प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूनिफॉर्म सिविल कोड पर मुस्लिम मजलिस के राष्ट्रीय अध्यक्ष वसी अहमद का बड़ा बयान|

 बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए बरेली से मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट, 

यूनिफॉर्म सिविल कोड(यूसीसी) 1941 में भी यह मुद्दा आया था, उस समय हिंदू महासभा ने इसका विरोध किया था|

यूसीसी सामने आने दीजिए कुछ राज्यों को छोड़कर बाकी में तो विरोधियों की सरकारें हैं मुसलमानों से ज्यादा हिंदू इसका विरोध करेंगे|

 बरेली,ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट वसी अहमद ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए यूसीसी को भाजपा का चुनावी हथकंडा बताते हुए, कहा की कुछ तथाकथित स्कॉलर और मुस्लिम धर्म गुरु भाजपा के इशारे पर टीवी चैनलों के डिबेट और अखबारों के माध्यम से मुसलमानों को डराने का काम कर रहे हैं, जिन्हें संविधान की ना तो समझ है ना कोई जानकारी है, एडवोकेट वसी अहमद ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया की, देश की आजादी से पहले भी यूनिफॉर्म सिविल कोड ( यूसीसी) 1941 में भी यह मुद्दा आया था| उस समय हिंदू महासभा ने इसका विरोध किया था| और उस वक्त इसको छोड़ दिया था|


और अगर यह मुद्दा नहीं छोड़ा जाता तो 568 रियासतें कभी एक ना हो पाती|इसलिए बाबा साहब ने इसे ठंडे बस्ते में डालकर राज्य सरकारों के पाले में डाल दिया था|शायद तुम्हें याद ना हो तो याद दिला दूं कि पूरे भारत में जिन्हें तुम हिंदू मानते हो हिंदुओं की 6370 जातियां हैं| जिनके अलग-अलग रहन-सहन और रिती रिवाज उन सब पर चर्चा करके दूसरे धर्मों से बात करना चाहिए|

अभी तो यूसीसी सामने आने दीजिए कुछ राज्यों को छोड़कर बाकी में तो विरोधियों की सरकारें हैं, मुसलमानों से ज्यादा हिंदू इसका विरोध करेंगे|भाजपा केवल मुस्लिम मुस्लिम चिल्लाकर वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है, इसलिए मुसलमानों को शांति से सोचने की जरूरत है, मानव अधिकारों की और मजहब की बात आएगी तो संविधान और सुप्रीम कोर्ट संरक्षण देगा|यूसीसी पर मुस्लिम जितनी तिथि प्रतिक्रिया देंगे उतनी ही तेजी से हिंदु वोटो का ध्रुवीकरण होगा भाजपा भी यही चाहती है|जहां तक बात करें संविधान का आर्टिकल 44 जिसमें यूसीसी का जिक्र किया गया है, वह Directive Pirnciple Of State Policy का हिस्सा है जो कि मात्र एक दिशा निर्देश है, ना कि संवैधानिक बाध्यता|

आर्टिकल 44 के ऊपर है, आर्टिकल 14, 15,19,21,28 और 29, जिनमें से अधिकांश आर्टिक्स संविधान के मूल ढाचें का हिस्सा है, जिनसे छेड़छाड़ सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित है| इसलिए यूसीसी लाना इतना आसान नहीं है|इसलिए मुसलमानों को समझना चाहिए की उन्हें तीखी प्रतिक्रिया देने को उकसाया जा रहा है, ताकि हिंदू यूसीसी के पक्ष में एकत्र होकर एक बार फिर भाजपा को वोट दें|इसलिए जब तक यूसीसी का मसौदा ना आ जाए तब तक प्रतिक्रिया देना उचित नहीं होगा|जिसे बीजेपी/आरएसएस मास्टर स्टॉक समझ रहे हैं, कर्नाटक की तरह उल्टा भी पड़ सकता है, क्योंकि हिंदू भी समझ चुका है कि उसे बार-बार वोट के लिए उकसाया/ मूर्ख बनाया जा रहा है|

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