मान्यवर कांशीराम जी राज्य सत्ता को मास्टर चाबी कहते थे, जिससे सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति के साध्य को प्राप्त किया जा सके| तौफीक प्रधान

बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए बरेली से मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट, 

बरेली, बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता तौफीक प्रधान ने मान्यवर काशीराम जी के 89 वें जन्म दिवस के अवसर पर मान्यवर कांशीराम जी के मिशन की जानकारी देते हुए बताया की मान्यवर काशीराम जी राज्य सत्ता को मास्टर चाबी कहते थे| जिससे सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति के साध्य को प्राप्त किया जा सके| राज्य सत्ता की चाबी पाने के लिए मान्यवर कांशीराम जी ने समय अंतराल योजनाबद्ध तरीके से तीन संगठनों की स्थापना की थी|


 1- बामसेफ की स्थापना 6 दिसंबर 1978 को बाबा साहब के परिनिर्वाण दिवस पर काशीराम ने बैकवर्ड एंड माइनॉरिटीज कम्युनिटीज एंप्लाइज फेडरेशन बामसेफ का गठन किया| बामसेफ एक नॉन पॉलिटिकल नॉन रिलीजस और नाॅन एजिटेशनल संगठन था| यह कर्मचारियों का संगठन होते हुए भी कर्मचारियों के लिए कोई कार्य नहीं करेगा| बल्कि इसके पीछे काशीराम की धारणा थी, की बामसेफ के कर्मचारी समाज को अपना टाइम टैलेंट ट्रेजरर वापस देंगे(पे बैक) बामसेफ बहुजन समाज के लिए टीचर की भूमिका में कार्य करेगा|


परिणाम स्वरूप बामसेफ के कार्यकर्ताओं ने पूरे देश में साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक बौद्धिक आदि क्षेत्रों में मनुवाद के खिलाफ एक तूफान खड़ा कर दिया| तथा जाति धर्म में बटे हुए बहुजन समाज को सांस्कृतिक प्रतीकों के साथ जोड़कर प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी कर दी|

 2- ds-4 की स्थापना बामसेफ के गठन के 3 वर्ष बाद 6 दिसंबर 1981 को बाबा साहब के परिनिर्वाण दिवस पर कांशीराम ने  DS-4 का गठन किया इस संगठन का पूरा नाम दलित शोषित समाज संघर्ष समिति था| यह संगठन राजनीतिक दल तो नहीं था| लेकिन इसकी गतिविधियां राजनीतिक दल जैसी ही थी| बामसेफ की भूमिका अब अप्रत्यक्ष तौर पर ds-4 के माध्यम से संघर्ष में परिवर्तित हो चुकी थी| जिसकी वजह से काशीराम के नेतृत्व में मनुवाद के खिलाफ एक जन आंदोलन खड़ा हो गया था| काशीराम अपने कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण शिविरों में कहा करते थे| कि जिन लोगों ने गैर राजनीतिक जड़े मजबूत कि हैं| वे राजनीति में सफल नहीं हो सकते| अब हमसे और ds-4 की गतिविधियों से गैर राजनीतिक जड़े मजबूत हो चुकी थी| और काशीराम के सक्षम नेतृत्व से बहुजन समाज में राजनीतिक भूख पैदा हो गई|

 3- बहुजन समाज पार्टी की स्थापना 14 अप्रैल 1984 को बाबा साहब के जन्मदिन पर मान्यवर काशीराम जी ने  बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की उद्देश्य स्पष्ट था| पहले राज सत्ता की चाबी पर कब्जा करना फिर सत्ता की चाबी से सम्राट अशोक के श्रवण भारत की पुनर्स्थापना करना| देश के अनुरूप जैसे ही बसपा की पहली बार सरकार बनी मान्यवर कांशीराम ने उत्तर प्रदेश को बौद्ध राज्य घोषित कर दिया| इस योजना के तहत बसपा की सरकार ने कहीं पत्थर भी गढ़वाया तो श्रवण परंपरा के महापुरुषों के नाम से गढ़वाया| मान्यवर कांशीराम को जीवन में सबसे बड़ा झटका दो वर्ष बाद तब लगा जब बामसेफ काशीराम से अलग हो गया| जिसका अफसोस अक्सर काशीराम अपने भाषणों में किया करते थे| कि मैंने अपनी जवानी का पूरा दिमाग और समय बामसेफ को तैयार करने में लगाया था| यह सोच कर कि समय आने पर बामसेफ का सदुपयोग कर मैं आसानी से बहुजन समाज को हुक्मरान बना दूंगा| लेकिन बामसेफ के कुछ लोगों की गद्दारी की वजह से बामसेफ को मुझसे अलग कर दिया गया| फिर मैंने प्रण लिया कि अब मुझे अपने बलबूते पर ही इस मिशन को मंजिल तक पहुंचाना होगा| मान्यवर काशीराम की उपलब्धियों से यह तो अंदाजा लगाया जा सकता है| कि यदि उन्हें बामसेफ का साथ मिला होता तो जरूर वे बहुजन समाज को हुक्मरान समाज बना कर जाते| फिर भी यह काशीराम का ही करिश्मा था| कि उन्होंने बसपा को दूसरे चुनाव में ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाते हुए पार्टी गठन के 11 वें वर्ष में ही 3 जून 1995 को उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री मायावती को बना दिया| काशीराम के संरक्षण में मायावती ने तीन बार कुछ महीनों के लिए मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला उनका यह कार्यकाल इतना प्रभावशाली था| कि मायावती ने 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली| लेकिन अक्टूबर 2006 को माननीय काशीराम का परी निर्माण हो जाने की वजह से अब मायावती की पूर्ण बहुमत की सरकार पर काशीराम का साया नहीं था| निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है| कि काशीराम त्याग और समर्पण की सारी सीमाओं को लांग कर बहुजन समाज के प्रति संवेदनशील और अपने मकसद के प्रति जिद्दी थे| उनकी इस ज़िद का ही परिणाम था| कि साधनहीन कांशीराम ने फुले शाहू परिहार अंबेडकर मिशन को बाबा साहब के निधन साथ दफन हो चुका था| कांशीराम ने उस मिशन को ज़ीरो से शुरू कर पुनर्जीवित कर दिया| बहुजन आदर्श और बहुजन साहित्य को पहचान दिला कर काशीराम के सपनों का भारत सम्राट अशोक के भारत का बहुजन समाज को ख्वाब दिखाया|

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