ताजमहल प्रकरण याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने पर खानकाहे रज़वीया नूरिया तहसीनिया, प्रबंधक सोहैब रज़ा खान ने आइन पर जताया भरोसा,
बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए बरेली से मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट,
हिंदुस्तान के आइन पर पूरा विश्वास है,जिस तरह कोर्ट ने याचिकाकर्ता की बात को नकार दिया, उसी तरह ओर दीगर मामलात में भी मुसलमानों को इंसाफ मिलेगा, सोहैब रज़ा
बरेली, कभी सोचता हूँ की अखंड भारत पर राज करने वाले मुगलो के पास क्या इतना पैसा नहीं था| की मोनूमेंट्स और मसाजिद बनवाने के लिए ज़मीन खरीद लेते . इस्लामिक नज़रिये से किसी इबादतगाह को तोढ कर उसपर मस्जिद या मगबरे क़ायम करने की इजाज़त नहीं यह कहना है खानकाह के प्रबंधक और इत्तेहाद ए अहले सुन्नत मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोहैब रज़ा खान का,इसका सबसे बड़ा उदहारण यह है की जब खलीफा ए दौयम हज़रत उमर (रदिअल्लाहु अनहो)के ज़माने मे बैत उल मक़दीस फतह हुआ तो वहा के बाशीदो ने आपको बुलाया और आप ऊठ पर सवार थे और आपके ख़ादिम ऊठ चलाते फिर उतना ही मील आप ख़ादिम को ऊठ पर बिठाते और खुद ऊठ को खीचते यह था आपका इंसाफ जब शहर आया तो हज़रत उमर की ऊठ खीचने की बारी थी गुलाम ने अर्ज़ किया हुज़ूर आप इतने बड़े हुकमरा है 22 लाख मुरबबामिल पर आपकी हुकूमत है यह ज़ेब नहीं देगा की मैं ऊठ पर बैठूंगा अपने फ़रमाया जैसे तै बात है वही करो . लेहाज़ा जब फिलिस्तीन मे दाखिल हुए तो वहा के यहूदी और ईसाई बशिंदे समझें की खलीफा वोह हैं जो ऊठ पर बैठे हैं और उनका इस्तक़बाल करने लगे जब असलियत मालूम हुई तो सब हैरान रेह गए और इसबात को तस्लीम किया की वाक़ई जब खलीफा इतने आला ज़र्फ़ है तो क़ौम का उरुज लाज़िम है l
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