अगर पासे पलट गए चौकीदार कुछ नहीं












दौलत बग़ैर इल्म भी असरदार कुछ नहीं, 
ज़हालत की नज़र में ओहदेदारकुछ नहीं।

 झौपड़ी में रहने वाले नासमझ आदमी को, 
महलों में रहने वाला किरायेदार कुछ नहीं। 
 
क़िस्मत उठा लाई सियासत के शिखर पर, 
अगर पासे पलट गए, चौकीदार कुछ नहीं।
 
तुम आंख मिलाने का हौसला तो कीजिए,
 अब ईमान बेचने वालो खरीदार कुछ नहीं। 
 
वो निकलता है घर से, बन्दूक साथ लेकर, 
इसलिए हाथों में चाकू बटनदार कुछ नहीं। 
 
लोकतंत्र का मामला है भीड़ होनी चाहिए, 
वोटों की राजनीति में, नंबरदार कुछ नहीं। 
 
फेवर अगर चाहिए ऊपर से लेकर आओ, 
सिफारिश के सांचे में हवलदार कुछ नहीं। 
 
लिखा है जो क़िस्मत में होना है वही सब,
 उसमें प्रधान कुछ नहीं ठेकेदार कुछ नहीं। 
 
"ज़फ़र" जीते जी की है हमदर्दी सभी की, 
 वरना मौत के सामने तरफ़दार कुछ नहीं।

 -ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र एफ़-413, कड़कड़डूमा कोर्ट, दिल्ली-32 zzafar08@gmail.com

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बहेड़ी विधायक व प्रदेश महासचिव अता उर रहमान के नेतृत्व में बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिले

*उत्तर प्रदेश पंचायती राज ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ का स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम हुआ*

बहेड़ी: स्टेट बैंक के गार्ड ने युवक के सिर पर किया हमला, गंभीर रूप से घायल