*एस0सी0/एस0टी0 एक्ट न्यायालय के दो जिलों के विशेष न्यायाधीशों ने एक-दूसरे का क्षेत्राधिकार बताकर एस0सी0/एस0टी0 एक्ट का मुकदमा पंजीकृत कराने से किया इन्कार।*

दिनांक-28.09.2023 उत्तराखण्ड राज्य ने संविधान के अनु0 341 एवं इस पर मा0 सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गयी । विधि व्यवस्था का उल्लंघन कर 48 गैर अनुसूचित जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में किया था शामिल।*

*सन् 2014 से अनुसूचित जाति के सरकारी सेवाओं एवं राजनैतिक आरक्षण की खुली लूट*

 *वर्तमान में अनुसूचित जाति के 13 विधायक एवं एक सांसद की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित*

 *जिनमें 10 विधायक एवं एक सांसद अनुसूचित जाति के अवैध जाति प्रमाण-पत्र पर चुने हुए हैं।*


*संविधान और विधि विधान एवं उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंधन कर उत्तराखण्ड में 48 गैर अनुसूचित जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने वाले प्रमुख सचिव समाज कल्याण सहित 17 लोकसेवकों के खिलाफ एस0सी0/एस0टी0 एक्ट में मुकदमा पंजीकृत कराने के लिए थाना एवं वरिष्ट पुलिस अधीक्षक द्वारा कार्यवाही न किये जाने पर जनपद न्यायाधीश हरिद्वार के न्यायालय में पीड़िता ग्राम सिकरोढा निवासी मीनू ने 156(3) सीआर0पी0सी0 का दा0प्र0वा0सं0-227/2023 प्रस्तुत किया था*

जिसमें जिला जज हरिद्वार ने घटना स्थल देहरादून का बताकर दिनांक 04.07.2023 प्रार्थना-पत्र खारिज कर दिया। पीड़िता मीनू ने हरिद्वार जनपद न्यायाधीश का आदेश लगाकर एस0सी0/एस0टी0 एक्ट कोर्ट देहरादून की विशेष न्यायाधीश श्रीमति गीता चौहान के न्यायालय में पुनः 156(3) सीआर0पी0सी0 का प्रार्थना-पत्र मुकदमा पंजीकृत कराने हेतु दा0प्र0वा0सं0-401/2023 प्रस्तुत किया जिस पर दिनांक 25.09.2023 को विशेष न्यायाधीश ने घटना स्थल हरिद्वार का बताकर उक्त 156(3) का प्रार्थना-पत्र खारिज कर दिया।

अभी तक थाना प्रभारियों के बीच में यह विवाद आम तौर पर सुना जाता था कि घटना स्थल दूसरे थाने क्षेत्र का है परन्तु देश में एस0सी0/एस0टी0 एक्ट के केस में मुकदमा पंजीकृत करने के लिए जनपद हरिद्वार के जनपद न्यायाधीश श्री स्कन्द कुमार त्यागी घटना स्थल देहरादून एवं देहरादून की ए0डी0जे0 श्रीमति गीता चौहान घटना स्थल हरिद्वार का बता रहे हैं। इस प्रकार दोनों ही मा0 न्यायाधीशों ने प्रार्थना-पत्र अपने क्षेत्राधिकार के बाहर का बताकर एस0सी0/एस0टी0 एक्ट का मुकदमा पंजीकृत कराने से इन्कार कर दिया जबकि एस0सी0/एस0टी0 एक्ट की धारा 4(2)(ए) एवं एस0सी0/एस0टी0 एक्ट नियमावली 1995 के नियम 5(1) में एस0सी0/एस0टी0 एक्ट के पीड़ित की मौखिक अथवा लिखित शिकायत पर अनिवार्य रूप से प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का प्राविधान है और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न करने वाले को न्यूनतम 6 माह से एक वर्ष तक की अवधि के कारावास का प्राविधान एस0सी0/एस0टी0 एक्ट की धारा 4(1) में किया गया है। इसके बाबजूद भी थाना प्रभारी के साथ-साथ मा0 न्यायाधीश भी एस0सी0/एस0टी0 एक्ट मुकदमा लिखाने में कोताही बरत रहें हैं जिससे संसद की  एस0सी0/एस0टी0  एक्ट बनाने की मंशा प्रभावित/विफल हो रही है। अब पीड़िता मीनू मा0 उच्च न्यायालय नैनीताल में दोनों जनपदों के विशेष न्यायाधीशों के आदेशों को चुनौती देगी और यदि घटना स्थल तय करने के मामले भी मा0 उच्च न्यायालय में जाने लगे तो राज्य की कानून एवं न्याय व्यवस्था का अन्दाजा लगाया जा सकता है।


राजकुमार एडवोकेट (संयोजक)

संविधान बचाओ ट्रस्ट भारत संघ

नोट:- यदि आप उत्तराखण्ड राज्य के अनुसूचित 

जाति के लोगों  का इस मामले का समर्थन करते 

हैं तो मो0-7060013783 पर मिस कॉल जरूर करे।

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