ज्ञानवापी मस्जिद के संबंध में साहब सिंह धनगर भैया जी राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के विचार

 ज्ञानवापी मस्जिद के संबंध में

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 साथियों ,

              आप अच्छी तरह से जानते हैं कि देश एवं प्रदेश /प्रदेशों में जब-जब r.s.s. पोषित भाजपा की सरकार बनी है, भारतीय संविधान एवं कानून का उल्लंघन कर देश में आपसी भाईचारे को बिगाड़ने का कार्य किया गया है । आर0एस0एस0 के पास देश के लिए कोई रचनात्मक एजेंडा नहीं है । r.s.s. पोषित भाजपा का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान- पाकिस्तान , मंदिर - मस्जिद , हिंदू- मुस्लिम के आधार पर सांप्रदायिक उन्माद पैदा कर , झूठे वायदे एवं प्रलोभन के द्वारा , छल- प्रपंच से कम पढ़े-लिखे एस0सी0/ एस0टी0/ ओ0बी0सी0 के लोगों को अपने पक्ष में करके सत्ता पर काबिज होकर भारतीय संविधान , लोकतांत्रिक संस्थाओं एवं देश के बहुजन समाज को आर्थिक एवं शैक्षिक रूप से कमजोर कर , हजारों वर्ष पुरानी पाखंडवादी ,अमानवीय, मनुवादी व्यवस्था को स्थापित करना है ।

 15 अगस्त 1947 की स्थिति को बरकरार रखने के लिए संसद द्वारा सन 1991 में बाबरी मस्जिद स्थल को छोड़कर सभी धार्मिक स्थलों के संबंध में धर्म स्थल संरक्षण अधिनियम बना दिया गया । क्योंकि अगर काल्पनिक तर्कों के आधार पर स्थिति बदली जाती है , तो देश अफरा-तफरी का शिकार हो जाएगा । क्योंकि कितने ही बड़े मंदिर , बौद्ध और जैनियों के धार्मिक स्थलों को तोड़कर बनाए गए हैं । इसलिए देश हित में 1991 का कानून बनाया गया ।

 ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के संबंध में सन 1937 में दीन मोहम्मद बनाम स्टेट सेक्रेटरी वाद में कोर्ट ने तय किया था , कि पूरा अहाता मुस्लिम वक्फ की संपत्ति है । ज्ञानवापी मस्जिद और मंदिर का हिस्सा भी तय किया गया था । बजूखाने को ज्ञानवापी मस्जिद की संपत्ति माना गया था ।

             सन 1996 में वाराणसी के सिविल जज की अदालत में एनसीएन्ट आइडल स्वयंभू लॉर्ड विश्वेश्वर व अन्य के रूप में एक वाद , अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर, गैर कानूनी तौर पर जज ने सुना और 2019 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को रडार तकनीक से सर्वे का आदेश दिया ।

           अब नए सिरे से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे कराने की कार्यवाही सिविल जज वाराणसी द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर , गैर कानूनी तौर पर , की जा रही है । उधर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद एवं माननीय उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दायर हो चुकी है । न्यायपालिका 1991 के कानून का उल्लंघन करती जा रही है । जिसकी वजह से आम जनमानस में न्यायालय की छवि धूमिल हो रही है । साथ ही साथ सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने को प्रेरित कर रही हैं । ऐसे घृणित कृत्य के लिए न्यायपालिका की कार्यशैली निंदनीय है ।

          दिनांक -15 - 6- 2020 को भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय कटियार ने लखनऊ स्थित सी0बी0आई0 की विशेष अदालत से बाहर आकर कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है , अब काशी और मथुरा की बारी है।

        सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने के लिए दिनांक- 31-7 - 2020 को वृंदावन (मथुरा ) में आनंद वाटिका स्थित रामा आश्रम में देव मुरारी बापू की अध्यक्षता में बैठक हुई तथा यह कहा गया कि हमारा उद्देश्य श्री कृष्ण जन्मभूमि पर बनी मस्जिद को हटाकर श्री राम जन्म भूमि की तरह भव्य श्री कृष्ण जन्म भूमि मंदिर निर्माण करवाना है । 

       दिनांक- 7 - 8 - 2020 को इलाहाबाद में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होने के बाद अब काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर व मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली के पास स्थित मस्जिद हटवाने के लिए देशव्यापी आंदोलन छेड़ेगा ।

         दिनांक -10 - 8 - 2020 को वृंदावन (मथुरा ) में बंसीवट स्थित सुदामा कुटी में काशी विद्वत परिषद , ब्रजमंडल शाखा की बैठक में कहा गया कि अयोध्या में भगवान श्री राम के दिव्य और भव्य मंदिर के निर्माण कार्य शुरू होने के बाद काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर और मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मुक्ति के लिए आवाज बुलंद करनी है । 

      दिनांक - 25 - 9 - 2020 को दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णुशंकर जैन ने मथुरा में सीनियर सिविल जज , छाया शर्मा की अदालत में याचिका दाखिल कर 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मांगा है तथा यह भी कहा गया है कि जन्म भूमि की जमीन में बनी शाही मस्जिद ईदगाह को हटाया जाए ।

         दिनांक -17-5- 2022 को श्री कृष्ण जन्मस्थान - ईदगाह प्रकरण में देश के कई हिस्सों के विश्वविद्यालय की सात लॉ की छात्राओं सहित दिल्ली - लखनऊ हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं ने जिला जज की अदालत में श्री कृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर दावा किया है । इस जमीन से ईदगाह को हटाने की मांग भी अदालत से की है । इस पर 25 मई को सुनवाई होगी ।

          दिनांक -17 -5- 2022 को भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने ऋषिकेश में कहा है कि दिल्ली में जिस जगह जामा मस्जिद बनाई गई है,  यमुना नदी के किनारे वहा भी विष्णु भगवान का मंदिर था ।

         दिल्ली की साकेत अदालत में महरौली के कुतुब मीनार परिसर में 27 हिंदू और जैन मंदिरों के जीर्णोद्धार के संबंध में याचिका दाखिल की गई है । याचिका में आरोप लगाया गया है कि परिसर के भीतर स्थित कुव्वत -उल -इस्लाम मस्जिद को एक मंदिर परिसर के स्थान पर बनाया गया है । याचिका में ध्वस्त मंदिरों को फिर से स्थापित करने की मांग की है ।

           साथियों उपरोक्त संदर्भों के पढ़ने से आप भी समझ रहे होंगे कि सन 1991 के धर्म स्थल संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन कर मंदिर- मस्जिद की बात करके,  r.s.s. पोषित भाजपा तथा उसके समर्थक देश की बहुसंख्यक जनता का ध्यान बेतहाशा बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार ,अपराध एवं जनमानस की मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने की नाकामी से हटाकर इधर गैरकानूनी कृत्यों की तरफ लगाकर देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना चाहते हैं ।

          सही मायने में तो नफरत फैलाने वाले इस तरह के वक्तव्य देने तथा अधीनस्थ न्यायालय में इस प्रकृति के वादों को सुने जाने पर माननीय उच्चतम न्यायालय को रोक लगानी चाहिए थी । यदि ऐसा हुआ होता , तो आज भारत देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की जो स्थिति पैदा होती जा रही है , यह शायद नहीं होता । समय रहते अभी भी माननीय उच्चतम न्यायालय को इस तरह के कृत्यों पर अंकुश लगाना चाहिए । 

           आर0एस0एस0 के लोग हिंदुस्तान एवं तथाकथित हिंदू धर्म की बात करते हैं । माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय दिनांक- 11- 12- 1995 में कहा है कि हिंदू कोई धर्म नहीं है । इससे संबंधित गृह मंत्रालय , भारत सरकार ने पत्र दिनांक- 4-10 -2019 के माध्यम से समस्त राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को निर्देशित किया है , कि हिंदू शब्द के प्रयोग का बहिष्कार करना चाहिए । संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ0 बी0 आर0 अंबेडकर ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से देश का नाम भारत लिखा है । हिंदुस्तान शब्द की पुनरावृति आर0एस0एस0 समर्थक ही करते हैं । बाबा साहब ने एक बार अपने संबोधन में कहा था कि मेरा जन्म तथाकथित पाखंडवादी हिंदू धर्म में हुआ है , यह मेरे बस की बात नहीं थी, लेकिन मैं ऐसे अमानवीय पाखंडवादी तथाकथित हिंदू धर्म में मरूंगा नहीं, यह मेरे बस की बात है । और यह बाबा साहब ने दिनांक -14 -10- 1956 को नागपुर की दीक्षाभूमि में लाखों लोगों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा लेकर पूरा किया । इसी नागपुर में आर0एस0एस0 के मुख्यालय से पूरे भारत देश में ऊंच-नीच की विचारधारा वाला एवं नफरत फैलाने वाला वायरस फैलता है ।

         मैं राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते ऐसे सभी समान विचारधारा वाले राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों से अपील करता हूं कि इस समय हम सब को एकजुट होकर सड़कों पर उतर कर भारत देश में अमन -चैन को बिगाड़ने वाले तथा हिंदू -मुस्लिम के नाम पर देश को बांटने वालों का मुकाबला डट कर करना चाहिए । हमको संकल्पित भाव से नफरत फैलाने वालों को किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देना है । यही देश हित में होगा । 

          संकलनकर्ता

साहब सिंह धनगर भैया जी

        राष्ट्रीय अध्यक्ष

 राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी


रिपोर्ट:- मुस्तकीम मंसूरी

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