अमर शहीद भगत सिंह के 115 वें जन्म दिवस पर देश प्रेम से भरा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न।

 भगतसिंह को राष्ट्र पुत्र घोषित करते हुए शहीदों के विचारों और संदेश को फैलाया जाए।

*जाति, पाति छोड़ो,देश से नाता जोड़ो : राजीव जौली खोसला 

नई दिल्ली (अनवार अहमद नूर)

अमर शहीद भगत सिंह के 115 वें जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर देश प्रेम से भरा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम राजीव जौली खोसला के सफल संचालन में आयोजित किया गया। जिसमें अनेक कलाकारों और गायकों ने देशभक्ति गीतों को गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। जोश, देशप्रेम और संगीत के इस मधुर कार्यक्रम में शामिल लोग अपने को रोक नहीं पाए और उन्होंने कलाकारों के साथ देशभक्ति गीतों पर नृत्य किया। स्टेज पर अभिनय तक किया। पूरा वातावरण मधुर, संगीतमय और आनंदमय बना रहा।





अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए अमर शहीद भगत सिंह के क्रान्तिकारी कार्यों को यहां न सिर्फ़ बताया गया बल्कि कलाकार हितेश ने भगतसिंह बनकर उसे प्ले भी किया। 

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भी क्रान्तिकारी और अमर शहीद अशफ़ाक़ुल्ला खां के वंशज मान्य अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान रहे।

इस अवसर पर डॉ. सपना बंसल, दीपक विज, अशोक जी, सुशील खन्ना,सुखविंदर सिंह सिद्धू, रमेश जी,शायर आरिफ़ देहलवी, गायिका कंचन, राहुल इंकलाब सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों और कलाकारों ने अपनी अपनी प्रस्तुति के साथ भाग लिया। आयोजकों की ओर से राजीव जौली खोसला के तत्वावधान में मुख्य अतिथि शहीद अशफ़ाक़ुल्ला खां के वंशज के करकमलों द्वारा शहीदों के फोटो से युक्त घड़ी भी उपहार और भेंट स्वरूप प्रदान की गई। अनेक समाजसेवियों, कलाकारों और विधार्थियों को शहीदी घड़ी प्रदान की गई। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अनवार अहमद नूर को भी सम्मानित किया गया।

संचालन कर रहे राजीव जौली ने कहा कि शहीदों को याद करने तथा श्रद्धांजलि देने की यह श्रंखला 20- 22 वर्षों से लगातार जारी रही है, मैं शहीदों के प्रति अपने कर्म को लगातार करता रहा हूं और करता रहूंगा। उन्होंने कहा कि हिंदू मुस्लिम सिक्ख इसाई, आपस में है भाई भाई, जात पात छोड़ो, भारत से नाता जोड़ो,। जब भारत ही नहीं रहेगा तो फिर जात-पात का क्या करोगे। 

डॉ सपना बंसल ने कहा कि भगतसिंह और सभी शहीदों को पूरा पूरा सम्मान मिलना चाहिए। जिस तरह हम राष्ट्र पिता महात्मा गांधी को मानते हैं इसी तरह भगतसिंह को भी राष्ट्र पुत्र का मान सम्मान और ख़िताब मिलना चाहिए।

अशोक जी ने भगतसिंह को अपना नमन करते हुए कहा कि भीड़ और भेड़ों से क्रान्ति नहीं आती है क्रान्ति शहीद भगत सिंह से आती है। अशफ़ाक़ुल्ला खां से आती है।

शायर आरिफ़ देहलवी ने हिंदोस्तान के मौजूदा हालात को दर्शाने वाला अपना कलाम पेश किया।

मुख्य अतिथि माननीय अशफ़ाक़ुल्ला खान जो शाहजहांपुर से आए थे ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि समस्त क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान भारत की आज़ादी के उद्देश्य के लिए दिया था और आज हम जिस खुली हवा और आज़ाद देश में सांस ले रहे हैं ये शहीदों के बलिदान की देन है।आज हम देखते हैं कि उन क्रान्तिकारियों और शहीदों को वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है जो उन्हें मिलना चाहिए था। उन्हें आज न सिर्फ याद किया जाना चाहिए बल्कि नौजवान पीढ़ी और देश के लोगों में उनके स्वदेश प्रेम वाले संदेश को फैलाया जाना चाहिए।

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