हाँर्न धीरे बजाओ मेरा मुस्लिम समाज गहरी नींद सो रहा है।

  यह लेख भारतीय मुस्लिम तेली समाज व्हाट्सएप ग्रुप से लिया गया है।  इस ग्रुप पर लिखने वाले या भेजने वाले का जो नाम है वह जाकिर हुसैन है मुझे यह मैसेज बहुत प्यारा लगा इसलिए मैं यहां लोगों की दिलचस्पी के लिए यह मैसेज अपने वेबसाइट पर लिख रहा हूं । जिस साहब ने भी यह मैसेज लिखा है बहुत गहरी बात कही है,और उस गहरी बात को गहरी सोच के लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से मैं यहां लिख रहा हूं पढ़िए।(एस ए बेताब) 

*मै  एक बार अपनी  कार  से  कोटा से जयपुर की और  जा रहा  था । रास्ते  में  देखा  एक   ट्रक   के पीछे लिखा एक संदेश देखा जिसने  झकझोर कर रख दिया !!*


*"हाॅर्न   धीरे बजाओ मेरा  मुस्लिम समाज  गहरी नींद  सो रहा है"...!!!*


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*मेरी जिज्ञासा हुई इस ट्रक  चालक से  दो बात करने की। मै उसके पीछे ही चलता रहा यह सोच कर कि  कहीँ तो रुकेगा फ्रेश होने के लिए ।*


*रास्ते में टोंक  के आस पास  एक ढाबे पर वो चाय पीने के लिये  रुका।*


*मेरा इरादा तो उससे मिलने का था ही । मैं भी उसी ढाबे पर रुक गया ।*


*उसके आस पास ही  एक चारपाई पर मैं भी बैठ गया । मैने  उससे पहला  सवाल यही   किया कि  भाई  ड्राइवर  साहब आपने ट्रक के पीछे एक बहुत ही  गहरे मतलब का  संदेश लिखाया हुआ है  यह प्रेरणा आपको कैसे मिली ।* 


*उसने जवाब दिया बाबू जी वक्त बड़ी  चीज है यह अच्छे अच्छो को प्रेरणा देता है बस कमी  यह  है  हमे  भर पेट रोटी क्या मिलने लगी हमने  अब  और  प्रेरणा  लेना बन्द कर दिया, लेते ही  नही। अच्छा   हुआ आपने  उसे  पढा और  मेरे  से यह सवाल किया ।*


*मै पूरे  भारत में  सड़को पर घूमता हूँ। हजारो लोग इस संदेश को पढते  होंगे  । अगर उन में से  20% लोग भी मेरा संदेश  समझ गए मेरा मकसद   हल हो   गया ।*


*उस से रहा नही गया उस ने जेब से एक परचा निकाला और उसी संदेश पर किसी कवि  की   एक क्रान्तिकारी  कविता सुना डाली जो नीचे लिखी जा रही है ।*


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*'ब्राह्मणो  के जुल्म सितम से...* 


*फूट फूटकर 'रोया' है...!!*


*'धीरे' हाॅर्न बजा रे पगले. मेरा  मुस्लिम समाज सोया है...!!*

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*कई जाने जाने के बाद चैन' मिला है... 'पूरी' नींद से सोने दे...!!*


*जगह मिले वहाँ 'साइड' ले ले...हो शोषण  तो होने दे...!!*


*किसे जगाने की  चिंता में... तू  इतना जो 'खोया' है...!!*


*'धीरे' हाॅर्न बजा रे पगले  मेरा   मुस्लिम समाज  सोया है....!!!*

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*आरक्षण के सब 'नियम' पड़े हैं... कब से 'बंद' किताबों में...!!*


*'जिम्मेदार' समाज वाले...सारे लगे गुलामी में...!!*


*तू भी कर दे  झूटे वादे क्यों 'ईमान' में खोया है..??* 


*धीरे हाॅर्न बजा रे पगले... मेरा  'मुस्लिम सोया है...!!!*

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*गुलामी की इन सड़कों पर... सभी क़दम मिला चलते हैं...!!*


*आवाज़ उठाने वाले मर के चलते बनते हैं   मेरे समाज  की लचर विधि से... 'भला' मनुवादी का होया है...!!*


*धीरे हाॅर्न बजा रे पगले.... मेरा  'मुस्लिम समाज सोया है....!!!*

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*मेरा समाज तो  है 'शेर जैसा... यह सोये तब तक सोने दे...!!*


*'गुलामी की इन सड़कों पर...  नित शोषण ' होने दे...!!*


*समाज  जगाने की हठ में तू....  क्यूँ दुख में रोया है...!!*


*धीरे हाॅर्न बजा रे पगले.. मुस्लिम समाज सोया है....!!!*

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*अगर समाज  यह 'जाग' गया तो.. ब्राह्मण  'सीधा' हो जाएगा....!!*


*आर.एस एस. वाले 'चुप' हो जाएँगे.... और  हर मनुवादी  रोयेगा...!!*


*अज्ञानता से 'शर्मसार' हो ....  संविधान भी रोया है..!!*


*धीरे हाॅर्न बजा रे पगले... मेरा मुस्लिम समाज सोया है...!!!*

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*मुस्लिम समाज  हमारा सोया है....!!!*


*उसने यह कविता सुनाई इस बीच कब हमारे पास चाय आई और कब हमने पीकर खत्म भी कर दी पता भी नही चला ।*


_*चाय पीकर हम एक दुसरे से जुदा हो गये लेकिन उस ट्रक चालक का अपने  मुस्लिम समाज के प्रति इतनी गहरी चिन्ता से भरा हाव भाव  मेरे दिल में उतर गया ।*_


_*मैं  उससे सिर्फ  इतना ही  कह   पाया दोस्त  आज से आप  अपने आपको अकेला मत समझो आज से मैं भी आपके इस प्रचार का एक अहम हिस्सा हूँ  ।*_ 


*विशेष आग्रह:*

*दूसरी कॉम की तरह आप भी जागो* 👏👏👏👏👏👏👏

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