SDMC दिल्ली को नवरात्र का ख़्याल है लेकिन रमज़ान का कोई एहसास नहीं- कलीमुल हफ़ीज़

प्रेस रिलिज 05-04-22 SDMC दिल्ली में नवरात्रों के दिनों मे गोश्त के कारोबार पर पाबंदी लगाकर अपनी संकीर्ण मानसिकता का सबूत दिया है अगर उसे नवरात्र का ख़्याल है तो रामज़ान का भी एहसास होना चाहिए और इस पवित्र महिने मे शाराब की दुकानों को बंद कराना चाहिए। यह विचार ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्त्तेहादुल मुस्लिमीन दिल्ली के अध्यक्ष कलीमुल हफ़ीज़ ने प्रेस को जारी एक बयान में व्यक्त किऐ। 

उन्होंने  कहा भारत एक धर्मनिरपेक्ष मुल्क है यहां हुकूमत का अपना कोई धर्म नहीं है। उसे सभी धर्मो को समान नज़रों से देखना चाहिए लेकिन बीते कुछ सालों मे मुल्क मे एक विशेष धर्म और कलचर को बढ़ावा दिया जा रहा है। कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा अगर किसी को गोश्त  नहीं खाना है तो न खाये लेकिन गोश्त की तिजारत बंद करने से कारोबारियों को जो नुक़सान होगा उसको कौन सहन करेगा। क्या यही सबका साथ और सबका विकास है। अगर हमारे हिंदु भाई व्रत के दिनों मे गोश्त नहीं खाते तो न खायें लेकिन उन्हें उसके बेचने पर एतराज़ नहीं करना चाहिए और न ही ऐसा किसी धर्म की किताब मे लिखा है।

भारत सरकार एक तरफ व्यापारियों को आसानियाँ देने की बात करती है और दूसरी तरफ़ इस तरह के नियम बनाकर आर्थिक तौर पर लोगों को कमजोर करती है। मजलिस अध्यक्ष ने कहा मुल्क पहले ही महंगाई और बेरोज़गारी की मार झेल रहा है प्रतिदिन पेट्रोल, डीज़ल के दाम बढ़ रहे हैं जिसका प्रभाव दूसरी वस्तुओं की क़ीमतों पर पड़ रहा है और दूसरी तरफ दिल्ली की SDMC, उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों और मुल्क के विभिन्न भागों में गोश्त के ताजिरों को परेशान करके और उन पर नये-नये नियम लागू करके बेरोज़गारी मे इज़ाफ़ा किया जा रहा है। 

अगर नवरात्रों पर गोश्त पर पाबंदी लगायी जा सकती है तो रमज़ान के दिनों में शराब के दुकानों पर ताला क्यों नहीं डाला जा सकता। कलीमुल हफ़ीज़ ने मांग की, कि SDMC अपना आलोकतांत्रिक फ़रमान फ़ौरन वापस ले वरना मजलिस इसके लिए आगे कार्रवाही करेगी। मजलिस अध्यक्ष ने यह भी मांग की, कि SDMC लाइंसेस देने के नियमों मे एैसा कोई नियम न बनाये जो नागरिकों के मानव अधिकारों और लोकतंत्र के खिलाफ़ हो। एैसे किसी भी नियम को मजलिस अदालत में चुनौती देगी।


प्रकाशन के लिए


अब्दुल गफ्फार सिद्दीकी

मीडिया प्रभारी मजलिस दिल्ली

8287421080

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