बहेडी में मजबूत जीत का आधार बनेगा सर्व समाज का साथ आना पूर्व मंत्री अताउर रहमान के लिए,

बेताब समाचार एक्स्प्रेस के लिए बरेली से वीरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट, 

बरेली जिले की बहेड़ी विधानसभा जिसमें दो चुनावी दिग्गजों के घमासान को लेकर पूरे जनपद में तरह-तरह की चर्चाओं के बाजार गर्म थे, एक तरफ पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने वाले अपने जोश में लवलेश थे, तो दूसरी तरफ राजनीति के माहिर खिलाड़ी पूर्व मंत्री अताउर रहमान अपने राजनीतिक अनुभव के साथ सपा को मजबूती प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास कर मिशन 2022 में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने में बहेड़ी वासियों के योगदान को शामिल करने का लगातार प्रयास कर रहे थे,


सपा के दो मजबूत नेताओं की दावेदारी से भाजपाई लगातार 2022 के चुनाव में बहेड़ी विधानसभा पर दोबारा कब्जा करने का सपना देखने लगे थे, ऐसे में राजनीतिक पंडित भी यह आकलन करने पर मजबूर हो गए थे, की सपा के दो दावेदारों की लड़ाई में फिर भाजपा गांव मार ले जाएगी, परंतु राजनीति के माहिर खिलाड़ी नेताजी मुलायम सिंह यादव के अनुभव का इस्तेमाल करने वाले पूर्व मंत्री अताउर रहमान ने अपने ठंडे दिमाग के साथ जो जमीन तैयार की है, उसको देखकर ऐसा लगने लगा है, अताउर रहमान राजनीति के माहिर खिलाड़ी की तरह भाजपा को शिकस्त देने की जो रणनीति बना रहे थे, उसमें वह पूरी तरह कामयाब हो चुके हैं, आपको बताते चलें पूर्व मंत्री अताउर रहमान ने अपनी चुनावी रणनीति में जिस तरह हर वर्ग हर जाति के सम्मेलन करा कर जो कार्य आरंभ किया था, उसका भरपूर फायदा विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मिलेगा, पूर्व मंत्री अताउर रहमान ने जिस तरह सम्मेलनों की शुरुआत की उसने गंगवार समाज, धोबी समाज, नाई श्रीवास्तव समाज, मौर्य समाज, राठौर समाज, कश्यप समाज, बेलदार समाज, ठाकुर समाज, जाट समाज, और जाटव समाज, के सम्मेलन करा कर जिस तरह बिना किसी शोर-शराबे के अपनी जमीन को मजबूत किया है, उस पर जो इमारत तैयार होगी, वह इमारत जीत की होगी, अब राजनीतिक पंडित अपने आकलनों पर पुनः विश्लेषण करने को मजबूर हो चुके हैं, कुछ राजनीतिक पंडितों का तो यहां तक मानना है, किस जिले की 2 विधानसभा सीटें जिसमें बहेड़ी और मीरगंज इन दोनों सीटों के दावेदार राजनीति के माहिर खिलाड़ियों के साथ एक अच्छे रणनीतिकार और राजनीतिक भूमिका में नजर आ रहे हैं, इन दोनों दिग्गजों को 2022 के विधानसभा चुनाव में रोक पाना अब भाजपा के बस की बात नहीं है, क्यों आचार संहिता लग चुकी है और इनकी तैयारियां ही इन दिग्गजों की जीत का आधार बनेगी, नतीजे क्या होंगे, यह जनता की अदालत में तय होगा

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