बसपा सुप्रीमो मायावती के उत्तराधिकारी एवं राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद की बढ़ती लोकप्रियता या भाजपा के दबाव में पद मुक्त किया गया आकाश आनंद को? #election2024 #mayavati #BSP #Aanandkumar

बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए लखनऊ से मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट।

लखनऊ, बसपा सुप्रीमो मायावती के उत्तराधिकारी एवं राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद के आक्रामक भाषणों की शैली से घबराई भाजपा ने मायावती पर दबाव बनाकर नेशनल कोऑर्डिनेटर और मायावती के उत्तराधिकारी के पद से आकाश आनंद को हटाया जाना अपने आप में कई सवाल खड़े करता


है। गौर तलब है की 28 अप्रैल को सीतापुर में दिए गए आकाश आनंद के आक्रामक भाषण से दलित समाज में जहां राजनीतिक चेतना जागृत हुई। वही भाजपा नेताओं पर आक्रामक होते हुए आकाश आनंद ने योगी और मोदी सरकार पर सबसे बड़ा हमला बोलते हुए भाजपा सरकार को संविधान विरोधी, दलित विरोधी बताते हुए योगी सरकार के बुलडोजर मॉडल को तालिबानी बताते हुए चुनाव आयोग तक को जमीनी हकीकत जानने की चुनौती दे डाली थी।

आपको बताते चलें की आकाश आनंद की सभाओं में लगातार दलित समाज की बढ़ती भीड़ और युवाओं में उनकी बढ़ती हुई लोकप्रियता से भाजपा नेताओं के पसीने छूट रहे थे। वही आकाश आनंद लगातार अपने आक्रामक तेवरों से जहां विपक्षी दलों कांग्रेस और सपा को निशाने पर ले रहे थे वहीं दलित समाज को अपने भाषणों के माध्यम से भाजपा को निशाने पर


लेटे हुए बाबा साहब के संविधान और आरक्षण को खत्म कर लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताते हुए भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का लगातार आवाहन कर रहे थे। 28 वर्षीय युवा आकाश आनंद के आक्रामक भाषणों की शैली से दलित समाज विशेष कर युवा वर्ग बसपा सुप्रीमो मायावती का उत्तराधिकारी मानते हुए आकाश आनंद की सभाओं में जन सैलाब की शक्ल में उमड़ रहा था, यही भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती का सबक बन रहा था। यही कारण है कि भाजपा ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर दबाव बनाकर जहां आकाश आनंद को राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर एवं मायावती के उत्तराधिकारी के पद से हटवा कर मायावती से यह संदेश दिलवा दिया कि अभी आकाश आनंद राजनीतिक तौर पर मैच्योर नहीं है। इसलिए उनको दी

गई जिम्मेदारियां वापस ले ली गई है। परंतु मायावती के इस फैसले से दलित समाज में जो संदेश गया है उसका भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि आकाश आनंद ने तीन चरणों के चुनाव में दलित समाज को स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर भाजपा फिर से सत्ता में आई तो बाबा साहब का संविधान, दलितों और पिछड़ों का आरक्षण खत्म होने के साथ ही लोकतंत्र भी समाप्त हो जाएगा। आकाश आनंद द्वारा दलित समाज में बाबा साहब के संविधान, दलित और पिछड़ों के आरक्षण के साथ ही लोकतंत्र को बचाने के लिए दलितों, पिछड़ों, में जो जागरूकता पैदा की गई है। उसका असर आने वाले चार चरणों के चुनावों में साफ तौर पर देखा जाएगा।

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