पूज्य माता जी को एक दर्जन से अधिक उपाधियों से विभूषित किया जा चुका है और 14 नवंबर 2021 को उनका पदार्पण महामहिम राष्ट्रपति जी के आमंत्रण पर राष्ट्रपति भवन में हुआ था|

बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए बरेली से मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट, 

ऊंची माताजी लगभग 500 ग्रंथों की रचीयता या अनुवादक है, वह 6 भाषाओं पर अच्छी पकड़ के साथ दो विश्वविद्यालयों से डी लिट की उपाधि प्राप्त हैं|

बरेली,आज युग प्रवर्तिका, आर्यिका शिरोमणि, विश्व प्रसिद्ध परम पूज्य 105 श्री ज्ञानमती माता जी के हस्तिनापुर तीर्थ क्षेत्र से शाश्वत तीर्थ क्षेत्र अयोध्या के लिए महा मंगल विहार की सूचना बरेली के जैन श्रद्धालुओं को जब हुई तो उन्होंने पूज्य माता जी से प्रार्थना की कि बरेली वासियों को भी उनके ज्ञान और सानिध्य कि कुछ अमृत बूंदें उन पर भी बरसाने की कृपा करें। उनके स्नेह निवेदन को स्वीकार करते हुए माता जी आज बरेली में थी।



अपने आशीर्वचनो में पूज्य माता जी ने कहा कि भारत वर्ष का नाम जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर रखा गया है, इसके 22 जैन व जैनेतर प्रमाण भी प्रस्तुत किए गए हैं, उन्होंने आगे कहा की पुरुषोत्तम श्री राम व उनके परिवार के आदर्श ही भारतीय संस्कृति के द्योतक है, उन्होंने आगे बताया कि शाश्वत तीर्थ क्षेत्र अयोध्या 5 तीर्थंकरों की जन्मभूमि भी है, उसका विकास, संवर्धन व संरक्षण, भविष्य हेतु संस्कृति का संरक्षण है।

अहिंसा परमो धर्मा: भारतीय संस्कृति की पृष्ठभूमि में है और शाकाहार इसकी प्रमुख कड़ी है, हमें शाकाहार को समाज में प्रसारित व प्रचारित करते रहना है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि साधु मांग नहीं करते, वह मौन रहते हैं, किंतु कुतुबमीनार में जैन मूर्तियां मिल रही है, ऐसे में शासन को सोचना होगा। उन्होंने अपने हाल की पुस्तक भरत से भारत भी सभी को आशीर्वाद के रूप में दी।

आयोजन के मीडिया प्रभारी सौरभ जैन ने कहा कि पूज्य माता जी के कार्य विश्व भर में जाने जाते हैं, वह चाहे हस्तिनापुर स्थित जम्बूदीप की रचना हो या गिनीज बुक में दर्ज विश्व की सबसे ऊंची 108 फीट की मांगीतुंगी, महाराष्ट्र में स्थापित भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा की स्थापना की प्रेरणा हो।

श्री महावीर निर्वाण समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार जैन ने कहा कि माताजी के तीर्थ विकास, संवर्धन व संरक्षण के क्रम में अब शाश्वत तीर्थ क्षेत्र अयोध्या की बारी है, उन्होंने आगे कहा कि इस हेतु सभी तीर्थ के नवनिर्माण हेतु शिलाओं की धनराशि संचय करने में सहयोग करें।

समिति के मंत्री सत्येंद्र जैन जी ने कहा कि पूज्य माता जी लगभग 500 ग्रंथों की रचयिता या अनुवादक हैं, वो 6 भाषाओं पर अच्छी पकड़ के साथ 2 विश्वविद्यालयों से डी.लिट. की उपाधि प्राप्त हैं। कोषाध्यक्ष सतीश चंद्र जैन ने कहा कि पूज्य माताजी की प्रेरणा से बने हस्तिनापुर स्थित जंबूदीप ज्ञान ज्योति का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने 1982 में किया था। उन्होंने आगे बताया कि पूज्य माताजी को 1 दर्जन से अधिक उपाधियों से विभूषित किया जा चुका है और 14 नवंबर 2021 को उनका पदार्पण महामहिम राष्ट्रपति जी के आमंत्रण पर राष्ट्रपति भवन में हुआ था।

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