देश आजाद हुआ है। तो आंदोलनकारियों की वजह से, वरना माफीजीवियो ने तो नाक रगड़ी थी अंग्रेजों के सामने- मुस्तकीम मंसूरी

मुस्तकीम मंसूरी राष्ट्रीय महासचिव मुस्लिम मजलिस

 नई दिल्ली 11 फरवरी ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस के राष्ट्रीय महासचिव मुस्तकीम मंसूरी ने 3 नए कृषि कानूनों के विरोध में सड़क से संसद तक जारी संग्राम के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कल लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपनी बात रखते हुए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने किसान आंदोलनकारियों के साथ ही विपक्ष पर करारा हमला बोलते देशवासियों से आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियो में फर्क करने की अपील करते हुए कहा था। की कृषि कानून एच्छिक है, ना की बाध्यकारी, पर पलटवार करते हुए मुस्लिम मजलिस की ओर से राष्ट्रीय महासचिव मुस्तकीम मंसूरी ने कहा कि यह देश आजाद हुआ है। तो आंदोलनकारियों की वजह से, वरना माफीजीवियो ने तो नाक रगड़ी थी अंग्रेजों के सामने, उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद ने कहा है कि बाल विवाह कानून, शिक्षा का अधिकार कानून बिना मांगे बनाए गए, किसी ने मांग नहीं की थी। वे बिना मांगे किसान कानून बनाने की हिमायत कर रहे थे।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा माफ कीजिए प्रधानमंत्री जी यह सरासर गलत बयानी के साथ ही देश को गुमराह करने की बात है।

जबकि हकीकत यह है बाल विवाह के खिलाफ कानून बनाने के लिए समाज ने फिंरगी राज में लंबी लड़ाई लड़ी थी।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा बीसवीं सदी की शुरुआत में अखिल भारतीय महिला सम्मेलन, महिला भारतीय संघ और भारत में महिलाओं की परिषद ने बाल विवाह के खिलाफ अलख जगाया था। उन्होंने कहा सन 1927 में राय साहब हरविलास शारदा ने केंद्रीय विधानसभा में हिंदू बाल विवाह बिल पेश किया था। इसमें विवाह के लिए लड़कियों की उम्र 14 और लड़कों की उम्र 18 वर्ष करने का प्रावधान रखा गया था।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा समाज सुधारकों, स्वतंत्रता सेनानियों के दबाव में ब्रिटिश सरकार ने इसे एक कमेटी के पास भेज दिया। सदर सर मोरोपंत विश्वनाथ जोशी थे। अकॊ॑ट रामास्वामी मुदलियार, खान बहादुर माथुक, मियां इमाम बख़्श कुड़ू, रामेश्वरी नेहरू, श्रीमती ओ बरीदी बीडोन, मियां सर मोहम्मद शाहनवाज, एमडी साग आदि मेंबर थे। बिल पेश करने वाले राय बहादुर हरबिलास शारदा के नाम पर ही इसे (शारदा एक्ट) के नाम से जाना गया।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा यूं ही नहीं आया शिक्षा के अधिकार का कानून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि शिक्षा के अधिकार का कानून (RTE) भी बिना किसी के मांगे बनाया गया है। यह भी सरासर गलत है। उन्होंने कहा हकीकत यह है। की शिक्षा के अधिकार के लिए कानून भारत ज्ञान विज्ञान समिति के प्रेणता प्रोफेसर विनोद रैना जैसे लोगों के सतत संघर्ष का परिणाम है। सन 2009 में उनके और तमाम दूसरे लोगों के संघर्ष के बाद शिक्षा का अधिकार कानून बना। इसका ड्राफ्टू जी प्रोफेसर रैना ने तैयार किया था।

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