मौलाना ने जल अभिषेक करने पर एक को तो नसीहतें देते हुए तौबा करने और दोबारा कलमा पढ़ने का शरई हुकुम बताया, वही दूसरे जलाभिषेक करने वाले को गले लगाया, शरीयत में मौलाना का यह दोहरा पैमाना, आखिर क्यों?

 बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए बरेली से मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट, 

मुस्तकीम मंसूरी
बरेली,आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी ने जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को मंदिर में जल अभिषेक करने पर नसहीयत दें डाली| एक वीडियो जारी कर वहीं दूसरे को कुछ दिन पहले ही गले लगाया मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी ने आखिर क्यों? 


दरअसल इसी माह आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी ने अपनी लिखी एक किताब का विमोचन कराने के लिए केरला के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खां को बरेली बुलाया था| गवर्नर आरिफ मोहम्मद खां ने मुफ्ती ए आज़म और उसके खुल्फा के नाम की किताब का विमोचन किया| जबकि जो जल अभिषेक पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने किया,वही जल अभिषेक  गवर्नर आरिफ मोहम्मद ख़ां ने भी किया था| जिसके फोटो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर है|

अब यहां पर सवाल जन्म ले रहा है| कि जब सारी दुनिया में इस्लाम का कानून एक ही है|और इस्लाम को मानने वाले इस्लामी कानून व्यवस्था को ही मानते हैं| और चाहे हिन्दुस्तान के मुसलमान हो या अन्य प्रदेशों के मुसलमान हो सब इस्लामी कानून व्यवस्था से ही अपना जीवन सम्पन्न करते हैं| तो आज मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी ने महबूबा मुफ्ती द्वारा मंदिर में जल अभिषेक करने पर महबूबा मुफ्ती को तोबा करने की नसीहत क्यों कर दी|
जबकि केरला के गवर्नर आरिफ मोहम्मद ख़ां ने भी जल अभिषेक किया था| तो उनसे मुफ्ती ए आज़म और उसके खुल्फा के नाम की किताब का विमोचन क्यों कराया था| क्या मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ां से तोबा करवा ली थी, इसका जवाब मौलाना शहाबुद्दीन रजवी को भी देना चाहिए, जो मौलाना पर अपने आप में खुद सवाल खड़े कर रहा है, जल अभिषेक करने वाले केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खां के जरिए अपनी किताब का विमोचन कराने पर, जो सवाल खड़े कर रहा है| महबूबा मुफ्ती और आरिफ मोहम्मद खान के जल अभिषेक करने पर एक को शरई सजा सुनाना और दूसरे को गले लगाना, वाह मौलाना, वाह मौलाना, क्या खूब दोहरा है पैमाना, दोनों की एक ही गलती पर एक को तोबा करके कलमा पढ़ने का फरमान सुनाना और दूसरे को गले लगाकर किताब का विमोचन कराना वाह मौलाना, वाह मौलाना,  अब यहां सवाल यह उठता है| कि क्या मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी इस्लामी कानून अपने हिसाब से चला रहे हैं, या किसी को खुश करने के लिए महबूबा मुफ्ती पर तोबा करके दोबारा कलमा पढ़ने का फरमान सुना रहे हैं| मौलाना शहाबुद्दीन का इस तरह का दोहरा किरदार खुद उन पर कई सवाल खड़े कर रहा है|  अब सवाल यह उठता है कि मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी की नजर में जो शरई हुकुम  महबूबा मुफ्ती पर लागू होता है| वह शरई हुकुम केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खां पर क्यों नहीं|

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