पीआरबी एक्ट लागू करके केंद्र सरकार निष्पक्ष, बेबाक, स्वतंत्र पत्रकारिता पर लगाम लगाना चाहती है, आखिर क्यों?

बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए बरेली से फिरदौस वारसी की रिपोर्ट

मीडिया का काम लोकतंत्र में जनतंत्र और कार्यपालिका और विधायिका के बीच सेतु बनकर कार्यपालिका और विधायिका को आईना दिखाना है।

बरेली केंद्र सरकार द्वारा पीआरबी (प्रेस रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक) लागू की जाने के विरोध में पत्रकार सुरक्षा महासमिति के मंडल अध्यक्ष मोहम्मद रईस के नेतृत्व में एक ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति महोदय को जिलाधिकारी बरेली की अनुपस्थिति में उप जिलाधिकारी बरेली के माध्यम से प्रेषित किया गया है,


ज्ञापन देने वालों में मुख रुप से मोहम्मद रईस मंडल अध्यक्ष पत्रकार सुरक्षा महासमिति, मुस्तकीम मंसूरी यूपी प्रभारी बेताब समाचार एक्सप्रेस, इकबाल भारती संपादक हिंदी दैनिक राष्ट्रीय सभ्यता, रफी मंसूरी मंडल ब्यूरो चीफ बेताब समाचार एक्सप्रेस, नाजिश अली, नाजिम अली, मोहम्मद रफी, आज़म खांन, फैज़ान नियाज़ी, पत्रकार कुमारी नीरज सक्सेना, आदि की उपस्थिति में दिए गए ज्ञापन में मांग करते हुए 
कहा कि लोकतंत्र के चार स्तंभों-विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया, प्रत्येक स्तंभ को अपने क्षेत्र के भीतर कार्य करना चाहिए, लेकिन बड़ी तस्वीर को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। लोकतंत्र की ताकत प्रत्येक स्तंभ की ताकत और स्तंभ एक दूसरे के पूरक होने पर निर्भर करती है। परंतु देश के वर्तमान परिदृश्य में मीडिया दो भागों में विभाजित हो गई है। मीडिया का विभाजित एक वर्ग लोकतंत्र के विपरीत सरकारी तंत्र की भूमिका में बदल चुका है, जो लोकतंत्र के लिए अत्यंत घातक है।

वही मीडिया का दूसरा वर्ग अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए लोकतंत्र में जनतंत्र की आवाज निष्पक्ष, बेबाक, और स्वतंत्र रूप से उठाने का कार्य कर रहा है। क्योंकि मीडिया का काम लोकतंत्र में जनतंत्र और कार्यपालिका और विधायिका के बीच सेतु बन कर कार्यपालिका और विधायिका को आइना दिखाना है, परंतु सरकार निष्पक्ष, बेबाक, स्वतंत्र पत्रकारिता पर लगाम कसने के उद्देश्य से पत्रकारों का उत्पीड़न कर रही है, वही सरकार द्वारा नया PRB एक्ट लागू करके मोदी मीडिया की तरह स्वतंत्र मीडिया को भी गुलाम बनाना चाहती है।

सरकार द्वारा लागू किए गए नए PRB एक्ट के अनुसार सरकार ने तय किया है कि देश में केवल 50 अखबार ही रहेंगे। नये PRB एक्ट के लागू होने से अब हर समाचार पत्र को प्रकाशन के 48 घंटे के अंदर RNI दिल्ली या PIB के रीजनल ऑफिस में प्रतियां जमा करनी होगी। कृतियां जमाना कर पाने पर एक बार का न्यूनतम जुर्माना 10 हजार रुपए अधिकतम जुर्माना 2 लाख रुपए है। यह आधार आपके समाचार पत्र के रजिस्ट्रेशन के निरस्तीकरण का आधार भी मान लिया जाएगा।

भारत में 550 से अधिक जिले हैं। और PIB के 29 ऑफिस हैं। उत्तराखंड, उड़ीसा जैसे कई राज्यों में स्टाफ के नाम पर एक और अधिकतम तीन कहीं स्टाफ है। हर जिले में राज्य सरकार के सूचना कार्यालय स्थापित है, जहां रेगुलर रूप से अखबार जमा होते हैं।

लेकिन नए एक्ट ने इन कार्यानों का वजूद समाप्त कर दिया। पहले किसी भी अखबार को अपने जिले के DMया DC के समक्ष एक घोषणा पत्र दाखिल करना होता था। यह अधिकार भी अब केंद्र सरकार ने अपने पास ले लिया है। अब 550 जिले कैसे अपने अखबार की प्रतियां RNI के 29 रीजनल ऑफिस में जमा करवाएंगे।RNI ने आदेश जारी कर दिया है। दरअसल सरकार चीन की तरह नागरिकों की आजादी को छीनना चाहती है। देश के बड़े अखबारों पर तो सरकार का नियंत्रण है लेकिन पॉकेट्स को प्रभावित करने वाले हजारों छोटे, मझोले, क्षेत्रीय और भाषाई समाचार पत्रों पर सरकार का ज़ोर नहीं है। इसलिए सरकार चुनाव से पहले मध्यम, क्षेत्रीय और भाषाई मीडिया को धमका कर अपने पक्ष में करना चाहती है। नहीं तो cancellation का ऑप्शन सरकार ने तैयार कर लिया है।

अतः आपसे विनम्र निवेदन है, कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया की आजादी पर अंकुश लगाने वाले PRB एक्ट को निरस्त किए जाने एवं पत्रकारों पर सरकार कराई जा रहे उत्पीड़न को रुकवाने हेतु आवश्यक कदम उठाए, भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में मीडिया की स्वतंत्रता लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।

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