किसान आंदोलन के बीच गुरुवार को मानवाधिकार दिवस के मौके पर टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन किया गया।

नई दिल्ली । कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 16वें दिन जारी है। किसान आंदोलन जिस तरह से लंबा किस्त आ जा रहा है सरकार की मुसीबतें भी उतनी ही ज्यादा बढ़ती जा रही है किसान ने अपनी मांगे न माने जाने पर जिद पकड़ ली है और वह टस से मस होने के लिए तैयार नहीं है किसानों का कहना है कि तीन किसी कानून वापस लेने के अलावा वह कोई अन्य मांग मानने को मंजूर नहीं है किसानों ने मानव अधिकार दिवस पर राष्ट्रद्रोह के आरोप में गिरफ्तार सरजील इमाम, उमर खालिद, खालिद सैफी, वरवरा राव , सुधा अन्य के पोस्टर लगाकर उन्हें रिहा कराने की मांग की। कृषि मंत्री को यह मांग किसानों की नहीं लग रही है तो अब सोचने वाली बात यह है कि किसान न्याय की मांग भी करने लगे हैं। और देश का किसान जब न्याय की मांग करने लगे तो देश में अन्याय के खिलाफ लोग खड़े होने शुरू हो जाएंगे। जिससे देश में इंसाफ और अधिकार के लिए आंदोलन खड़ा हो सकता है। शायद यही चिंता सरकार को सता रही है। कुछ किसान नेताओं का कहना है कि इन्हें रिहा किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने किसानों की इस मांग पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने टिकरी बॉर्डर पर शरजील इमाम के पोस्टर का मसला उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि एमएसपी, एएमपीसी और अन्य मुद्दे किसानों से संबंधित हैं, लेकिन ये पोस्टर किसान का मुद्दा कैसे हो सकते हैं। यह खतरनाक है और यूनियनों को इससे खुद को दूर रखना चाहिए। यह सिर्फ मुद्दों को हटाने और विचलित करने के लिए है। दरअसल, किसान आंदोलन के बीच गुरुवार को मानवाधिकार दिवस के मौके पर टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन किया गया। इस दौरान किसानों के मंच पर एक पोस्टर लगाया गया, जिसमें उमर खालिद, शरजील इमाम, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव समेत अन्य लोगों की रिहाई की मांग की गई थी। आरोप लगाया गया है कि इन सभी को झूठे केसों में अंदर डाला गया है, ऐसे में सरकार को इन्हें तुरंत रिहा करना चाहिए। हालांकि, अन्य किसान नेताओं ने इस पोस्टर की जानकारी होने से इनकार किया। वहीं, भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के नेता झंडा सिंह का कहना है कि ये सिर्फ हमारे संगठन की ओर से पोस्टर लगाए गए थे। ये सभी बुद्धिजीवी हैं और हमारी मांग है इन्हें जेल से रिहा किया जाए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि हम किसानों की समस्याओं पर विचार कर रहे हैं। कई बिंदुओं पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने किसानों से पूछा कि एपीएमसी को सुदृढ़ बनाने के लिए क्या करना चाहिए, इस पर किसानों ने कोई जवाब नहीं दिया, वह चुप हो गए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि हमने किसानों को जो सुझाव भेजे हैं, उसमें एपीएमसी मंडी के बाहर प्राइवेट मंडियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर किसानों के डर को दूर किया गया है। राज्य सरकारों को अधिकार है कि वह प्राइवेट मंडियों के रजिस्ट्रेशन और टैक्स पर फैसला ले सकती हैं।

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