एनआईए ने आतंकी आरोपों में पकड़ा, कोर्ट ने निर्दोष पाया और रिहा कर दिया
घी का अर्थ विस्फोटक और ख़िदमत का आतंकी ट्रेनिंग नहीं होता: कोर्ट
नई दिल्ली (अनवार अहमद नूर) दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने एनआईए को यह बताते हुए कि 'घी' का अर्थ विस्फोटक और 'ख़िदमत' का आतंकी ट्रेनिंग नहीं होता, उन चारों लोगों को निर्दोष मानते हुए रिहा कर दिया जिन्हें एनआईए ने पलवल (हरियाणा) की एक मस्जिद में टेरर फंडिंग और पाकिस्तान से तार जुड़े होने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार किया था। यह चारों व्यक्ति मोहम्मद सलमान, मोहम्मद सलीम, आरिफ़ गुलाम बशीर और मोहम्मद हुसैन मोलानी अब से तीन वर्ष पहले गिरफ्तार किए गए थे। मोहम्मद हुसैन जो राजस्थान में नागौर के रहने वाले हैं को एनआईए ने 21 जनवरी 2019 को जयपुर एयरपोर्ट से उस समय गिरफ्तार किया था जब वह दुबई से वापस लौट रहे थे।
इन पर कई तरह के आतंकवादी और देश विरोधी तथा पाकिस्तान से जुड़े होने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे लेकिन दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने इस केस की सुनवाई के दौरान पाया कि एनआईए के पास इनके ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं है। अदालत को इनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला, सिर्फ़ मस्जिद निर्माण में दान देने के सिवाय। कोर्ट ने एनआईए के लगाए आरोपों की जांच में पाया कि वह सब निराधार हैं और एनआईए द्वारा दी गई यह परिभाषा कि उनके मोबाइल मैसेज में घी का अर्थ विस्फोटक और ख़िदमत का आतंकी ट्रेनिंग था को भी गलत और मनगढ़ंत करार दिया। सभी चारों लोगों को आरोप मुक्त कर दिया गया। सभी सच की जीत और न्याय होने से खुश हैं। हालांकि उन्हें इस बात का दुख है कि एनआईए ने उन्हें झूठा फंसा कर उनके और उनके परिवार के साथ बहुत अन्याय किया है। और इन तीन सालों में उनका बहुत कुछ ख़त्म हुआ है।
इन पर कई तरह के आतंकवादी और देश विरोधी तथा पाकिस्तान से जुड़े होने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे लेकिन दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने इस केस की सुनवाई के दौरान पाया कि एनआईए के पास इनके ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं है। अदालत को इनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला, सिर्फ़ मस्जिद निर्माण में दान देने के सिवाय। कोर्ट ने एनआईए के लगाए आरोपों की जांच में पाया कि वह सब निराधार हैं और एनआईए द्वारा दी गई यह परिभाषा कि उनके मोबाइल मैसेज में घी का अर्थ विस्फोटक और ख़िदमत का आतंकी ट्रेनिंग था को भी गलत और मनगढ़ंत करार दिया। सभी चारों लोगों को आरोप मुक्त कर दिया गया। सभी सच की जीत और न्याय होने से खुश हैं। हालांकि उन्हें इस बात का दुख है कि एनआईए ने उन्हें झूठा फंसा कर उनके और उनके परिवार के साथ बहुत अन्याय किया है। और इन तीन सालों में उनका बहुत कुछ ख़त्म हुआ है।
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