यूनिफॉर्म सिविल कोड भाजपा के ध्रुवीकरण का हथकंडा है, इस पर मुसलमान प्रतिक्रिया देने से बचें, मुस्तकीम मंसूरी

भाजपा यह सब जानती है कि बिना सभी राज्यों की सहमति के यूनिफॉर्म सिविल कोड नहीं लाया जा सकता|

Mustaqeem
 Mansoori
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस के राष्ट्रीय महासचिव मुस्तकीम मंसूरी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून से देश के मुसलमानों को भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है| इस पर मुसलमानों को प्रतिक्रिया देना तत्काल बंद कर देना चाहिए|

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा कि भाजपा यूनिफॉर्म सिविल कोड केवल आने वाले 2024 लोकसभा चुनाव के लिए एक ध्रुवीकरण हथकंडे के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है| भाजपा सरकार की यूनिफॉर्म सिविल कोड को ना लाने की मंशा है, और ना उसके बस की बात है| भाजपा का मकसद है टीवी चैनलों पर डिबेट हो, और मुसलमानों को उस पर प्रतिक्रिया देने के लिए भड़काया जाए, जिससे भाजपा का ध्रुवीकरण का एजेंडा कामयाब हो जाए| उन्होंने कहा भाजपा के ध्रुवीकरण के एजेंडे को मजबूत करने के लिए टीवी चैनलों पर धार्मिक प्रवृत्ति के हिंदू मुस्लिम धर्म गुरुओं को बैठाकर बहस कराकर भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण का खेल खेला जाता है| इससे देश के मुसलमानों को सावधान रहना होगा| मुस्तकीम मंसूरी ने कहा कि कानून के बड़े जानकारों के अनुसार संविधान के आर्टिकल 13 के अनुसार सामाजिक रीति रिवाज और प्रथाएं भी कानून हैं, उन्हें एविडेंस एक्ट की धारा 57 में स्वीकार्यता प्राप्त है| आर्टिकल 13 के अनुसार किसी भी धर्म रीति रिवाज और प्रथाओं को किसी कानून से बदला नहीं जा सकता| इसी तरह आर्टिकल 13 को भी नहीं बदला जा सकता, यह संविधान के मूल ढांचे का अंग है| मुस्तकीम मंसूरी ने कहा

यदि बीजेपी शासित राज्यों में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाए, और गैर भाजपा शासित राज्य इसे लागू ना करें तो यूनिफॉर्म सिविल कोड बस मजाक बन जाएगा| यह बात भाजपा अच्छी तरह जानती है, के बिना सभी राज्यों की सहमति के यूनिफॉर्म सिविल कोड नहीं लाया जा सकता| यही कारण है कि भाजपा मीडिया के माध्यम से यूनिफॉर्म सिविल कोड को भाजपा का मास्टर  स्ट्रोक बताकर मुसलमानों को प्रतिक्रिया देने के लिए  भड़काया जा रहा है| इसलिए जब तक यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कोई ड्राफ्ट ना आ जाए, तब तक मुसलमानों को प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए|

संविधानके आर्टिकल 13 के अनुसार सामाजिक रीति-रिवाज और प्रथाएँभी कानूनहैं,उन्हें एविडेंसएक्ट की धारा 57 में स्वीकार्यता प्राप्तहै।

    आर्टिकल 13 के अनुसार किसीभी धर्म रीति-रिवाज और प्रथाएँ को किसी कानून से बदला नहीं जा सकता।आर्टिकल 13 कोभी नहीं बदला जासकता,क्योंकि ये संविधानके मूलढांचेका अंगहै।

    यदि BJP शासित राज्यों में UCC लागू हो जाए और Non-BJP राज्य UCC लागू नकरें, तो बस मज़ाक बन जाएगा।BJP ये सब जानतीहै कि बिना सभी राज्योंकी सहमति UCC नहीं लायाजा सकता।अतः UCC केवल आनेवाले 2024 चुनाव केलिए एक ध्रुवीकरणका हथकंडा मात्रहै,सरकार की UCC लाने की न मंशाहै और न बसकी बातहै।TV चैनलोंपर डिबेट होगी, मुसलमानोंको प्रतिक्रिया देनेको भड़काया जायेगा।इसलिए जबतक कोई UCC का ड्राफ्ट न आजाए, प्रतिक्रिया देनेसे बचना चाहिए।

- जया शुक्ला

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जिला गाजियाबाद के प्रसिद्ध वकील सुरेंद्र कुमार एडवोकेट ने महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री को देश में समता, समानता और स्वतंत्रता पर आधारित भारतवासियों के मूल अधिकारों और संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए लिखा पत्र

ज़िला पंचायत सदस्य पद के उपचुनाव में वार्ड नंबर 16 से श्रीमती जसविंदर कौर की शानदार जीत

पीलीभीत सदर तहसील में दस्तावेज लेखक की गैर मौजूदगी में उसका सामान फेंका, इस गुंडागर्दी के खिलाफ न्याय के लिए कातिब थाना कोतवाली पहुंचा*