लोकतंत्र के चौथे स्तंभ खतरों के खिलाड़ी पत्रकारों की क्या भूमिका है, इस पर प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारीयों, राजनेताओं, समाजसेवीओं,एवं धर्म गुरुओं, आदि का सहयोग पत्रकारों को नहीं मिलता है, आखिर क्यों?

      वरिष्ठ पत्रकार मुस्तकीम मंसूरी का प्रश्न विचारणीय है|


लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारों से आप उम्मीद करते हैं कि वो सच लिखें, अन्याय के खिलाफ़ लिखें, सत्ता से सवाल पूछें, गुंडे अपराधियों का काला चिट्ठा खोल के रख दें और लोकतंत्र ज़िंदाबाद रहे! 


1. लेकिन पत्रकारों से कभी पूछिए उनकी सैलरी,

2. कभी पूछिए पत्रकारों के घर का हाल! 

3. कभी पूछिए उनके खर्चे कैसे चलते हैं! 

4. कभी पूछिए  उनके बच्चों के स्कूल के बारे में! 

5. कभी मिलिए उनके बच्चों से और पूछिए उनके कितने शौक  

 पूरे कर पाते हैं उनके अभिभावक? 

6. कभी पूछिए की अगर कोई खबर ज़रा सी भी इधर उधर लिख जाएं और कोई नेता, विभाग, सरकार या कोई रसूखदार व्यक्ति मांग लें स्पष्टीकरण तो कितने मीडिया हाउस अपने पत्रकारों का साथ दे पाते हैं! 

7. कितने पत्रकारों के पास चार पहिया वाहन हैं ?

 8. कितने पत्रकार दो पहिया वाहनों से चल रहे हैं ? 

9. कितने पत्रकारों के पास बड़े बड़े घर है! 

10. अपना और अपनों का इलाज़ कराने के लिए कितने  पत्रकारों के पास जमा पूंजी है! 

11. प्रिंट मीडिया के पत्रकारों का रूटीन पूछिएगा कभी, दिन भर फील्ड और शाम को ऑफिस आकर खबर लिखते लिखते घर पहुंचते पहुंचते बजते हैं रात के 11, 12, 1... बज जाते हैं, सोचिए कितना समय मिलता होगा उनके पास अपने बच्चों, परिवार , बीवी मां बाप के लिए समय देना! 

12. आपको लगता होगा कि  पत्रकारों के बहुत जलवे होते हैं--? ऐसा नहीं  है! 

13. कभी पूछिए की अगर पत्रकार को जान से मारने कि धमकी मिलती है तो प्रशासन उसे कितनी सुरक्षा दे पाता है?

14. कभी पूछिए की अगर कोई पत्रकार दुर्घटना का शिकार हो जाता है और नौकरी लायक नहीं बचता तो उसका मीडिया हाउस या वो लोग जो उससे सत्य खबरों की उम्मीद करते हैं वो कितने काम आते हैं! 

15. और अगर किसी पत्रकार की हत्या हो जाती है तो कितना एक्टिव होता है शासन प्रशासन और कानून पुलिस! 

16. दंगे हों, आग लग जाए, भूकंप आ जाएं, गोलीबारी हो रही हो, घटना दुर्घटना हो जाएं सब जगह उसे पहुंच कर न्यूज कवरेज करनी होती है! 

17. कोविड जैसी महामारी में भी पत्रकार ख़ासकर फोटो जर्नलिस्ट अपनी जान पर खेल खेल कर न्यूज कवर कर रहे थे.. सोचिएगा|

 18.गिने चुने पत्रकारों की ही मौज है बाकी ज़्यादातर अभी भी संघर्ष में ही जी रहे हैं! 


अगर किसी पत्रकार के पास अच्छा फोन, घड़ी,कपड़े, गाड़ी दिख जाए तो उसके लिए लोग कहने लगते हैं कि  'दलाली से बहुत पैसा कमा रहा है! 


भई क्यों नहीं है हक उसे अच्छे कपडे, फोन घर गाड़ी इस्तेमाल करने का. सोचिएगा फिर चर्चा करेंगे! 


ऐसे में जो पत्रकार बेहतरीन काम कर रहे हैं  जूझ रहे हैं  एक एक खबर के लिए वो न सिर्फ बधाई के पात्र हैं बल्कि उन्हें हाथ जोड़ कर प्रणाम कीजिए!

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