बहेड़ी में एक शाम उर्दू अदब के नाम, साजिद जाफरी की शादी के मौके पर!
अनीता देवी
बहेडी । अमीर बैंकट हाल में कुल हिन्द मुशायरे का आयोजन किया गया जिसमें हिंदुस्तान के अलग अलग शहरो से आये शायर व शायरात ने अपने अपने कलाम पढ़कर वाह वाही लूटी, प्रोग्राम की शुरआत शाद पीलीभीती ने नाते पाक पढ़कर की, ! फिर गज़ल का दौर शुरू हुआ, जिसमें संभल से आये शायर इन्तखाब संभली ने शेर कहा -
क़यामत जैसा उसके दिल पे मंज़र टूट जाता है,
वो जब भी वार करता है तो खंज़र टूट जाता है-
! जिसको सुनकर लोगो ने खूब वाह वाह की! हल्द्वानी से आये शायर अबरार मंज़र ने शेर कहा -
स्यासी जलसे में सांसे भी रोक रख्खी थी,
जुमे के खुतबे में बाते बना रहे हैं लोग-
! नौशाद अनगढ़ ने इस शेर पर खूब तालियां बटोरी -
नम्बर जो मांग बैठे थे इक नीलोफर से हम,
फिर पट्टियां कराते फिरे डाक्टर से हम-
! नैनीताल से आईं शयरा नाजिया सहरी के इस शेर को बार बार सुना गया -
हमने वफ़ा की हर रस्म निभाई है,
ग़म भी उठाये हैं चोट भी खाई है-
! अहरो बिलासपुर से आये शायर नदीम फराज़ ने शेर कहा -
सजाले शौक़ से मुझको तू अपनी ज़ुल्फो में,
तमाम उम्र जो महकेगा बो गुलाब हूँ मैं
- ! जिसे सुनकर पूरे मजमें से तालियां बजने लगी, ! अज़रा संभली ने कहा -
रस्मे उल्फत निभाने का वादा तो कर मैं भी दुल्हन की तरहा सवर जाउंगी,
ज़िन्दगी क्या है बस एक अहसास है तू भी मर जायेगा मैं भी मर जाउंगी-
! खुशबू रामपुरी ने कहा -
चंद गुड़िया थीं वहाँ मिट्टी के खिलोने और हम,
छोटे बच्चो को कोई काम कहाँ था पहले-
! राशिद बाबा बरेलवी ने कहा -
मेरी कोई दुआ कभी खाली नहीं गई चाहत तुम्हारी दिल से निकाली नहीं गई,
कहता है मोहाफ़िज़ हूँ खवातीने हिंद का अपनी ही बीवी जिस्से संभाली नहीं गई-
! मुशायरे की निज़ामत कर रहे शायर मोइन नवाबगंजवी ने शेर कहा -
यह बात याद रहे ताइरो उड़ान के बाद,
ज़मीं पे लौट के आना है आसमान के बाद-
! बहेड़ी के उस्ताद शायर चमन बहेड़वी के इस शेर को खूब पसंद किया गया, -
घड़ी की सुई को उल्टा घुमाना चाहता है,
यह दिल पागल है बचपन का ज़माना चाहता है -
! अक़ील जाफरी ने कहा -
मैंने कभी ज़मीर का सौदा नहीं किया,
तेरे सिवा किसी को भी सजदा नहीं किया-
! इसके अलावा आसिफ शेरी, नाज़िम रज़ा रिछावी ने भी कलाम पढे, मुशायरे की सदारत की हाजी आसिफ रिज़वी ने, मुशायरे के कन्वीनर रहे सलीम रहबर साहब, 9 बजे शरू हुआ मुशायरा रात 3 बजे तक चला, ठंड होने के बावजूद भी लोग देर रात तक मुशायरे का लुत्फ़ उठाते रहे !
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