ट्विन टावर मात्र आठ सेकेंड में ब्लास्ट के साथ धाराशायी हो गए।

सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर आज दोपहर 2:30 बजे चंद सेकेंड में जमींदोज हो  गया। पहली बार अदालत के आदेश पर इतनी बड़ी इमारतों को गिराया गया। इसके लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़ी गई। आखिरकार जीत आम आदमी की हुई जिसने बिल्डर की मनमानी के खिलाफ आवाज उठाकर भ्रष्ट तंत्र को घुटनों पर ला दिया। आइए जानते हैं बिल्डर-प्राधिकरण के अवैध गठजोड़ की पूरी कहानी...


सारा मलबा साइट के अंदर ही है

CEO नोएडा प्राधिकरण रितु माहेश्वरी ने कहा कि सारा मलबा साइट के अंदर ही है। थोड़ा मलबा रोड पर आया है। साइट का निरिक्षण किया जा रहा है। धूल तुरंत हट गई थी। थोड़ी देर में सफाई का काम शुरू होगा। गैस और बिजली की सप्लाई दोबारा शुरू करा कर लोगों को 6.30 बजे के बाद अपने घरों में आने की इजाजत होगी।ट्विन टावर मात्र आठ सेकेंड में ब्लास्ट के साथ धाराशायी हो गए।  चारों तरफ दूर तक धूल का गुबार उठा हुआ है। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।

नोएडा बेस्ड कंपनी  ने 2000 के दशक के मध्य में एमरल्ड कोर्ट नाम परियोजना की शुरुआत की. नोएडा और ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे के समीप स्थित इस परियोजना के तहत 3, 4 और 5 बीएचके फ्लैट्स वाले इमारत बनाने की योजना थी.न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत योजनाओं के अनुसार, इस परियोजना में 14 नौ मंजिला टावर होने चाहिए थे. हालांकि, परेशानी तब शुरू हुई जब कंपनी ने प्लान में बदलाव किया. साल 2012 तक परिसर में 14 के बजाय 15 मंजिला इमारत बनाए गए. वो भी नौ नहीं 11 मंजिला.साथ ही इस योजना के अलावा एक और योजना शुरू हो गई, जिसमें दो और इमारत बनने थे, जिन्हें 40 मंजिला बनाने की प्लानिंग थी. ऐसे में कंपनी और स्थानीय लोगों के बीच कानूनी लड़ाई शुरू हो गई. सुपरटेक ने टावर वन के सामने 'ग्रीन' एरिया बनाने का वादा किया था.दिसंबर 2006 तक अदालत में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के अनुसार, यह उस योजना में था जिसे पहली बार जून 2005 में संशोधित किया गया था.

हालांकि, बाद में 'ग्रीन' एरिया वह जमीन बन गया जिस पर सियेन और एपेक्स - ट्विन टावर्स बनाए जाने थे. भवन योजनाओं का तीसरा संशोधन मार्च 2012 में हुआ. एमराल्ड कोर्ट अब एक परियोजना थी, जिसमें 11 मंजिलों के 15 टावर शामिल थे. साथ ही सेयेन और एपेक्स की ऊंचाई 24 मंजिलों से 40 मंजिलों तक बढ़ा दी गई थी. 

एमराल्ड कोर्ट में रहने वालों ने इसे संज्ञान में लिया और मांग की कि सेयेन और एपेक्स को ध्वस्त कर दिया जाए क्योंकि इसे अवैध रूप से बनाया जा रहा है. निवासियों ने नोएडा प्राधिकरण से उनके निर्माण के लिए दी गई मंजूरी को रद्द करने के लिए कहा.

निवासियों ने तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की, जिस पर अदालत ने अप्रैल 2014 में टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया. हालांकि, सुपरटेक ने फैसले के खिलाफ अपील की और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया.

अब आज इन दो इमारतों को गिराया जाएगा. दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंची 100 मीटर की इन इमारतों को गिराने के लिए 37,00 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा. 

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