जो सोचा नहीं था ऐसा कमाल कर दिया,

 


जो सोचा नहीं था ऐसा कमाल कर दिया,

मेरे मुल्क को और भी बदहाल कर दिया।



वो रह गया है फंसकर अपने ही जाल में,

परिंदे ने शिकारी का क्या हाल कर दिया।



ये गांधी का युग नहीं अलग बात है मगर,

उसने तो आज दूसरा भी गाल कर दिया।



उसने चार साल का लॉलीपॉप खिलाकर,

बेरोज़गारी को और मालामाल कर दिया।



तुम्हारी थाली में ना रहेंगी अकेली रोटियां,

जादूगर ने चटनी का नाम दाल कर दिया।



सत्यवादी तो लाइन में दम तोड़ गए मगर,

भ्रष्टाचारी रहनुमाओं को बहाल कर दिया।



उससे और कितनी उम्मीद रखोगे 'ज़फ़र',

इकतीस दिसम्बर को नया साल कर दिया।

ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र

एफ-413, कड़कड़डूमा कोर्ट,

दिल्ली -110032

zzafar08@gmail.com

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