किसानों ने एक बार फिर सरकार के प्रस्ताव को ठुकराया तीनों ,कानून वापस लेने के अलावा और कोई मांग मंजूर नहीं


 नई दिल्ली,। नए कृषि कानूनों को लेकर  सरकार के प्रस्ताव को एक बार फिर किसान नेताओं ने ठुकरा दिया है और वह इन्हें निरस्त किए जाने को लेकर अड़े हुए हैं। किसानों ने प्रेस वार्ता कर सरकार को अल्टीमेटम दिया कि उनकी मांग न माने जाने पर वह रेलवे ट्रैक अवरुद्ध करेंगे। किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि आज की बैठक में निर्णय लिया गया है कि एक संयुक्त किसान मार्च निकाला जाएगा। किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को अध्ययन के बाद खारिज कर दिया है और उन्होंने कृषि सुधार से संबंधित तीन कानूनों को निरस्त करने तथा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग की है। इसके साथ ही किसान संगठनों ने अपने आंदोलन को तेज करने की भी घोषणा की है। किसान संगठनों और सरकार के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है और अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है। इतनी सर्दी और ठंड के बावजूद 15 दिन से किसान हाईवे पर डटे हुए हैं और उनका कहना है कि जब तक मांगे नहीं मानी जाती तब तक यही डटे रहेंगे ।किसान इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में आए हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कृषि सुधार कानून में खामियों पर चर्चा के लिये सभी रास्ते खुले हुये हैं। सरकार ने किसान संगठनों को कानून में संशोधनों का प्रस्ताव दिया है। दोनों मंत्रियों ने किसान संगठनों से आंदोलन समाप्त कर सरकार के साथ बातचीत करने का प्रस्ताव दोहराया। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत चल ही रही थी कि इसी दौरान आंदोलन को तेज करने की घोषणा की गयी जो उचित नहीं है। बातचीत टूटने पर आंदोलन की घोषणा की जा सकती थी। उन्होंने कहा कि सरकार को विश्वास है कि बातचीत से रास्ता निकलेगा।

श्री तोमर ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र के उत्थान और 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिये योजनाबद्ध ढंग से कार्य कर रही है। सरकार चाहती है कि किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो और इससे ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था सुधरे। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में निजी पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार तीन कृषि सुधार कानूनों को लाई थी, जिस पर लोकसभा और राज्यसभा में व्यापक चर्चा की गयी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में निजी पूंजी निवेश से न केवल नयी तकनीक आयेगी, बल्कि आधारभूत संरचनाओं का निर्माण होगा, जिसका लाभ अंतत: किसानों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के बजट को बढ़ा कर 1,34,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है जो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय से छह गुना अधिक है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से किसानों को सालाना छह हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है। इसके साथ ही किसानों के लिये पेंशन और कई अन्य सुविधाओं की घोषणा की गयी है।
कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के साथ चर्चा के दौरान जहां कहीं भी कानूनों में खामियां नजर आईं थी उस पर संशोधन के प्रस्ताव दिये गये थे। इसमें किसानों की तमाम शंकाओं का समाधान किया गया था इसके बावजूद सरकार किसानों के किसी भी मुद्दे पर एक बार फिर खुले मन से चर्चा के लिये तैयार है।
दिल्ली की सीमा के निकट 15वें दिन किसान संगठनों का आंदोलन जारी रहा। किसान कह रहे हैं कि  सरकार से किसानों के लिए इन तीन कानूनों को बनाने के लिए किस संगठन ने कहा था सरकार यह बताए लेकिन सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है।  ये किसान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कई अन्य राज्यों से आये हैं। किसान संगठन बार-बार कृषि सुधार कानूनों को निरस्त करने पर जोर दे रहे हैं।  भारतीय किसान यूनियन (आर) के नेता बलवीर सिंह राजावत ने कहा कि सरकार ने स्वयं ही माना है कि नए कृषि कानून व्यापारियों के लिए बने हैं। उन्होंने कहा कि कृषि राज्यों का क्षेत्र है और केंद्र को इस पर कानून बनाने की कोई अधिकार नहीं है।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने हमारी 15 में से 12 मांगे मान ली हैं। इससे साफ है कि यह कानून गड़बड़ है। इन्हें खारिज करना ही पड़ेगा। किसान संगठन अपने आगे के आंदोलन को लेकर समन्वय बना रहा है और हम आगे भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखेंगे। किसानों की मांग है कि तीन कृषि बिल निरस्त किए जाएं और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाकर इसे वैधानिक रूप दिया जाए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में किसान अपना आंदोलन जारी रखेगा।  राकेश टिकैत ने कहा है कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती और एमएसपी पर कानून नहीं बनाती ,तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने जवाबी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं के बारे में कृषि मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया है, कृषि मंत्री ने कृषि कानूनों की वापसी को लेकर कोई बात नहीं की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कानूनों में संशोधन करना चाहती है, लेकिन किसान संगठन इसके पक्ष में बिल्कुल भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक तीनों  कानूनों की वापसी नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। 
राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कोई कार्य नहीं किया ,उन्होंने मोदी सरकार के 6 साल के कार्यकाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज भी किसान आधे दामों पर फसलों को बेचने के लिए मजबूर है।  श्री टिकैत ने कहा कि किसान अपना आंदोलन तेज करेंगे, जिसमें 14 दिसंबर को भारतीय किसान यूनियन के नेता प्रदेश के जिलों के जिला मुख्यालयों पर  केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपेंगे।  उन्होंने कहा कि किसान अपनी मांगों को बिना पूरा करवाएं, दिल्ली से नहीं लौटेगा।


टिकैत ने कहा कि किसान पहले ही केंद्र सरकार के प्रस्तावों को खारिज कर चुका है, पराली पर भी किसान को कोई समझौता नहीं चाहिए ,12 तारीख को टोल फ्री कराया जाएगा और 14 तारीख को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी के मंत्रियों का भी घेराव किया जाएगा।


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