर लिखी तो ट्वीट करने वाले पत्रकार राहुल गंगवार को थानाध्यक्ष ने टारगेट करते हुए एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा लिखकर बांछित कर दिया। घटना में दिखाया गया है की पत्रकार ने चरन सिंह से घर में घुसकर रंगदारी की मांग की मारपीट की और यह शक्तिमान की तरह हवा में उड़ कर भाग गया आस-पास के किसी भी व्यक्ति ने उसे नहीं देखा बुद्धवार को एक पत्रकार ने मुकदमा के वादी चरन सिंह से बात की तो वह क्या कहता अब गौर से पढ़ लीजिए। पत्रकार- चरन सिंह तुम्हारे घर जब राहुल गंगवार आए और पैसे की मांग की तो डायल 112 क्यों नहीं बुलाई? राहुल गंगवार को घर आते और वापस जाते क्या किसी ने देखा नहीं? राहुल गंगवार ने जब घटना को अंजाम दिया तो समय क्या था? वादी चरन सिंह कहता है घटना का समय थानाध्यक्ष से पूछकर बताएंगे। बताते चलें की चरन सिंह लालची किस्म का व्यक्ति है और पैसा कमाने की जुगत में उसने कोर्ट के फर्जी सम्मन बनाकर गांव के ही कई लोगों को भेज दिए। जिसके बाद बचाने के नाम पर पैसा वसूल लिए एक व्यक्ति ने जब सम्मन की तहकीकात कोर्ट में की तो सामने आया की सम्मन फर्जी है। उस समय मामला रफा-दफा हो गया। फर्जी मुकदमा की पृष्ठभूमि में राहुल गंगवार भुता से थानाध्यक्ष की खनन और भ्रष्टचार की आए दिन खबर लिखते थे और ट्वीट कर उच्च अधिकारियों को जागरुक किया करते थे। जिससे खिन्न होकर थानाध्यक्ष ने राहुल गंगवार को साजिश के तहत फर्जी मुकदमा में फंसा दिया। इसी तरह फरीदपुर इंस्पेक्टर ने फर्जी मुकदमा स्तुति पाठक के खिलाफ लिखा दिया इसी तरह दो दिन पहले एक पत्रकार पर फर्जी मुकदमा लिखाने की कोशिश की गई थी। परंतु मीडिया के एक साथ आने से मुकदमा नहीं लिखा गया। बता दें की प्रभाकर चौधरी पुलिस की रिश्वत के खिलाफ हैं इसलिए थाना प्रभारी खुद की कुर्सी बचाने के लिए पत्रकारों को फर्जी मुकदमा लिखकर टारगेट कर रहे हैं।

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