टूट रहे परिवार !
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बदल गए परिवार के, अब तो सौरभ भाव !
रिश्ते-नातों में नहीं, पहले जैसे चाव !!
टूट रहे परिवार हैं, बदल रहे मनभाव !
प्रेम जताते ग़ैर से, अपनों से अलगाव !!
गलती है ये खून की, या संस्कारी भूल !
अपने काँटों से लगे, और पराये फूल !!
रहना मिल परिवार से, छोड़ न देना मूल !
शोभा देते हैं सदा, गुलदस्ते में फूल !!
होकर अलग कुटुम्ब से, बैठें गैरों पास !
झुँड से निकली भेड़ की, सुने कौन अरदास !!
राजनीति नित बांटती, घर-कुनबे-परिवार !
गाँव-गली सब कर रहें, आपस में तकरार !!
मत खेलों तुम आग से, मत तानों तलवार !
कहता है कुरुक्षेत्र ये, चाहो यदि परिवार !!
बगिया सूखी प्रेम की, मुरझाया है स्नेह !
रिश्तों में अब तप नहीं, कैसे बरसे मेह !!
बैठक अब खामोश है, आँगन लगे उजाड़ !
बँटी समूची खिड़कियाँ, दरवाजे दो फाड़ !!
विश्वासों से महकते, हैं रिश्तों के फूल !
कितनी करों मनौतियां, हटें न मन की धूल !!
सौरभ आये रोज ही, टूट रहे परिवार !
फूट कलह ने खींच दी, आँगन बीच दिवार !!
--सत्यवान 'सौरभ'
रिश्ते-नातों में नहीं, पहले जैसे चाव !!
टूट रहे परिवार हैं, बदल रहे मनभाव !
प्रेम जताते ग़ैर से, अपनों से अलगाव !!
गलती है ये खून की, या संस्कारी भूल !
अपने काँटों से लगे, और पराये फूल !!
रहना मिल परिवार से, छोड़ न देना मूल !
शोभा देते हैं सदा, गुलदस्ते में फूल !!
होकर अलग कुटुम्ब से, बैठें गैरों पास !
झुँड से निकली भेड़ की, सुने कौन अरदास !!
राजनीति नित बांटती, घर-कुनबे-परिवार !
गाँव-गली सब कर रहें, आपस में तकरार !!
मत खेलों तुम आग से, मत तानों तलवार !
कहता है कुरुक्षेत्र ये, चाहो यदि परिवार !!
बगिया सूखी प्रेम की, मुरझाया है स्नेह !
रिश्तों में अब तप नहीं, कैसे बरसे मेह !!
बैठक अब खामोश है, आँगन लगे उजाड़ !
बँटी समूची खिड़कियाँ, दरवाजे दो फाड़ !!
विश्वासों से महकते, हैं रिश्तों के फूल !
कितनी करों मनौतियां, हटें न मन की धूल !!
सौरभ आये रोज ही, टूट रहे परिवार !
फूट कलह ने खींच दी, आँगन बीच दिवार !!
--सत्यवान 'सौरभ'
सत्यवान 'सौरभ', ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/proxy/AVvXsEhMLVJ-sOPWDzpBaHP7qiNFvLHZktYKKhAnHo9CpDan4AZX5O3L0eBBcoapYuK_QYyH0S_Y2er0KyizZCVfiaVmErTEPnIaVe8Qr4j3OHioQpfwce15mayJHgQGAgeBnqGLPkHNGInjJdRUkMfcb7k0umGMWrZBKf1Z6d7O8xLnZ0KsZUtMk85WIl4a5GkYWoZv-N47Kkvvz3RoSifQ1gYHCv6PQk2w-vcLBMNJiGo3R0kTucYpY_jWOclBUgUM-OkludD_xJgtId7ndrpaNJNu1WzPcZrBAptfS3IhBfoG41e7ez2iuzfw_iFhNxxKbhjiFEhXT-cZodFPL-FiUdt5OzUtpFDChMgsYFIEoe3lJNJXme306p8Nao5hhQd8ycrFxJKtgSEVekxen7OiQpB4BoBchg0D3u6SuVghwJ5HP2bS5kZX2yNmTg2qjHcXkLCZEyvwkzU8v2YqfofqG1B5Do54uE8Csbq0ShEr6H4XADuowAFV3vMvMBdncBYryiVxp_-so9pchosSC9EWfjdAJXkrvAo2xJw_673vhMNSDr7pT7eVObBB1F4Dst-MXbeEZMrrAZ5_pACAKlRgKKrr_z2WnmyrsC2Ds7dpXvsrWBgaswwAlqETH66lNnaYaLtrkbMkNEOXfJzdFhT69SU-IYY5au0nHUn5M8L0MrLldbHUxfBvdKhL_zjm9COx5LRXhxxtHXodkK0h7FBWuKs2ofm8_7AIi2icnshv4_yp2Rea7W7M2AHbpYd1vAPUVnEYEBxHDCuQa21kVwIU9k0XvcOUzAxPxwmPAFORaTDPtPydcLiBsFvBe5hV9Z3qvwM9UYnImRHd442_42HMQQ=s0-d-e1-ft)
रिसर्च स्कॉलर, कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभ
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