इतिहासकारो सत्य कहा है कि तलवार से केवल युद्ध जीते जाते है परंतु कलम कसाई कैसे शिक्षा चिकित्सा स्वास्थ सुरक्षा रोज़गार गारंटी संविधानिक और मानवीय अधिकारों को हड़पकर,, धर्म और धार्मिक प्रतीकों का मुखौटा पहनकर सभ्यताओं, संस्कृतियों ओर साम्राज्यों के इतिहास को कलंकित कर खत्म करते हैं
*_ साम्राज्यवादी पूंजीपतियों के राजनेतिक गुलाम पाखंडवादी ताकते आम आदमी को धर्म की अफीम चटाकर किस तरह से सत्ता संसाधनो पर कब्जा करने के लिए मानवीय संसाधनों को धर्म की आड़ में शारीरिक मानसिक आर्थिक रूप से गुलाम बनाकर उनके सामाजिक आर्थिक राजनीतिक और शैक्षणिक अधिकारों से बहिष्कृत कर,किस तरह से कलम कसाई बनकर इतिहास और सभ्यता संस्कृति का नाश करते हैं देखा जा सकता हैं?*
इतिहासकारो सत्य कहा है कि तलवार से केवल युद्ध जीते जाते है परंतु कलम कसाई कैसे शिक्षा चिकित्सा स्वास्थ सुरक्षा रोज़गार गारंटी संविधानिक और मानवीय अधिकारों को हड़पकर,, धर्म और धार्मिक प्रतीकों का मुखौटा पहनकर सभ्यताओं, संस्कृतियों ओर साम्राज्यों के इतिहास को कलंकित कर खत्म करते हैं नफरत के सौदागर राजनेतिक शैतान बनकर बाटो और राज करो की साम दाम दण्ड भेद छल कपट मर्म भेद की राजनीति कर जाति धर्म के नाम पर दंगा और पंगा कर आम आदमी को भूखा नंगा कर राशन , भाषण और भंडारे के सहारे छोड़ देते हैं?
इस देश में सबसे पहला विराट शक्तिशाली सम्राज्य नंद वंश था जो जातिगत रूप में आज के नाई समाज से थे जिसे कैसे विलोपित विद्रुपित करने के प्रयास किए गए?
- मौर्य राजवंश के बारे में सब जानते हैं चंद्रगुप्त मौर्य व अशोक जैसे महान लोगों के बारे में कुछ कहना सूरज को दिया दिखाना है
अपने राज के लिए पहली बार हिंदू शब्द का प्रयोग करने वाले राजा जयपाल थे जिनकी हुकुमत काबुल से आगे तक थी इतना शानदार राजवंश गुज्जर जाति के था
दक्षिण भारत का विजयनगर साम्राज्य और नेपाल के काठमांडू का राज अहिरों यादवों का था
जाट जट्ट और अरबी भाषा में ज़ुत जाति की धमक भारत ईरान से लेकर इराक़ के बसरा शहर तक थी इन्होंने इराक़ के शहर बसरा व वासित के बीच अपना राज क़ायम किया था
लेकिन आज के नाई , मौर्य , अहिर जाट और गुज्जर अपने गौरवशाली इतिहास पर शोध को भूलकर नफरत की राजनीति कर केवल मुसलमानों और मुगलों के पीछे पड़े हुए हैं एक दूजे को नीचा दिखाने को इन्हें अशोक से अधिक महान महाराणा प्रताप लगते हैं यह राजा जयपाल को छोड़ पृथ्वी राज चौहान के गुण गाते हैं
मौर्य राजवंश ने कई देशों में निर्माण कार्य किया था उसे याद करने के बजाय मौर्य जाति के लोग शेरशाह सूरी की बनाई सड़क पर कब्जा करने में लगे हुए हैं
असल में बड़ी चतुराई से इन्हें इस काम पर लगाया गया है जितना खेल इतिहास विषय में खेला गया है वैसा कहीं और नहीं खेला गया
दक्षिणपंथी इतिहासकार और वामपंथी इतिहासकार एक दूसरे के विरोधी हैं पर इस विरोध में भी चालाकी छुपी हुई है दोनों मिलकर जिस शख्सियत को चाहते हैं उठाते हैं और जिसे चाहते हैं चर्चा से बाहर कर देते हैं
यह सही है कि सबको एससी एसटी ओबीसी वर्ग और आदिवासी वनवासियों के संविधानिक अधिकारों को खत्म करने वंचित करने की सियासत की राजनीति में मुस्लिमों और उनके इतिहास के पीछे लगा दिया गया है पर मुस्लिम इतिहास का ज्यादा कुछ बिगाड़ नहीं सकता क्योंकि मुसलमानों में दरी चटाई व घटाई पर बैठ कर मेहनत करने वाले ऐसे कर्मठ लोग हैं जो गरीबी में जीते हैं और किसी तरह अपनी सफेदी को क़ायम रखते हुए वह जबरदस्त काम कर रहे हैं जिस की मिसाल पूरी दुनिया में नहीं है
भारत के मुस्लिम इतिहास पर उछाले गए कीचड़ की हैसियत मामूली गर्द व गुबार से अधिक नहीं है इसे शोधार्थी शिक्षा जागृति पैदा कर जब चाहेंगे उड़ा देंगे और फिर चमका देंगे
सोचना तो इन लोगों को है जो खुद अपने बारे में नहीं जानते अपने गौरवशाली इतिहास को नहीं जानते इन्हें सोते जागते शिक्षा चिकित्सा विज्ञान स्वास्थ सुरक्षा रोज़गार गारंटी संविधानिक और मानवीय अधिकारों की सुरक्षा के बजाय नफरत की फसल काटने के लिए केवल मुसलमानों व मुगलों के ख्वाब दिखाए जाते हैं और उसी में मगन रखने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं ... !!!!!
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