बज्मे फ़राज़ ए अदब और फनकार कल्चरल ग्रुप द्वारा आल इण्डिया कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन

नईं दिल्ली बज्मे फ़राज़ ए अदब' रजिस्टर्ड और फनकार कल्चरल ग्रुप ने एक भव्य आल इण्डिया कवि सम्मेलन वा मुशायरा आयोजित किया। जिसकी अध्यक्षता डॉक्टर अकील अहमद ने की और खूबसूरत निजामत सरफ़राज़ अहमद फ़राज़ देहलवी ने की।


 जबकि मेहमाने खुसूसी के तौर पर मतीन अमरोहवी, शैदा अमरोहवी, नज़म इकबाल, अलमास अब्बासी, ब्रह्म कुमारी शीतल स्टेज पर जलवा अफ़रोज़ रहीं।

  मुंतखिब अशआर आपकी खिदमत में पेश हैं.......

राहरू के पैरो में आबले नहीं मिलते।

मंजिले तो मिलती हैं फासले नहीं मिलते।।

     शैदा अमरोहवी

पूछिए दिल से इश्क़ में ऐसे क़दम उठाए क्यूं।

खुद है बिनाये दर्दे दिल करता है हाय हाय क्यूं।।

      मतीन अमरोहवी

आशाओं के दीप जले हैं प्यार किए इक युग बीता है।

फिर भी पहरो रोते गुज़रे याद किसी की आने पर ।।

 सरफ़राज़ अहमद फ़राज़ देहलवी

चलो नजूम का शमसो क़मर का ज़िक्र करें।

सियाह रात को छोड़ें सेहर की बात करें।।

    शिफा कजगानवी

ये बस्तियां तो हैं ख़ाली कहां हैं सारे लोग।

लगाई आग है किस ने हैं किस ने मारे लोग।।


  नसीम बेगम नसीम

बदन छू के उनका हवा आ रही है।

मेरे दरदे दिल की दवा आ रही है।।

       नज़म इकबाल 

लूला है इस गली में लंगड़ा है इस गली में।

दोनो तरफ़ लगा है नलका इस गली में।।

  एहतराम सिद्दीकी

इनके अलावा और कवि प्रेम बिहारी मिश्रा, सुषमा कुमारी साया, सीमा कौशिक, प्रमोद शर्मा असर, राजिंदर कल कल, प्रवीन व्यास, रेशमा ज़ैदी, अंजली अरोड़ा, नूरुल ऐन कैसर, रागिब ककरालवी, सईद अहमद सईद, जावेद अब्बासी, नईम हिंदुस्तानी, नसीम बादशाह, अनिल वर्मा मीत, असलम जावेद, तुल्लिका सेठ, वा अन्य कवि और शाइरो ने अपना कलाम पढ़ा।

    समयीन में खासतौर से अजमल अब्बासी, डॉक्टर हसन, जुहैब सिद्दीकी, सूफियान अरीब ख़ान, जुबेर खान, गुल्लू, संजय, असलम, ऐजाज, हुमा ख़ान वा बड़ी संख्या में लोग मुशायरे में आखीरतक मौजूद रहे।

  अंत में बज्मे फ़राज़ ए अदब के अध्यक्ष सरफराज अहमद फ़राज़ देहलवी और फनकार कल्चरल ग्रुप के डायरेक्टर एहतराम सिद्दीकी ने महफिल में मौजूद सभी को हार्दिक आभार प्रकट किया और मुशायरे वा कवि सम्मेलन के अध्यक्ष डॉक्टर अकील अहमद ने मुशायरे की कामयाबी की मुबारकबाद दी और सभी का बेहद शुक्रिया अदा किया और सरफराज अहमद फ़राज़ देहलवी और एहतराम सिद्दीकी आगे भी मुशायरो का सिलसिला क़ायम रखेंगे। नेक दुआओ के साथ कवि सम्मेलन वा मुशायरे का समापन हुआ।

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