विश्व जल संरक्षण दिवस संजीवनी।

पानी की एक-एक बूंद बचाएं।

जीवन में है पानी की
बड़ी सार्थकता ।
जल एक परम आवश्यकता ।
व्यक्तित्व में पानी होना चाहिए,
पर पानी पानी नहीं होना चाहिए,
पानी है तो सब कुछ है आब,
नहीं तो समझो सब कुछ ख्वाब।
पुरुष के चेहरे का रुआब पानी है,
नारी के चेहरे की लज्जा पानी ही है,
शरीर मे भी तो मिट्टी
और अधिकांश पानी है,
नौनिहालों के लिए,
मां के
स्तन से निकला अमृत
भी पानी है।
पानी के महत्व को
सुना गए ज्ञानी, ध्यानी,
सुबह शाम और संध्या
की जरूरत सिर्फ पानी,
नदिया, झरने, पोखर बचाओ
यह यज्ञ है मित्रों
साथ साथ आओ,
यदि धरा पर पानी ना होगा,
जीवन इतना पानीदार,
इतना जीवंत कहां होगा,
जमीन जंगल वृक्ष लताएं,
पानी की निर्झरिणी से
बहती गंगा की धाराएं।
नदियों की बहती
धाराओं से नन्ही मछलियां
पाती हैं अपना जीवन,
पानी से ही
पुष्प, लताओं, कलियों
में है मधुर स्पंदन,
पूरी धरा ही पानी पानी है,
संपूर्ण जीवन की अंतर्निहित
कथा ही पानी है।
जल है तो कल है,
इसी से
वृक्षों पर मीठे फल है,
कल है तो हम हैं,
आओ अपना कल बचाएं,
पानी की एक-एक बूंद बचाएं।
संजीव ठाकुर, रायपुर, छत्तीसगढ़, 9009 415 415,

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