महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड की हजारों एकड़ जमीन की सौदेबाजी का पर्दाफाश

 बंदोबस्ती आंदोलन से भूमाफियाओं का पर्दाफाश होगा

 नई दिल्ली-मुंबई फरवरी (प्रेस विज्ञप्ति) तहरीक अकाफ 2016 से महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड की जमीन को उजाड़ने वालों और अरबों करोड़ की संपत्ति को औने-पौने दामों पर बेचने वालों का पीछा कर रही है। वक्फ बोर्ड अपने पुरखों के भरोसे भूमाफियाओं के साथ मिलकर करोड़ों की जमीन उजाड़ रहे हैं.



 उक्त विचार तहरीक अकाफ के अध्यक्ष व अखिल भारतीय मुस्लिम ओबीसी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शब्बीर अहमद अंसारी ने एक निजी यूट्यूब चैनल को साक्षात्कार देते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मैं हर पत्र का जवाब देता हूं। तथ्य यह है कि तहरीक अकाफ ने दिसंबर 2022 से अब तक वक्फ बोर्ड को 80 पत्र दिए गए हैं, जिनमें से किसी का भी जवाब अब तक नहीं आया है।महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के पास बीसीसीआइ से ज्यादा संपत्ति होने के बावजूद वक्फ बोर्ड को चलाने के लिए स्टाफ नहीं है।इंटरव्यू में उन्होंने धन की कमी के बारे में रोया जबकि हजारों एकड़ जमीन का सौदा और सौदेबाजी की गई है। वक्फ बोर्ड एक बड़ी संस्था है जिसके पास महाराष्ट्र में दरगाह, मस्जिद और कब्रिस्तान की हजारों एकड़ जमीन और संपत्ति है। के सदस्य और अध्यक्ष वक्फ बोर्ड उसका इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए कर रहा है। जैसे-जैसे संपत्तियां बिक रही हैं, वक्फ बोर्ड के पास पैसे खत्म हो रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए, लेकिन तथ्य यह है कि वक्फ की जमीन बेचने से जो पैसा आया, उसका इस्तेमाल वक्फ बोर्ड ने किया। सदस्य, अध्यक्ष ए  दलालों के बीच संबंध थे जबकि पैसा वक्फ बोर्ड को दिया जाना चाहिए था.देश के साथ विश्वासघात हो रहा है.

 एक सवाल के जवाब में उन्होंने खुलासा किया कि नागपुर के 288 प्लाट बेचने में एक बड़े मौलाना समेत वक्फ बोर्ड के सात बड़े लोगों का हाथ था.वह पैसा चेयरमैन और सात सदस्यों ने भी बांटा.वहां इन संपत्तियों को बेचने का कोई मतलब नहीं था, लेकिन इन सदस्यों और अध्यक्ष ने अपने फायदे के लिए संपत्तियों को बेच दिया, जिसे डायनामिक अकाफ ने आगे बढ़ाया और फडणवीस की तत्कालीन वर्तमान सरकार का ध्यान आकर्षित किया, जिसके परिणामस्वरूप सरकार ने कार्रवाई की। यह लिया गया और एक जांच की गई। अंत में, सरकार ने एक प्राथमिकी दर्ज करने का फैसला किया, जिसके खिलाफ इन सभी लोगों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और एक आवेदन दायर किया, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। इसके खिलाफ इन लोगों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में अकाफ आंदोलन और सक्रिय होगा और करोड़ों रुपये की अकाफ संपत्ति जनता को बेचने वाले माफियाओं का पर्दाफाश करेगा, क्या अपराध है?

تحریک اوقاف لینڈ مافیائوں کو کرے گی بے نقاب
مہاراشٹر وقف بورڈ کی ہزاروں ایکڑ زمین کی سودا بازی بے نقاب
نئی دہلی ؍ممبئی فروری(پریس ریلیز)تحریک اوقاف ۲۰۱۶سے مہاراشٹروقف بورڈکی زمین کو خرد برد کرنے والے ،اربوں کھربوں کروڑوں کی جائیداد کو کوڑیوں کے دام میں فروخت کرنے والوں کا تعاقب کررہی ہے ۔تحریک اوقاف کا مقصد ہی یہ ہے کہ وہ مہاراشٹر کے نوجوانوں اور عوام کو بتائیں کہ کس طرح ان کے باپ دادا کی امانت کے ساتھ وقف بورڈ کے چیئرمین اور ممبران لینڈ مافایئوں کے ساتھ مل کر کروڑوں کی زمین کو خرد برد کررہے ہیں۔
مذکورہ خیالات کا اظہار تحریک اوقاف کے چیئرمین اور آل انڈیا مسلم او بی سی آرگنائزیشن کے قومی صدر شبیر احمد انصاری نے ایک پرائیویٹ یو ٹوب چینل کو انٹرویو دیتے ہوئے کیا۔انہوں نے مزید کہا کہ چیئرمین وقف بورڈکا انٹرویو محض ایک جھوٹ کا پلندہ ہے جس میں انہوں نے کہا کہ میں ہر لیٹر کا جواب دیتا ہوں ۔حقیقت یہ ہے کہ تحریک اوقاف نے دسمبر ۲۰۲۲سے ۸۰ لیٹر وقف بورڈ کو دے چکی ہے جس میں سے کسی ایک کا بھی اب تک جواب موصول نہیں ہوا ہے ۔مہاراشٹر وقف بورڈ کے پاس بی سی سی آئی سے بھی زیادہ جائیدا د یںہیںاس کے باوجود وقف بورڈ کو چلانے کیلئے کوئی عملہ نہیں ہے۔انٹرویو میں انہوں نے فنڈ نہ ہونے کا رونا رویا ہے جبکہ ہزاروں ایکڑ کی زمین کا لین دین اور سودا بازی ہوئی ہے۔وقف بورڈ ایک بڑاادارہ ہے جس کے پاس مہاراشٹر کی درگاہوں مسجدوں اور قبرستانوں کی ہزاروں ایکڑ زمینیں اور جائیداد ہیں۔جسے وقف بورڈ کے ممبران اور چیئرمین اپنے مفاد کے لئے استعمال کررہے ہیں ۔جس طرح جائیدادیں فروخت کی جارہی ہیں اس طرح وقف بورڈ کے پاس پیسوں کی کمی نہیں ہونی چاہئے لیکن حقیقت یہ ہے کہ وقف کی زمین کے فروخت سے جو پیسہ آیا وہ ممبران ،چیئرمین اور دلالوں کے درمیان بند ربانٹ ہوگئے جبکہ وہ پیسے وقف بورڈ کو ملنا چاہئے تھا یہ قوم کی امانت ہے جس کی خیانت کی جارہی ہے۔
انہوں نے ایک سوال کے جواب میں انکشاف کیا کہ ناگپور کی۲۸۸؍ پلاٹ فروخت کرنے میں سات بڑے بڑے لوگوں جو وقف بورڈ کے ممبران ہیں ان کا ہاتھ شامل ہے جن میں ایک بڑے مولانا بھی ہیں ۔وہ پیسے بھی چیئرمین اور سات ممبران نے بندر بانٹ کرلئے ۔ان جائیدادوں کے فروخت کرنے کا کوئی مطلب نہیں تھا بلکہ ان ممبران اور چیئرمین نے اپنے مفاد کیلئے پراپرٹی کو فروخت کی جس کا تعاقب تحرک اوقاف نے کیا اور اس وقت کی موجودہ حکومت فڈنیوس کی توجہ مبذول کرائی جس کے نتیجے میں حکومت نے ایکشن لیا اور اس کی انکوائری کی گئی بالآخر ان سب پرایف آئی آر درج کرنے کا حکومت نے فیصلہ کیا جس کے خلاف ان سب لوگوں نے ہائی کورٹ سے رجوع کیا اور درخواست دی جسے کورٹ نے رد کردیا ۔اس کے خلاف ان لوگوں نے سپریم کورٹ کا رخ کیا اور بالآخر انہیں عارضی اسٹے مل گئی ۔انہوں نے مزید کہا کہ آنے والے دنوں میں تحریک اوقاف اور متحرک ہوگی اور ان مافیائوں کو عوام کے سامنے بے نقاب کرے گی جن لوگوں نے اوقاف کی کروڑوں کی پراپرٹی کو کوڑیوں کے دام فروخت کرنے کا جرم کیا ہے۔

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