आज़मगढ़ कमीश्नर से की मांग प्रशासन द्वारा गैरकानूनी-असंवैधानिक जमीन लेने की प्रक्रिया को रोका जाए

खिरिया बाग, आज़मगढ़ 6 जनवरी 2023. खिरिया बाग में 86 दिन से धरना दे रहे ग्रामीणों ने आज़मगढ़ के कमीश्नर से कहा है कि प्रशासन की अवैधानिक तरीके से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया ने उनका जीवन संकट में डाल दिया है. जिलाधिकारी से हुई वार्ता को बताते हुए कहा कि सर्वे की झूठी रिपोर्ट के द्वारा एयरपोर्ट के नाम पर जमीन लेने के लिए गैरकानूनी तरीका अपनाया जा रहा है. जमीन-मकान जाने के सदमे से अब तक 16 किसानों की मृत्यु हो चुकी है.


मोर्चा के संयोजक रामनयन यादव ने कहा कि जिलाधिकारी से हुई वार्ता में हमने पूछा कि कुछ लिखित या मौखिक रूप से बताया जाए तो हमसे कहा गया कि हम आपकी बात सरकार को पहुंचाएंगे और सरकार की बात आप तक हमें इस मामले में तय करने का अधिकार नहीं. दूसरी तरफ प्रशासन भूमि अधिग्रहण को लेकर बयान दे रहा कि हमें सहमत कर लेगा. प्रशासन ने झूठी सर्वे रिपोर्ट बनाई और हम ग्रामीणों का जीना दुश्वार कर दिया. अगर प्रशासन निष्पक्ष रहता तो हमारी और सरकार दोनों की बातें रखता.

भेजे गए पत्र में कहा है की जिलाधिकारी आज़मगढ़ से 30 दिसंबर 2022 को जिलाधिकारी कार्यालय में वार्ता हुई. किसानों-मजदूरों के वार्ताकारों ने प्रस्ताव पूछा तो बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए 670 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने के लिए सर्वे किया गया है. जिसपर पूछा गया कि जब जमीन-मकान नहीं देना चाहते तो सर्वे का क्या औचित्य और हमसे शासन-प्रशासन ने इस बारे में कभी कोई बात नहीं कि और 12-13 अक्टूबर 2022 की दिन और रात में राजस्वकर्मी भारी पुलिस बल के साथ सर्वे करने लगे और ग्रामीण महिलाओं-बुजुर्गों को मारा-पीटा और दलित महिलाओं को जातिसूचक-महिला विरोधी गालियां भी दी. जब जमीन नहीं देना चाहते तो सर्वे का क्या औचित्य और कोई सर्वे नहीं हुआ. रात के अंधेरे में सर्वे के औचित्य पर जिलाधिकारी ने कहा कि जब विरोध करेंगे तो हम करेंगे ही. इससे स्पष्ट होता है कि जिलाधिकारी ने 12-13 अक्टूबर 2022 के दिन और रात में किए गए अवैधानिक सर्वे और उत्पीड़न को सही ठहरा रहे. जब ग्रामीण जमीन-मकान नहीं देना चाहते और ग्राम सभाओं को यह अधिकार है कि अगर ग्रामवासी जमीन नहीं देना चाहते तो उनकी जमीन नहीं ली जा सकती. जब आज तक गांव में आकर सर्वे नहीं किया गया तो सर्वे रिपोर्ट कैसे बनी, सर्वे रिपोर्ट फर्जी है. इस पर बताया गया कि उनके पास मौजूद खतौनी और ड्रोन के आधार पर सर्वे किया गया है. सर्वे को सही ठहराने की कोशिश की गई. सर्वे का वैधानिक तरीका नहीं अपनाया गया. जबकि भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक ग्राम प्रतिनिधियों की मौजूदगी में सर्वे किया जाएगा, सर्वे प्रभावित क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर होगा, सर्वे रिपोर्ट को प्रकाशित कर जनसुनवाई की जाएगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. ऐसे में यह सर्वे रिपोर्ट झूठी है. ग्रामीणों ने पूछा कि सर्वे का क्या आधार है कोई नोटिस, नोटिफिकेशन है क्या तो इसके जवाब में बताया गया कि ऐसा कुछ नहीं है एक दो लाइन का शासन की तरफ से आया है कि इन-इन जिलों में एयरपोर्ट के लिए जमीन ली जाएगी और हम उसी के आधार पर सर्वे कर रहे हैं. जब उसकी प्रति को सार्वजनिक करने की मांग की गई तो कहा गया कि सबके पास है पर इसकी कोई प्रति हमको नहीं दी गई. जब यह पूछा गया कि यह कैसे निर्धारित किया गया कि यह जमीनें लेनी हैं तो उसका कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला. क्योंकि इससे पहले भी एक सर्वे किया गया और उसके बाद दूसरी बार सर्वे किया गया. भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनव्यरवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 में भू-स्वामियों तथा अन्य प्रभावित कुटुम्बों को कम से कम बाधा पहुंचाए बिना भूमि अर्जन के लिए कहा गया है. जबकि जो सर्वे दिखाया जा रहा है उसमें बड़े पैमाने पर लोगों के आशियाने हैं जिसमें दलित व पिछड़ी जातियों में ऐसे बहुतायत हैं जो भूमिहीन हैं या जमीन के कुछ टुकड़े हैं जिसमें बमुश्किल वो आशियानें बनाकर रहते हैं. किसी भी प्रकार का भूमि अधिग्रहण उनको सड़क पर ला देगा. इस क्षेत्र की जमीनें उपजाऊ और बहुफसली हैं. प्राथमिक विद्यालय, पंचायत भवन, जच्चा-बच्चा केंद्र, आंगनवाड़ी, नहर, जलाशय, कुएं भी प्रभावित हो रहे हैं. यह जैव विविधता वाला क्षेत्र है यहां विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु पाए जाते हैं. यहां बड़े पैमाने पर पेड़-पौधे हैं, एयरपोर्ट के नाम पर उनको नष्ट करने से पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा. यहां छोटी जोत के गरीब किसान-मजदूर की जीविका खेती और मजदूरी पर आश्रित है. जो सर्वे बताया जा रहा उसमें कोई पारदर्शिता नहीं कि गई ग्रामीणों को अंधेरे में रखकर जबरन पुलिस के बल पर सर्वे करने की कोशिश की गई जो हुआ नहीं, जिसका हमने विरोध किया, क्योंकि जमीन नहीं देना चाहते तो ऐसे में सर्वे की कोई जरूरत नहीं है. संविधान के 73 वें संशोधन के साथ यह प्राविधान किया गया है कि ग्राम सभा और पंचायतें जो सत्ता की सबसे छोटी ईकाई हैं को अपने क्षेत्र की विकास योजनाएं खुद बनाने का अधिकार है. यह सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए किया गया है. इस आधार पर ग्राम सभा अपने आप में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक रूप से स्वायतशासी अधिकार रखता है. ऐसे में शासन-प्रशासन ने ग्राम सभा व पंचायतों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करते हुए भूमिअधिग्रहण कानून के खिलाफ जाकर गैर कानूनी कदम उठाया. ग्रामसभा के स्वायत्तता का अतिक्रमण किया जा रहा है. आज़मगढ़ में एयरपोर्ट सालों से बना पड़ा है जिससे आज तक एक भी विमान नहीं उड़ा है. आज़मगढ़ के चारो तरफ कुशीनगर, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या और लखनऊ में एयरपोर्ट है जहां चन्द घंटों में पहुंच सकते हैं. आज़मगढ़ में एयरपोर्ट बनने से क्षेत्र का कोई विकास नहीं हुआ और न इससे कोई रोजगार मिलने की संभावना है. सभी ग्रामसभाओं ने एक मत से निर्णय लिया है कि अपनी जमीन नहीं देंगे. 


प्रशासन द्वारा गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से भूमि अधिग्रहण की जो कार्रवाई की जा रही उससे ग्रामीणों में जमीन-मकान चले जाने के भय से लोग सदमें में हैं और अब तक 16 किसानों की जमीन-मकान जाने के सदमें से मृत्यु हो चुकी है. ग्रामीण पिछले 86 दिन से भयंकर ठंडी, शीतलहरी, कोहरे के बीच खिरिया बाग, जमुआ में धरने पर बैठने को मजबूर हैं. जबरन भूमि अधिग्रहण के लिए किए गए फर्जी सर्वे रिपोर्ट ने हम ग्रामीणों का जीना दूभर कर दिया है, हम सब काम-धाम छोड़कर अपने पुरखों की जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का मास्टरप्लान रदद् करते हुए इस थोपी गई समस्या से हमें निजात दिलाई जाए. हम गरीब किसान-मजदूर आपके आभारी होंगे.

गदनपुर हिच्छनपट्टी, जिगिना करमनपुर, जमुआ हरीराम, जमुआ जोलहा, हसनपुर, कादीपुर हरिकेश, जेहरा पिपरी, मंदुरी, बलदेव मंदुरी व आसपास के ग्रामवासी 13 अक्टूबर 2022 से अनवरत खिरिया की बाग, जमुआ में धरने पर बैठे हैं. जमीन-मकान नहीं देंगे, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का मास्टर प्लान वापस लेने, किसान नेताओं के उत्पीड़न व आंदोलनकारियों पर से झूठे मुकदमे वापस लेने और 12-13 अक्टूबर के दिन और रात में सर्वे के नाम पर एसडीएम सगड़ी और अन्य राजस्व अधिकारी व भारी पुलिसबल के द्वारा महिलाओं-बुजुर्गों के साथ हुए उत्पीड़न के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए धरने पर बैठे हैं. 


पत्र की प्रतिलिपि प्रतिलिपि महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, नागरिक उड्डयन मंत्री, पर्यावरण मंत्री नई दिल्ली, कृषि मंत्री नई दिल्ली, महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पर्यावरण मंत्री उत्तर प्रदेश, कृषि मंत्री उत्तर प्रदेश, जिलाधिकारी आज़मगढ़, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजा.


86 वें दिन धरने को रामकुमार यादव, किसान नेता राजीव यादव, वीरेंद्र यादव, महेंद्र राय, ओमप्रकाश भारती, मटरू खलीफा, राम शबद निषाद, दुखहरन राम, हिमांशु यादव, अंशदीप यादव, गणेश भारती, योगेंद्र यादव, राहुल यादव ने संबोधित किया. अध्यक्षता मुन्नीलाल और संचालन राधेश्याम ने किया.


द्वारा-

रामनयन यादव

संयोजक, जमीन मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा, आज़मगढ़

9935503059


*हम, भारत के लोग, देश के अन्नदाता-मेहनतकश*

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