भारत में लाखों की तादाद में अलग-अलग जगह एकत्रित हुए, लोगों ने अपने धार्मिक रीति-रिवाज का पालन किया/नमाज पढ़ी, देश में अमन चैन खुशहाली की दुआ की और अपने-अपने घरों में लौट आये।
रिपोर्ट-मुस्तकीम मंसूरी
बरेली, क़य्यूम खांन बाबू रज़ा ने कहा कि यह है इस्लाम की ख़ूबसूरती जिसके तहत
ईद पर कमोबेश लगभग 15, करोड़ लोग भारत में यानी ब्रिटेन, फ्रांस, ईरान, तुर्की, मिश्र की आबादी के बराबर और करोड़ों अरबों लोग पूरी दुनिया में, अपने घरों से निकले भारत में लाखो की तादाद में अलग अलग जगह एकत्रित हुए अपने धार्मिक रीति रिवाजों का पालन किया / नमाज पढ़ी,देश मे अमन चैन खुशहाली की दुआ की और अपने अपने घरों को लौट आये। बाकी 15,करोड़ माँ बहनो ने घर पर ईद की नमाज़ अदा की।
जी हां हम शांति दूत हैं बाबू रज़ा ने कहा इस बीच लगभग 10,हजार करोड़ रुपए फ़ितरे ख़ैरात के सिर्फ भारत में गरीबों को दान किए गए। ज़कात के लाखों करोड़ अलग से है जो ईद की नमाज से पहले पूरे रमज़ान में गरीबो को दान किये।
लेकिन कहीं कोई शोर शराबा नहीं हुआ। कहीं किसी धार्मिक स्थल के बाहर नारेबाजी नहीं हुई। किसी समुदाय को चिढ़ाने के लिए उन्हें उकसाने के लिए कोई नारेबाज़ी नहीं हुई।ना किसी के साथ बदतमीजी हुईं सभी धर्म के लोगो के साथ प्यार से गले मिलकर ईद की मुबारक़ बाद दी। जी हां हम शांति दूत हैं।
बाबू रज़ा ने कहा कि इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए न कोई पुलिस की जरूरत पड़ी और न ही किसी लीडर की जरूरत पड़ी। इस भीड़ के लिए किसी प्रकार की गाइडलाइंस की जरूरत नहीं पड़ी।
ये भीड़ स्वत: नियंत्रित थी, क्योंकि इस भीड़ को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत जिसकी वहदानियत की गवाही चांद सूरज जमीन आसमान तारे चरिंदे परिंदे देते हैं वह अल्लाह कर रहा था। इस भीड़ की गाइडलाइंस अल्लाह ने तय कि है।
बाबू रज़ा ने कहा कि 15, करोड़ लोग सड़कों पर हो और कहीं कोई अफ़रा तफ़री न हो मतलब सड़कों में निकले लोग शांतिदूत हैं। अपने देश से मोब्बत करने वाले देश भक्त है,
जी हां हम शांतिदूत हैं
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