अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के फैकल्टी आफ लाॅ के डीन-चेयरमैन प्रो. शकील समदानी के देहांत
मुजफ्फरनगर। उर्दू डेवलपमेंट आर्गनाइज़ेशन, मुज़फ्फरनगर के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के फैकल्टी आफ लाॅ के डीन-चेयरमैन प्रो. शकील समदानी के देहांत पर गहरे रंजो ग़म का इज़हार किया है। वो पिछले 10-15 दिनों से कोविड-19 का शिकार हो गए थे और जवाहर लाल नेहरु मेडिकल काॅलिज अलीगढ़ में भर्ती थे जहां उन्होंने आज आख़री सांस ली। उनके निधन से अलीग बिरादरी के अलावा दूसरे हल्कों में रंजो ग़म की लहर दौड़ गई।उर्दू डेवलपमेंट आर्गनाइज़ेशन, मुज़फ्फरनगर के अध्यक्ष कलीम त्यागी ने बताया कि प्रो. शकील समदानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वो क़ाबिल और होनहार सपूत थे, जिन्होंने सिर्फ भारत में नहीं बल्कि विदेशों म भी सर सैयद अहमद ख़ांन के मिशन को आगे बढ़ाने का काम किया। उन्होंने कहा कि प्रो0 शकील समदानी कभी भी जुल्म ओ सितम पर ख़ामोश नहीं रहे। वो अपने बेबाक भाषणों से पूरी दुनिया में पहचाने जाते थे। कलीम त्यागी ने बताया कि वो सर सैयद अवेयरनेस फोरम के अध्यक्ष भी थे और हर साल अलीगढ़ नुमाइश में शानदार प्रोग्राम किया करते थे, जिसमें दूर दराज़ से स्काॅलर्स बुलाए जाते थे। इसके अलावा यूनिवर्सिटी का कोई प्रोग्राम हो और उसमें शकील समदानी ने हों ये नामुमकिन था। प्रो. साहब उर्दू ज़बान के बड़े चाहने वाले थे, उर्दू का कोई प्रोग्राम हो और उन्हें बुलाया जाता तो वो खुशी-खुशी जाते थे। उनके निधन पर उर्दू टीचर्स एसोसिएशन अलीगढ़ के संरक्षक कुंवर नसीम शाहिद, कलीम त्यागी, तहसीन अली, मूसा क़ासमी, बदरुज़्ज़मां ख़ान, शमीम क़स्सार, डाॅ0 सलीम सलमानी, हाजी औसाफ अहमद, रईसुद्दीन राना, इंजीनियर नफीस राना, मा. शहज़ाद, कारी सलीम मेहरबान, डाॅ. मुजीब शहज़र, मुशर्रफ हुसैन महज़र, शाहिद ग़ाज़ी, मा. अफज़ाल अहमद, अब्दुल वाजिद, ख़ालिद अंसारी, गौहर सिद्दीक़ी, मौ. इकराम कस्सार, मौलाना ताहिर कासमी ने गहरा शोक जताया और उनको श्रद्धांजली अर्पित की।
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